Durg News: एक तरफ जहाँ अयोध्या में बन रहे भगवान राम के मंदिर में किसी तरह का लोहे का उपयोग नहीं होने की चर्चा पूरे देश मे है और पूरे मंदिर का निर्माण पत्थरों से किए जाने की बात कही जा रही है. वहीं छत्तीसगढ़ में भी एक ऐसा हनुमान मंदिर है जहां पत्थर नहीं बल्कि दीये और कलश से पूरे मंदिर का निर्माण किया गया है. इस मंदिर का निर्माण पिछले 14 सालों से हो रहा है और अब भी इस मंदिर का निर्माण जारी है.
सिर्फ मिट्टी के कलश और दीयों से बना मंदिर
अक्सर आप कई प्राचीन मंदिर देखते होंगे और उसके पीछे की कहानी भी जानते होंगे. क्या आपने कभी सिर्फ ज्योति कलश (मिट्टी का मटका) से बना मंदिर देखा है. अगर आपने नहीं देखा और न सुना है, तो आज हम आपको उस कलश से बना मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं. यह कलश मंदिर छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर धमधा क्षेत्र में है. इस मंदिर का निर्माण सिर्फ़ मिट्टी के ज्योति कलश से किया गया है. मंदिर को चारों तरफ से ज्योति कलश और छोटे-छोटे मिट्टी के दीये से बनाया गया है. नीचे से लेकर ऊपर तक पूरा मंदिर का निर्माण ज्योति कलश और दीयों से किया गया है. इन कलश मंदिर के अंदर भगवान हनुमान जी विराजे हैं.
जानिए इस कलश मंदिर की दिलचस्प कहानी
इस कलश मंदिर के निर्माणकर्ता व पुजारी बाबा नरेंद्र ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण करने के पीछे उनका एक अहम मकसद है. बाबा नरेंद्र ने बताया कि अक्सर नवरात्रि के समय लोग नौ दिन तक मां दुर्गा की पूजा करने के साथ-साथ कलश में दीप जलाते हैं. 9 दिन बाद उन ज्योति कलश को तालाब या नदी में विसर्जित कर देते हैं. दीपावली के बाद अक्सर देखा जाता है कि घरों में जलाए गए दिए सड़कों पर पड़े रहते हैं. यह कलश व दीये लोगो के पैरों में लगते थे, जिसे देखकर मुझे बहुत दुख होता था. क्योंकि जिस भगवान की पूजा में वह सामग्री लगी है वह भी भगवान का के समान ही होता है.
उन्होंने कहा कि मेरे मन में एक ख्याल आया कि क्यों ना इस कलश और दीप को इकट्ठा करके इन मिट्टी के कलश से ही एक बड़े मंदिर का निर्माण किया जाए. फिर उसके बाद मैंने जहां-जहां कलश और दीये पड़े होते थे, उनको इकट्ठा करना शुरू किया और धीरे-धीरे कलश और दीये से मैंने इस मंदिर का निर्माण किया. जिस जगह पर मंदिर का निर्माण हुआ है वहाँ पहले से भगवान हनुमान जी की प्रतिमा है. लेकिन वह पहले खुले में थे और अब चारों तरफ मंदिर का निर्माण ज्योति कलश और दीये से किया गया है.
कई सालों से हो रहा है इस मंदिर का निर्माण
बाबा नरेंद्र ने बताया कि इस मंदिर का निर्माण पिछले 14 सालों से चल रहा है. अब तक इस मंदिर में एक लाख से ज्यादा मिट्टी के कलश और दीये लग चुके हैं. मौजूदा हालात में मंदिर का निर्माण 50 फीट तक हो चुका है. लोग अपनी श्रद्धा के अनुसार इस मंदिर के निर्माण के लिए लगातार दान कर रहे हैं. अब तक इस मंदिर के निर्माण के लिए मां दंतेश्वरी, मां बमलेश्वरी, मां महामाया मंदिर से मिट्टी का कलश लाया जा चुका है.