Chhattisgarh News: सरगुजा संभाग के पम्पापुर में एक दशक पहले जब सहकारी शक़्कर कारखाना खुला तो किसानों ने गन्ने की खेती ज्यादा जमीनों पर शुरू कर दी . इससे किसानों की आर्थिक हालत सुधरी लेकिन अब किसानों के सामने सबसे बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है और वह है गन्ना की खेती में सिंचाई के लिए अधिक मात्रा में पानी की जरुरत. इसकी वजह से बेतरतीब हजारों बोरवेल खोदे गए और अब हर साल जल स्तर गिरता जा रहा है. ऐसे में सिंचाई के आधुनिक तरीकों का उपयोग करने किसानों को प्रेरित करने की जरूरत है तो वहीं बेतरतीब होने वाले बोरवेल पर अंकुश लगाना भी आवश्यक है.
50 हजार एकड़ में हो रही गन्ना की खेती
दरअसल सरगुजा संभाग के सूरजपुर और बलरामपुर सहित सरगुजा जिले के 16 हजार किसान करीब 50 हजार एकड़ में गन्ना की खेती कर रहे हैं. इसकी खेती के लिए किसानों ने खेतों में करीब 30 हजार से अधिक बोरवेल करके रखा हुआ है. अब यहां गन्ना की खेती को एक दशक हो गया है, तो गन्ना की खेती के लिए अधिक पानी की जरुरत पड़ने के वजह से भू जल स्तर भी लगातार गिरता जा रहा है.
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किसान करा रहे गहरी बोरवेल
किसानों का कहना है कि जब इलाकें में गन्ना की खेती नहीं होती थी तब इतने बोरवेल नहीं थे और भू जल स्तर भी 100-150 फ़ीट तक में गर्मी के दिनों में भी बोरवेल चलते थे लेकिन अब किसान 250-300 फ़ीट गहरा बोरवेल करा रहे हैं ताकि गर्मी के दिनों में अप्रैल और मई महीने में गन्ना की खेतो में सिंचाई कर सके. कई किसानों के बोरवेल तो जवाब दे दिए तो उन्होंने अब नए बोर कराएं हुए हैं.
सौर सुजला योजना के तहत पंप लगाया जा रहा
बात दें कि बलरामपुर जिले के रेवतपुर, धंधापुर, परसवारकला गांव का ज़ब विस्तार न्यूज़ की टीम ने जायजा लिया तो सामने आया कि यहां गन्ना किसानों ने 50-50 मीटर तक में बोरवेल कर दिया है. जब बोरवेल काम करना बंद करता है तो किसान और अधिक गहरा बोर कराते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि सोलर एनर्जी से सरकार द्वारा सौर सूजला योजना के तहत बोरवेल में सब्सिडी के माध्यम से सौर पम्प लगाया जा रहा है जिसके कारण बोरवेल की संख्या बढ़ी है.