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Marka Pandum: तोड़ना तो दूर गिरे आम को भी इस रस्म से पहले नहीं खाते आदिवासी…. जानिए क्या है मान्यता

Marka Pandum

Marka Pandum: गर्मियां आते ही आम का मौसम आ जाता है, बाजार में आम मिल भी रहे है, और लोग बड़े चाव से आम खाते है. लेकिन क्या आपको पता है इस आम को लेकर देश के आदिवासियों की अपनी एक अलग मान्यता है? छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग के आदिवासी आम खाने के पहले आम उत्सव मानते है, वो इसे खाने से पहले अपने देव-पुरखो को समर्पित करते है. उसके बाद ही आदिवासी आम खाते है.

चैतरई पर्व के पहले आम नहीं खाते आदिवासी

समाज प्रमुखों ने बताया कि चैतरई पर्व में आमाजोगानी परंपरा का निर्वाह किया जाता है. इसके पहले प्रकृति पूजक आदिवासी समाज के लोग आम का सेवन नहीं करते. यहां आदिवासी लोग पेड़ों से आम तोड़ना तो दूर खुद से गिरे आम भी तब तक नहीं खाते जब तक चैतरई पर्व न मना लें.

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इस परंपरा का वैज्ञानिक महत्व

अप्रैल में मनाए जाने वाले इस पर्व का वैज्ञानिक पहलू भी है. छोटे अवस्था में आम में चेर नहीं बंधते. बडे होने के बाद ही इसमें चेर बंधते हैं. आम को बड़ा होने के बाद इसे खाकर चेर को फेंक दिया जाता है. इसी चेर से वापस आम के पेड़ उगते हैं.

7 अप्रैल को मरका पंडुम पर्व का होगा आयोजन

बता दें कि इस रस्म को लेकर कांकेर जिला मुख्यालय के गोंडवाना भवन में 7 अप्रैल को मरका पंडुम का पर्व मनाया जाएगा. इस पर्व में प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी उपस्थित होंगे. मरका पंडुम पर्व को लेकर आदिवासी समाज प्रमुखों ने इस रस्म के बारे में जानकारी दी.

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