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Chhattisgarh: इस सरकारी स्कूल में उधार लेकर बच्चों को खिलाया जाता है खाना!

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महावीरपूर सरकारी स्कूल

Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में बच्चों का अटेंडेस और स्कूल के प्रति बच्चों का रुझान बढ़े, इसके लिए सरकार के द्वारा मध्याह्न भोजन कार्यक्रम 1995 में पूरे देश में शुरू किया गया और साल 2000 में प्रति स्टूडेंट उनके भोजन पर सरकार दो रुपये खर्च करती थी और 2023 में प्राथमिक स्कूल के बच्चों पर प्रति स्टूडेंट 5.49 रुपये खर्च किए जाते हैं. मीडिल स्कूल के बच्चों के भोजन पर 8 रुपये खर्च जाता है, जबकि इतने पैसे में इस महंगाई के दौर में एक समोसा तक नहीं मिलता है.

खीर तो केवल 15 अगस्त और 26 जनवरी को ही परोसी जाती है

दरअसल सूरजपुर जिले के महावीरपुर गांव के सरकारी स्कूल में बच्चों को उधार में मिड डे मील खिलाया जा रहा है. मंहगाई के इस दौर में जहां दाल 180 रुपये और तेल 140 रुपये लीटर है. वहीं हरी सब्जियों व मसालों का रेट भी पांच साल में दोगुना हो गया है. इसके कारण स्कूलों के मध्याह्न भोजन संचालित करने वाले महिला समूह बच्चों को क्वालिटी वाला खाना उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं. इस बात को स्कूलों के शिक्षक भी स्वीकार कर रहे हैं. यही वजह है कि बच्चों को पोषण को ध्यान में रखते हुए मेन्यू तैयार किया गया है और उसके आधार पर बच्चों को खीर, अंकुरित चना सहित अचार और पापड़ नहीं दिया जा रहा है. बच्चे साफ कह रहे हैं कि खीर तो उन्हें सिर्फ 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन दिया जाता है. छत्तीसगढ़ में 45 हजार 800 प्राथमिक व मीडिल स्कूल में 25 लाख से अधिक बच्चे पढ़ते हैं. लेकिन उनमे से ग्रामीण इलाकों में हर रोज औसत 60 फीसदी बच्चे ही स्कूल पहुंच रहे हैं.

उधार लेकर बन रहा स्कूली बच्चों के भोजन

महिला समूह और रसोइयों का कहना है कि उन्हें स्कूल में रसोई गैस से खाना बनाने का निर्देश है. लेकिन इतने कम पैसे में वे बच्चों के खाना बनाने के लिए रसोई गैस तक नहीं खरीद पा रहे हैं. इसके कारण रसोइयोंं को धुआं से परेशान होना पड़ रहा है.  बता दें कि छत्तीसगढ़ में मध्याह्न भोजन संचालित करने वाले महिला समूहों को भी कई महीनों बाद खाद्यान सामग्री का भुगतान हो पा रहा है. अम्बे समूह की अध्यक्ष अर्पिता नाग का कहना है कि एक तो पैसा कम मिलता है और उन्हें दुकानों से तेल दाल उधार लेना पड़ रहा है. कई महीने से उन्हें भुगतान नहीं हुआ है.

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