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Lok Sabha Election: 3 महीने पहले BJP के सामने शर्त रख छोड़ी कांग्रेस, अब मिला लोकसभा का टिकट, TS सिंह देव के रहे करीबी, इन नेताओं के हाथ लगी निराशा

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चिंतामणि महाराज(फाइल फोटो)

Lok Sabha Election: छत्तीसगढ़ में सरगुजा लोकसभा सीट से भाजपा ने चिंतामणि महाराज को अपना उम्मीदवार बनाया तो भाजपा के कई नेताओं के उम्मीदों पर पानी फिर गया. लेकिन भाजपा ने चिंतामणि महाराज को टिकट दिया है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह चिंतामणि महाराज के उस शर्त को माना जा रहा है जिसमें चिंतामणि महाराज ने कांग्रेस से विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर लोकसभा चुनाव में टिकट देने की डील पर भाजपा का दामन थामा था.

चिंतामणि महाराज 2013 से पहले भाजपा में ही थे, लेकिन उस दौरान उन्होंने भाजपा में इज्जत नहीं मिलने की बात कर कांग्रेस ज्वाइन कर लिया था. हालांकि महाराज को तब भाजपा ने संस्कृत बोर्ड का अध्यक्ष बनाया था. उस दौरान चिंतामणि महाराज को कांग्रेस प्रवेश कराने में टीएस सिंहदेव की महत्वपूर्ण भूमिका थी.

कांग्रेस के टिकट पर जीते चुनाव

इसके बाद चिंतामणि को लुंड्रा विधानसभा से टिकट भी दिया गया और वे विधायक बने, फिर 2018 में सामरी विधानसभा से कांग्रेस ने टिकट दिया और विधायक रहे. लेकिन इस कार्यकाल में कांग्रेस संगठन और उनके बीच दूरिया बन गई. टीएस सिंह देव और भूपेश बघेल का कथित गुट में कार्यकर्त्ता बंटे तो 2023 के विधानसभा चुनाव में चिंतामणि को कांग्रेस ने जब टिकट नहीं दिया गया.

इसके बाद चिंतामणि महाराज कांग्रेस से नाराज हो गए और इसका भाजपा ने फायदा उठाया. चिंतामणि को भाजपा प्रवेश कराने भाजपा के सभी बड़े नेता जुट गए, ताकि विधानसभा में उन्हें इसका फायदा मिले. इसमें भाजपा कामयाब हुई लेकिन चिंतामणि ने भाजपा के सामने सार्वजनिक मंच में लोकसभा में टिकट देने की शर्त रख दिया था.

इन नेताओं के हाथ लगी मायूसी

सरगुजा लोकसभा सीट से रेणुका सिंह सांसद थीं लेकिन उन्हें भाजपा ने विधानसभा में टिकट देकर विधायक बना दिया. हालांकि इसके बाद भी रेणुका सांसद का टिकट मिलने की उम्मीद में थीं. इसी तरह पूर्व गृहमंत्री रामसेवक पैकरा, पूर्व सांसद कमलभान सिंह, विजयनाथ सिंह सहित अन्य नेता भी टिकट के कतार में थे, जिन्हे अब मायूसी हाथ लगी है.

वहीं सबसे बड़ी बात अब तक भाजपा व कांग्रेस यहां गोड़ जनजाति का उम्मीदवार उतारा करते थे, लेकिन कंवर जाति के चिंतामणि महाराज को टिकट देकर भाजपा ने एक तरह से नया दांव खेला है और अब इस बात का कयास लगाया जा रहा है कि कांग्रेस भी कंवर जाति से ही तो उम्मीदवार नहीं उतारेगी.

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झारखंड में हैं अनुयायी

दरअसल, चिंतामणि महाराज संत गहिरा गुरू के बेटे हैं और सरगुजा संभाग सहित झारखण्ड के कुछ हिस्से में भी उनके हजारों की संख्या में अनुयायी हैं. इसके कारण चिंतामणि महाराज का एक सुरक्षित वोट बैंक है. यही वजह है कि चिंतामणि महाराज की शर्त को स्वीकार करते हुए भाजपा ने उन्हें पार्टी प्रवेश कराया था, जिसका भाजपा को विधानसभा चुनाव में फायदा मिला और पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव तक चुनाव हार गए क्योंकि चिंतामणि महाराज के अनुयायी भी उनके भाजपा में जाते ही अंबिकापुर विधानसभा में कांग्रेस से अलग हो गए थे.

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