Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में अगले कुछ दिनों के भीतर नगरीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव होंगे. इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ओबीसी आरक्षण को लेकर ट्वीट ने सियासी बवाल खड़ा कर दिया है.अब प्रदेश में आरक्षण को लेकर एक बार फिर सियासी वार पलटवार देखने मिल रहा है.
भूपेश बघेल ने ओबीसी आरक्षण पर उठाए सवाल
नगरीय निकाय और पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव से पहले पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक ट्वीट किया. अपने ट्वीट में भूपेश बघेल ने आरक्षण को लेकर न सिर्फ सवाल उठाए, बल्कि राज्य सरकार पर निशाना भी साधा. उन्होंने लिखा कि छत्तीसगढ़ में पिछड़े वर्ग के लोग जिला पंचायत अध्यक्ष बनने के लिए तरस जाएंगे..पूरे राज्य में एक ही जिले में पिछड़े वर्ग को आरक्षण मिलेगा. बहुत हुआ तो दो..उन्होंने इसकी वजह बताई भाजपा सरकार की ओर से आरक्षण के प्रावधानों में किए गए बदलाव को.उन्होंने कहा कि अगर ओबीसी को 50% आरक्षण मिलेगा तो कुल आरक्षण 96% हो जाएगा…… जबकि भाजपा बार-बार कह रही है आरक्षण सीमा 50% ही रखा जाएगा.
दरअसल वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 32% अनुसूचित जनजाति, 13% अनुसूचित जाति और 27 प्रतिशत ओबीसी को आरक्षण दिया गया है. 50% से ज्यादा आरक्षण कांग्रेस की सरकार ने किया था..जिसे फिलहाल राजभवन से मंजूरी नहीं मिली है. क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार 50% से ज्यादा आरक्षण नहीं दिया जा सकता. यही वजह है कि अब इस पर सियासत भी तेज हो गई है. आरक्षण पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का बयान भी सामने आया है.
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साय कैबिनेट ने OBC को 50% आरक्षण देने का लिया फैसला
दरअसल पिछले महीने साय कैबिनेट में ओबीसी आरक्षण को लेकर छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की सिफारिश पर निर्णय लिया था. इसके अनुसार त्रि-स्तरीय पंचायत एवं नगरीय निकाय के चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के प्रथम प्रतिवेदन एवं अनुशंसा अनुसार आरक्षण प्रदान किए जाने का निर्णय लिया गया.इसके तहत स्थानीय निकायों में आरक्षण की एकमुश्त सीमा 25 प्रतिशत को शिथिल कर अन्य पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या के अनुपात में 50 प्रतिशत आरक्षण की अधिकतम सीमा तक आरक्षण प्रदान किया जाएगा..ऐसे निकाय जहां पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का आरक्षण कुल मिलाकर 50 प्रतिशत या उससे अधिक है..वहां अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण उस निकाय में शून्य होगा. यदि अनुसूचित जाति, जनजाति का आरक्षण निकाय में 50 प्रतिशत से कम है. तो उस निकाय में अधिकतम 50 प्रतिशत की सीमा तक अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण होगा. परंतु यह आरक्षण उस निकाय की अन्य पिछड़ा वर्ग के आबादी से अधिक नहीं होगा.निकाय के जिन पदों के आरक्षण राज्य स्तर से तय होते हैं जैसे जिला पंचायत अध्यक्ष, महापौर, नगर पालिका अध्यक्ष इत्यादि..उन पदों के लिए ऐसे निकायों की कुल जनसंख्या के आधार पर उपरोक्त सिद्धांत का पालन करते हुए आरक्षित पदों की संख्या तय की जाएगी.
कांग्रेस नेताओं के आरोपों पर उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कहा.केंद्र और राज्य सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग समेत सभी वर्गों के हित के लिए काम कर रही है. भूपेश बघेल ओबीसी के नाम पर केवल राजनीति करते हैं. जब मुख्यमंत्री थे तब भी ओबीसी समाज को धोखा दिया.आज उनके मुंह से ओबीसी हित की बात शोभा नहीं देती.
छत्तीसगढ़ में निकाय और पंचायती राज संस्थाओं में चुनाव से पहले आरक्षण को लेकर राजनीतिक बयानबाजी तेज होने लगी है.ऐसे में आने वाले दिनों में ओबीसी आरक्षण को लेकर सियासी गर्माहट और बढ़ सकती है.ऐसे में देखना होगा कि राज्य सरकार कैसे सभी वर्गों को संतुष्ट कर पाती है. जिसका असर सत्ताधारी पार्टी भाजपा और विपक्ष कांग्रेस पर किस तरह होगा, यह देखना भी दिलचस्प होगा.