Chhattisgarh News: लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ के कई दलों के नेताओं को अपने पाले में लाने की तैयारी कर रही है. आम आदमी पार्टी के प्रदेश स्तर के दर्जनों नेताओं के भाजपा में शामिल होने के बाद यह चर्चा तेज हो गई है कि आप जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नेता भी भाजपा का दामन थाम सकते हैं. जकांछ अध्यक्ष अमित जोगी ने पिछले दिनों केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इसके बाद उन्होंने मुलाकात की एक तस्वीर ट्वीट की थी.
अमित जोगी की तस्वीर सोशल मीडिया में आने के बाद यह चर्चा तेज हो गई कि जोगी भी भाजपा में शामिल होंगे. अमित जोगी के करीबी सूत्रों की मानें तो गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के दिन यह तय हुआ था कि 22 जनवरी के बाद योगी को दिल्ली बुलाया जाएगा. वहीं वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में अमित जोगी और पार्टी के अन्य नेताओं का भाजपा प्रवेश होगा. प्रदेश के विधानसभा चुनाव में अमित जोगी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ पाटन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा था. हालांकि अमित जोगी को करीब 5000 वोटो से संतोष करना पड़ा था.
कोरबा से बन सकते हैं भाजपा के उम्मीदवार
आपको बता दें कि राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि अमित जोगी को भाजपा कोरबा से उम्मीदवार बना सकती है. हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का इस पर अब तक कोई अधिकृत बयान नहीं आया है. कोरबा लोकसभा क्षेत्र से वर्तमान में कांग्रेस की ज्योत्सना महंत सांसद हैं. जो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और वर्तमान नेता प्रतिपक्ष डॉ चरण दास महंत की पत्नी हैं. कोरबा सीट पर पहली बार कांग्रेस को जीत मिली है. इससे पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के बंसीलाल महतो सांसद चुने गए थे.
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इंडिया गठबंधन के बाद राज्यों में बिखरता आप का कुनबा
लोकसभा चुनाव में भाजपा से मुकाबले के लिए कई पार्टियों ने मिलकर इंडिया गठबंधन तैयार किया, जिसका साइड इफेक्ट राज्यों की राजनीति में देखने को मिल रहा है. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन अस्तित्व में आया. इससे पहले अलग-अलग राज्यों में पार्टियां अपने-अपने तरीके से चुनाव लड़ रही थी. इन पांच राज्यों में छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी. इसके खिलाफ इंडिया गठबंधन में शामिल हुए दलों की लगातार बयानबाजी सामने आ रही थी. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की चुनावी सभाएं हो रही थी, जिसमें निशाने पर कांग्रेस थी. हालांकि गठबंधन के बाद आम आदमी पार्टी के सुर बदले और कांग्रेस की जगह अपने निशाने पर भाजपा को लाने की कवायद शुरू हुई. जैसे ही आप के केंद्रीय संगठन ने अपनी चुनावी रणनीति बदली, राज्यों में आप संगठन से जुड़े नेताओं के आगे दुविधा की स्थिति आ गई. छत्तीसगढ़ और राजस्थान में जहां आप खुलकर कांग्रेस सरकार का विरोध कर रही थी, अब वह सन्नाटे में आ गई.