Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के मरवाही जिले को भालूओं के लिए जाना पहचाना जाता है. लेकिन अब यहां कुछ ऐसे जीव नजर आ रहें है जो यहां के प्रकृति से अलग हैं. मरवाही के जंगल में यूरेशियन ऑर्टर जिसे हिंदी में ऊदबिलाव कहा जाता है. यह छत्तसीगढ़ में दूसरी बार नजर आया है. मरवाही में दिखना चौकाने वाला विषय है. इस ऑटर के मिलने से अब इस क्षेत्र जैव विविधता महत्व बड़ गया है.
मरवाही का जंगल भालूओं की पहचान लेकिन पहली बाद दिखा यूरेशियन ऑर्टर
दरअसल गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के मरवाही क्षेत्र के नाका तराखर्रा में देखा गया है. इसका वीडियो नाईट विजन ट्रैप कैमरे में कैद किया गया है. इसमें साफ तौर पर सुखाड़ नदी के पास चट्टान पर चढ़ते और पानी में वापस जाते देखा गया है. इसके साथ ही ट्रैप कैमरा में हनी बैजर और जंगली कैट भी उसी जगह नजर आया है. इससे पहले वन विभाग को मरवाही के जंगल में वाइल्ड कैट भी देखा गया था. वहीं इससे पहले यूरेशियन ऑर्टर कोरबा जिले में नजर आया था. ये लुप्तप्राय जीव है. एशिया के कई हिस्सों और उत्तरी अफ्रीका के कुछ हिस्सों में पाया जाता है. लेकिन छत्तसीगढ़ में दिखने से वन विभाग भी हैरान है.
इन तीन इलाकों दिख सकते हैं ये जीव
मरवाही वनमंडल के डीएफओ शशिकुमार ने बताया कि मरवाही में पहली बार ट्रैप कैमरे में यूरेशियन ऑटर रिकॉर्ड हुआ है. इससे ये पता चलता है की यहां की ईकोसिस्टम बढ़िया है. यूरेशियन ऑटर को ईको सिस्टम अच्छा लग रहा था, इसलिए वहां दिखा है. ये जो एरिया है ये मरवाही, कोरबा और धर्मजयगढ़ के जितनी भी नदियां है. उसमे ये यूरेशियन ऑटर हो सकता है. कंजर्वेशन के लिए हम प्लान बनाएंगे. उन्होंने ये भी बताया कि छत्तीसगढ़ में तीन प्रकार के ऑर्टर मिलते है.
मिट्टी की सुरंगों और झाड़ियों में होता है घर
गौरतलब है कि यूरेशियन ऑटर का मुख्य आहार मछली है और ये ऊदबिलाव पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, म्यांमार और थाईलैंड में लुप्तप्राय और मंगोलिया में गंभीर रुप से लुप्तप्राय के रुप में सूचीबध्द किया गया है. यूरेशियन ऑटर की खासियत ये है की पानी में शिकार करते हैं और खाने की तलाश करते हैं. लेकिन यूरेशियन ऑटर के घोंसले जमीन पर होते हैं. ये घोंसले चट्टानी तटबंधों, पेड़ों की खोहों, मिट्टी की सुरंगों और झाड़ियों में पाई जाती है. यूरेशियन ऑटर इन मांदों का उपयोग आराम करने, सोने, बच्चे पैदा करने और धूप सेंकने के लिए करते हैं.