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Chhattisgarh: टेकलगुड़ा मुठभेड़ का मास्टरमाइंड था देवा? 350 से ज्यादा स्नाइपर्स के साथ नक्सलियों को जवानों के सामने उतारा, आगे थी महिलाएं

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टेकलगुड़ा मुठभेड़ की ग्राउंड रिपोर्ट

Chhattisgarh News: दक्षिण बस्तर के सुकमा और बीजापुर जिले की सरहद पर मंगलवार को नए पुलिस कैंप पर नक्सलियोंं की हमले की तैयारी ने सुरक्षाबलों को भी चौंका दिया. सुबह करीब 9 बजे सीआरपीएफ, कोबरा, डीआरजी और एसटीएफ के जवान साजो-सामान के साथ टेकलगुड़ा पहुंचे थे. कैंप स्थापना की खबर मिलते ही तीन दिशाओं से माओवादियों की पीएलजीए बटालियन ने घेरना शुरू कर दिया. सुबह से ही पुलिस को टेकलगुड़ा से 4 किमी दूर पवर्ती गांव में बटालियन के होने की सूचना मिल रही थी. लेकिन सुरक्षाबलों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि डेढ़ घंटे के भीतर नक्सली उन्हें घेर लेंगे. पीएलजीए बटालियन के 350 से ज्यादा स्नाइपर, एके 47 और बीजीएल से लैस मौके पर आ धमके.

सुबह 11.30 से लेकर शाम करीब 4 बजे तक दोनों तरफ से भीषण फायरिंग हुई. इस दौरान नक्सलियों ने सुरक्षाबलों को नुकसान पहुंचाने के लिए एक हजार से ज्यादा बीजीएल दागे. हालांकि कई बीजीएल मौके पर फटे नहीं, नहीं तो जवानों को ज्यादा नुकसान हो सकता था. पहली बार दक्षिण बस्तर में माओवादियों ने एक मीटर लंबा बीजीएल दागा.

फोर्स को भी नहीं थी टेकलगुड़ा मेंं बड़े नक्सली हमले की उम्मीद

बावजूद इसके फायरिंग में फंसे जवानोंं ने माओवादियोंं का बहादुरी से मुकाबला किया. पहली बार सीआरपीएफ जवानों ने ऑल टेरेन व्हीकल का इस्तेमाल माओवादियों को खदेड़ने में किया. बताया जाता है कि सीआरपीएफ के एक अधिकारी ने 10 से 12 जवानों के साथ व्हीकल में सवार होकर माओवादियों के एंबुश में घुस गए. ऑटोमैटिक ग्रेनेड लॉन्चर और बैलिस्टिक शील्ड जैसे एडवांस फीचर से लैस व्हीकल की मदद से जवानों ने माओवादियों के एंबुश को तोड़ने में सफल हुए. कोबरा 201 के आरक्षक पवन कुमार की हेड शॉट की वजह से शहादत हो गई. बताया जाता है कि शहादत के पहले आरक्षण पवन कुमार ने दो नक्सलियों को मार गिराया था. इधर जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली जंगल का फायदा उठाते हुए भाग खड़े हुए.

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पचास-पचास की 5-6 टीमों मेंं बंटे थे नक्सली, आगे थी महिलाएं

टेकलगुड़ा में माओवादियों ने जवानों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने की योजना बनाई थी. किस्टाराम, जगरगुंडा और पामेड़ एरिया कमेटी के 350 से ज्यादा नक्सली आधुनिक हथियार और गोला बारूद लेकर पहुंचे थे. इस दौरान बड़ी संख्या में महिला नक्सली भी मौजूद थी. वहीं नक्सलियों ने ह्यूमन शील्ड के रूप में इस्तेमाल करने आस-पास की महिलाओं को भी शामिल कर लिया था. जिसके चलते जवानों ने नक्सलियों पर सीधे तौर पर फायरिंग करने से बचते रहे. इस पूरे मुठभेड़ का मास्टरमाइंड देवा उर्फ साईनाथ बताया जा रहा है, जिसे हाल ही में माड़वी हिड़मा की जगह मिलिट्री बटालियन हेड की कमान सौंपी गई हैं.

झीरम हमले में शामिल नक्सली देवा को मिली बटालियन की कमान

टेकलगुड़ा में खुले नए पुलिस कैंप पर हमले का मास्टरमाइंड देवा का नाम झीरम कांड में आ चुका है. बटालियन की कमान मिलने से पहले देवा दरभा डिवीजन सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहा था. हाल ही में पूर्व बटालियन हेड और एक करोड़ के इनामी नक्सली माड़वी हिड़मा को सेंट्रल कमेटी मेंबर बनाए जाने के बाद देवा को नक्सलियों के सबसे खतरनाक बटालियन का प्रमुख बनाया गया है. बटालियन की नई कमान मिलने के बाद देवा उर्फ साईनाथ किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के फिराक में था. मंगलवार को देवा बटालियन के अन्य लड़कों के साथ टेकलगुड़ा पहुंचा था.

पूववर्ती गांव से है देवा और हिड़मा

टेलकागुड़ा से करीब 4 किमी दूर पूवर्ती गांव जो की खूंखार नक्सली नेता माड़वी हिड़मा का पैतृक गांव है. बस्तर में घटी अब तक की बड़ी नक्सली घटनाओं में हिड़मा ही मास्टरमाइंड रहा है. नए बटालियन चीफ की जिम्मेदारी संभाल रहे देवा उर्फ साईंनाथ भी पूवर्ती गांव का रहने वाला है. देवा पर राज्य सरकार ने 10 लाख का इनाम रखा है.

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