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Raipur: इमरजेंसी में मदद देने वाले DIAL 112 को खुद मदद की जरूरत, 15 महीने से धूल खा रही 300 बोलेरो गाड़ियां

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Raipur: हमारे जीवन में कई बार इमरजेंसी आ जाती है. इमरजेंसी क्राइम, स्वास्थ्य और अग्नि से जुड़ी भी हो सकती है. इस वक्त DIAL 112 को कॉल करने की हिदायत दी जाती है. लेकिन छत्तीसगढ़ में ये सुविधा खुद इमरजेंसी में है क्योंकि उनकी मदद कोई नहीं कर रहा है. छत्तीसगढ़ में डायल 112 के लिए 40 करोड़ में खरीदी गई नई चमचमाती 300 बोलोरो गाड़ी पिछले 15 महीना से खुले आसमान के नीचे धूल खा रही है. पुलिस विभाग ने इसे खरीदा अब सुध लेने वाला कोई नहीं है.

इमरजेंसी में मदद देने वाले DIAL 112 को खुद मदद की जरूरत

पिछली सरकार में 15 महीने पहले डायल- 112 को 22 अन्य जिलों में शुरू करने के लिए डायल- 400 बोलोरो गाड़ी खरीदी गई. जिसमें 300 गाड़ियों का डिलीवरी कंपनी ने कर दी थी. वहीं दूसरे स्लॉट में 100 गाड़ियां आनी बाकी हैं. पुलिस विभाग ने गाड़ियां तो मंगा किया लेकिन इनके संचालन की जिम्मेदारी आज तक नहीं सौंप पाई. जिसके कारण 8 माह से यूं ही गाड़ी खड़ी रह गई और गाड़ियों को अब नुकसान होना शुरू हो गया है. दरअसल, साल 2022-23 के बजट में सरकार ने डायल 112 के लिए फंड दिया था. फंड वापस ना हो जाए इसलिए शासन ने गाड़ियों की खरीदी के लिए टेंडर निकला, खरीदी की प्रक्रिया 2023 में शुरू हुई इसके लिए एक कमेटी बनाई गई उसे कमेटी ने महिंद्रा की बोलेरो बी 6 को फाइनल किया. जिसकी कीमत 10 लाख रुपए है, लेकिन पिछले कई महीनो से यह गाड़ियां अमलेश्वर स्थित बटालियन में खड़ी है. गाड़ी खड़ी होने की सूचना मिलने पर विस्तार न्यूज की टीम मौके पर जब पहुंची तो हमें अन्दर जाने से रोक गया.

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धूल खा रही 300 बोलेरो गाड़ियां

बता दें कि 40 करोड़ की 400 बोलेरो खुले आसमान के नीचे है, इसे संचालन करने वाली एजेंसी का आता पता नहीं है. वहीं छत्तीसगढ़ के 11 शहरों में सुविधा चल रही है. 22 जिलों में अब तक  डायल 112 नहीं पहुंच पाई. वहीं एक बोलेरो गाड़ी की कीमत 10 लाख है. इससे पहले 2018 में 252 सूमो गाड़ी खरीदी गई थी. ये 20 करोड़ रुपए की थी. अभी 11 शहरों में सूमो गाड़ी दौड़ रही है.

लगभग गाड़ियां 15 महीने से खड़ी है ऐसे में स्वाभाविक है गाड़ियों के नहीं चलने से उनमें खराबी भी आनी शुरू हो जाएगी. ऑटो एक्सपर्ट का कहना है कि लंबे समय से खड़ी सभी गाड़ियों में बैटरी की समस्या आ जाती है. वहीं अगर चूहा गाड़ी में घुसे तो पूरी वायरिंग को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं. मामले में जिम्मेदार पुलिस विभाग के बड़े अधिकारियों ने ऑफ स्क्रीन तो जानकारी दी, लेकिन ऑन स्क्रीन कुछ कहने से बचते नजर आए. वही उनका यह भी कहना था कि जल्द नए एजेंसी को जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी. इसके बाद गाड़ियों का उपयोग शुरू कर देंगे.

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