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Surajpur: गरीबों को मिलने वाले सरकारी चावल पर डाका, दुकानदारों ने किया 15 करोड़ से ज्यादा का घोटाला!

Gwalior PDS scam: Dead people are consuming ration worth Rs 7.79 lakh every month

प्रतीकात्मक तस्वीर

Surajpur: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले में खाद्य विभाग के अधिकारियों के लापरवाही की वजह से गरीबों के राशन में डाका डाला जा रहा है. यहां पर राशन दुकानदारों ने 15 करोड़ से अधिक का राशन घोटाला किया है, और राशन घोटाला पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है, सिर्फ दिखावे के लिए खाद्य विभाग के अधिकारियों ने दो दुकानदारों के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया है, जबकि 127 राशन दुकानों में एक घोटाला हुआ है.

दुकानदरों ने किया 15 करोड़ से ज्यादा का घोटाला

केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा गरीबों को मुफ्त में राशन देने के लिए योजना संचालित की जा रही है और इस योजना की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी खाद्य विभाग के अधिकारियों के पास है लेकिन खाद विभाग के अधिकारियों के लापरवाही की वजह से राशन दुकानदारों के द्वारा गरीबों को दिए जाने वाले अनाज में ही घोटाला किया जा रहा है. यहां गरीबों को उनके हक का राशन नहीं मिल पा रहा है या मिल रहा है, तो काम मिल रहा है लेकिन इसके बाद भी जमीनी स्तर पर सरकार की इस महत्वपूर्ण योजना की जमीनी स्तर पर निगरानी नहीं की जा रही है इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि खाद विभाग के अधिकारियों की राशन दुकानों के संचालकों के साथ तगड़ी सेटिंग है.

अधिकारी कर रहे लीपापोती

यही वजह है कि गड़बड़ी सामने आने के बाद भी राशन दुकानदारों को बचाने की कोशिश हो रही है और कहा जा रहा है कि एसडीएम के कोर्ट में मामला चलाया जा रहा है जबकि हकीकत में ऐसा नहीं है यही वजह है कि अब तक राशन दुकान संचालकों के खिलाफ वसूली की कार्यवाही नहीं हो सकी है। वही राशन पाने वाले लोगों का कहना है कि यह सब विभाग के अधिकारियों के लापरवाही और मिलीभगत की वजह से हो रही है और उन्हें उनका हक नहीं मिल पा रहा है.

छत्तीसगढ़ खाद्य एवं पोषण सुरक्षा अधिनियम 2012 के तहत अन्नपूर्णा योजना के राशनकार्डधारियों को विशेष अंत्योदय राशनकार्ड जारी किया गया है. विशेष अंत्योदय राशनकार्ड में हितग्राहियों को 10 किलो चावल निःशुल्क और 25 किलो चावल 1 रुपए प्रति किलो की दर से प्रतिमाह प्राप्त करने की पात्रता है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKAY) के तहत मुफ्त राशन मिल रहा है, सरकार इन योजनाओं के तहत गरीबों को मुक्त चावल देने के लिए हर महीने करोड़ों रुपए खर्च कर रही है और इसी चावल को लेकर राजनीति होती रही है इसी चावल पर वोट बैंक तय होता है लेकिन इसके बाद भी खाद विभाग के अधिकारी ऐसे बदनाम दुकानदारों के खिलाफ कार्रवाई करने की तो वह दूर इन दुकानदारों को राशन वितरण की जिम्मेदारी से भी नहीं हटा रहे हैं.

127 दुकानों में हुआ राशन घोटाला

सूरजपुर में 400 राशन दुकान हैं, जिसमें से 127 दुकानों में राशन घोटाला हुआ है. 3001 क्विंटल चावल दुकानों के सत्यापन में गायब मिला है. मतलब साफ है कागजो मे चावल था और गोदाम खाली था. चावल के साथ शक़्कर व चना भी गायब मिला है.

राशन दुकानों की मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी फूड इंस्पेक्टर की होती है लेकिन ये इंस्पेक्टर दुकानों का भौतिक सत्यापन नहीं करते हैं राशन दुकानों की निगरानी के लिए समितियों का भी गठन किया जाता है लेकिन समितियां भी सिर्फ कागजों में ही काम करती हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह भी है कि अधिकतर राशन दुकान के संचालक राजनीतिक पहुंच रखने वाले लोगों से जुड़े हुए हैं नेताओं से भी इनकी तगड़ी सेटिंग होती है और यही वजह है कि खाद्य विभाग के अधिकारी भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर पाते हैं. वहीं इस मामले में अब खाद्य विभाग के जिला खाद्य अधिकारी कार्यवाही की बात कर रहें हैं.

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