Christmas 2024: जशपुर जिले के कुनकुरी में एशिया के सबसे दूसरी बड़ी गिरजाघर एवं मसीही समुदाय के लोगों की काफी बड़ी संख्या होने के कारण यहां सप्ताह भर पहले से ही जगह जगह क्रिसमस त्यौहार की धूम दिखाई देने लगी है. जिले के कुनकुरी में एशिया का दूसरी सबसे बड़ी महागिरजाघर के अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के संस्थानों में क्रिसमस के मौके पर होने वाली विशेष प्रार्थना प्रारंभ है.
जशपुर में है, एशिया का दूसरा सबसे बड़ा चर्च
जशपुर जिले के कुनकुरी, पत्थलगांव, कांसाबेल तथा बगीचा के शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में मसीही समुदाय के लोगों ने अपने घर और संस्थानों में नाचगाने की शुरुआत कर दी है. क्रिसमस से पहले ही यंहा चरनी तैयार कर फूल तथा रंग बिरंगे बल्बों की सजावट शुरू हो गई है. यहां मसीही समुदाय के सैलानियों की फिर से भीड़ बढ़ी है. जशपुर जिले में ईसाई धर्मालंबियों की काफी बड़ी संख्या होने के कारण देश विदेश के कोने कोने से लोग अपने परिजनों के साथ क्रिसमस त्योहार मनाने पहुंच जाते हैं.
इसे बनाने में लगे थे 17 साल
दरअसल जशपुर जिले के कुनकुरी स्थित रोजरी की महारानी महागिरजाघर जशपुर जिला ही नहीं बल्कि देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं एवं ईसाई धर्मावलंबियों के आस्था का बड़ा केंद्र है. इस चर्च के निर्माण की परिकल्पना बिशप स्तानिसलाश के द्वारा बेल्जियम के प्रसिद्ध वास्तुकार कार्डिनल जेएम कार्सि एसजे की मदद से की गई थी. इसे बनाने में करीब 17 साल लगे हैं. क्रिसमस के इस अवसर पर यहां पर प्रभु यीशु मसीह का चिंतन एवं उनके जन्म संस्कार में भाग लिया जाता है साथ ही इस दौरान क्रिसमस कैरोल का गायन वादन भी होता है. प्रभु यीशु मसीह के जन्म के बाद रात से ही सभी मसीही समुदाय के अलावा अन्य धर्मों के लोग भी एक दूसरे को क्रिसमस की बधाई देते हैं.
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यहां 10 हजार से ज्यादा लोगों के बैठने की क्षमता
कुनकुरी स्थित महा गिरजाघर के साथ विभिन्न कस्बे और दूरस्थ ग्रामीण इलाकों मे इन दिनों क्रिसमस त्यौहार की खुशी में मांदर की थाप पर आदिवासियों की पारंपरिक वेशभूषा में उनके नृत्य का नजारा देखा जा रहा है. क्रिसमस पर्व का पखवाड़ा भर पहले से ही प्रभु येशु की प्रार्थना और पूजन का कार्यक्रम शुरू हो जाता है. मसीही लोग गिरजाघरों मे सुबह और शाम आध्यात्मिक प्रार्थना के लिए गिरजाघर पहुंच रहे हैं. कुनकुरी का बड़ा गिरजाघर के साथ पत्थलगांव, बासेन और कोतबा क्षेत्र मे भी मसीही परिवार के लोग अपने पूजा स्थलों पर साज सज्जा में जुट गए हैं. और क्रिसमस के गीतों की गुंज दूर दूर तक सुनाई नहीं दे रही है. आपको बता दें की 10 हजार से अधिक लोगों की एक साथ बैठने क्षमता वाले इस चर्च में क्रिसमस पर इससे कहीं अधिक लोगों की भीड़ जुटती रही है. क्रिसमस के दौरान यहां आयोजित समारोह में हर साल देश-विदेश से चार से पांच लाख लोग पहुंचते है.
कुनकुरी चर्च की नींव 1962 मे रखी गई थी. उस समय कुनकुरी धर्मप्रांत के बिशप स्टानिसलास लकड़ा थे. इस विशालकाय भवन को एक ही बीम के सहारे खड़ा करने के लिए नींव को विशेष रूप से डिजाइन किया गया. सिर्फ इस काम में दो साल लग गए. नींव तैयार होने के बाद भवन का निर्माण 13 सालों में पूर्ण हुआ था. महागिरजाघर में सात अंक का विशेष महत्व है. यहां सात छत और सात दरवाजे है. यह जीवन के सात संस्कारों का प्रतीक माना जाता है.