Chhattisgarh News: राजनादगांव विकास की दौड़ में शहर में कांक्रीट का जाल तेजी से फैल रहा है, इसी वजह से पेड़, पौधों की कमी होने लगी है, यही वजह है कि प्रकृति में बदलाव होने लगा है. पहले घर के आंगन में चिड़ियों को चहकते और फुदकते देखते थे, पर ये भी अब विलुप्त से हो गए हैं. इन विलुप्त होते पक्षियों के संरक्षण और आज की नई पीढ़ी को इन पक्षियों के नाम से परिचय कराने के लिए शहर के युवाओं ने एक मुहिम छेड़ी है. जिस अभियान का नाम है “बर्ड वॉक”.
राजनांदगांव के युवाओं ने चलाया अनोखा अभियान
बारिश के बीच युवाओं की टीम ने इस अभियान की शुरुआत करते हुए चिड़ियों की खोज में शहर से १० किलोमीटर दूर टोलागांव में पैदल मार्च कर विभिन्न प्रजाति के पक्षियों की खोज करके उनकी तस्वीरें ली. पर्यावरण और पशु-पक्षियों के प्रति स्नेह रखने वाले युवाओं की टीम ने सुबह ६ बजे पैदल मार्च शुरू किया. भ्रमण करते हुए युवाओं ने कॉमन टेलरबर्ड, इंडियन पैराडाइस फ्लाईक्तचेर, वाइट-थ्रोअटेड किंगफिशर, इंडियन सिल्वेरबिल, रेड वेंटेड बुलबुल, ग्रेटर कूकल, एशियान कोयल, लिटिल स्विफ्ट, प्लैन प्रिनिया, इंडियन करमोरांत, रोज रिंगएड पैराकीट, इंडियन रोलर, ओरिएंटल मैगपाई रोबिन नामक पक्षियों को देखा और इनकी जानकारी साझा की . इन्होंने पक्षियों की पहचान करते हुए उनके नाम बताए.
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विलुप्त प्रजाति की चिड़ियों की खोज में निकले युवा
टीम ने ऐप के माध्यम से भी पक्षियों के नाम का पता लगाया. इस अभियान के संचालक सौरव कुमार मेहरा ने बताया कि राजनांदगांव के इतिहास में पहली बार बर्ड वॉक का आयोजन किया गया है. इसका उद्देश्य है कि विलुप्त हो रहे पक्षियोंं के बारे में आज की युवा पीढ़ी को जानकारी देना. इन पक्षियों के संरक्षण के लिए जागरूक करना है. अवकाश के दिनों में पक्षियों के संरक्षण के लिए इस अभियान को गति दी जाएगी. इनका कहना पहले पक्षियों की आमद, घर तक होती थी पर अब पक्षी शहरी क्षेत्र में नजर नहीं आते. मोबाइल टॉवर, हैवी कंस्ट्रक्शन की वजह से पक्षीयो की आबादी क्षेत्र में नजर नहीं आती . नई पीढ़ी को तो पक्षियों का नाम भी नहीं पता. इसलिए जागरूकता मुहिम चलाया जा रहा हैं . राजनांदगांव बर्ड वॉक आयोजन पर्यावरण के प्रति अपने ज़िम्मेदारियों को युवाओ को समझाया गया राजनांदगांव के इतिहास में पहली बार बर्ड वॉक का आयोजन कराया, तथा लोगो को पर्यावरण और चिड़िया के प्रति जागरूक कराया।