Year Ender 2024: आपको याद होगा कि केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यहीं छत्तीसगढ़ में आकर कहा था. मार्च 2026 तक नक्सलवाद पूरी तरह से खत्म हो जाएगा. और इस डेडलाइन पर तेजी से काम हो रहा है. केंद्र सरकार की इसी लाइन पर काम करते हुए नक्सलवाद पर चौतरफा प्रहार किया जा रहा है. डबल इंजन की सरकार के संकल्प से माओवाद अंतिम सांसे गिन रहा है. सरकार आत्मसमर्पण करने वालों का स्वागत कर रही है. हिंसा करने वालों को गिरफ्तार कर रही है. और हथियार उठाकर लोगों की जान लेने वाले नक्सलियों को सजा दे रही है.
नक्सलवाद के लिए काल बनकर आया 2024
नक्सलियों के लिए साल 2024 सबसे नुकसानदायक रहा है. हमारे जवान हर मोर्चे पर नक्सलियों पर भारी पड़े हैं. सटीक रणनीति बनाकर नक्सलवाद पर डबल अटैक किया जा रहा है. एक तरफ हमारे जवान लगातार नक्सलियों के गढ़ में घुसकर सफाया कर रहे हैं.
दूसरी तरफ बड़े-बड़े नक्सलियों की गिरफ्तारी भी हो रही है. साथ ही लोन वर्राटू और नियद नेल्लानार जैसी योजनाओं से प्रभावित होकर. बड़ी संख्या में नक्सली आत्मसमर्पण भी कर रहे हैं. जिसके चलते लाल आतंक का दायरा तेजी से सिमट रहा है.
साल 2024 में 113 मुठभेड़, 220 नक्सली हुए ढेर
छत्तीसगढ़ में साल 2024 में नक्सलियों और जवानों के बीच कुल 113 मुठभेड़ हुई हैं. जिसमें जवानों ने 220 से ज्यादा नक्सलियों को ढेर किया है. और 217 नक्सलियों का शव बरामद किया गया है. वहीं इस साल 857 से ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार किया गया है. जबकि सरकार की योजनाओं से प्रभावित होकर 837 से ज्यादा नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. साल 2024 में कुल 19 जवान शहीद हुए हैं. और 104 जवान घायल हुए हैं. जबकि घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में जाकर जवानों ने 25 से ज्यादा कैंप खोले हैं.
ये भी पढ़ें- CG News: साय कैबिनेट की साल की आखिरी बैठक खत्म, राइस मिलरों को लेकर हुआ फैसला
डबल इंजन की सरकार लक्ष्य- माओवाद का जड़ से खात्मा
4 महीनों में गृह मंत्री अमित शाह दो बार छत्तीसगढ़ आ चुके हैं. माओवाद को लेकर दो बड़ी बैठकें हुई हैं. पहले नक्सलवाद के खात्मे का प्लान तैयार हुआ. फिर इस प्लान की समीक्षा की गई. 24 अगस्त को अमित शाह ने नक्सलवाद पर बैठक ली. जिसमें 7 राज्यों के अधिकारी शामिल हुए. और पहली बार सभी नक्सल प्रभावित राज्यों ने एक साथ मिलकर एंटी नक्सल ऑपरेशन चलाने की शुरुआत की. जिसके चलते नक्सल विरोधी अभियान मजबूत हुआ. और हमारे जवानों ने पाताललोक में घुसकर नक्सलियों का सफाया किया. 16 दिसंबर को दूसरी बार अमित शाह ने वामपंथी उग्रवाद पर बैठक ली. जिसमें एंटी नक्सल ऑपरेशन की समीक्षा की गई. साथ ही अमित शाह ने घोर नक्सल प्रभावित इलाके गुंडम का भी दौरा किया. इन दोनों दौरे के बीच हमारे जवानों ने करीब 100 नक्सलियों को मार गिराया.
पहली बार दिल्ली पहुंचे नक्सल पीड़ित, राष्ट्रपति से की मुलाकात
इन सबके बीच भारत के इतिहास में पहली बार नक्सल पीड़ित लोग दिल्ली पहुंचे. और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिले. नक्सल प्रभावित लोगों का अमित शाह ने खुद स्वागत किया. और उनके दर्द को सुना.
नक्सलियों के पाताललोक ‘अबूझमाड़ का जंगल’ में जवानों का जलवा
अबूझमाड़ का जंगल, जिसे नक्सलियों का पाताललोक कहते हैं. वो भी अब नक्सलियों के लिए सुरक्षित नहीं है. हमारे जवानों की हर गोली नक्सलियों के लिए काल बन गई है. इन सबके बीच NIA जैसी केंद्रीय एजेंसियाँ भी नक्सलियों के नेटवर्क को तोड़ने का काम कर रही हैं. छापेमारी करके शहरों में रहने वाले नक्सलियों के हमदर्दों की गिरफ्तारी हो रही है. नक्सलियों के कनेक्शन को ब्लॉक किया जा रहा है. और फंडिंग रोककर नक्सलवाद को आर्थिक चोट पहुंचाई जा रही है. जवानों और NIA की कार्रवाई नक्सलियों पर सीधा प्रहार है.
नक्सलियों के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार- बस्तर का विकास
लेकिन नक्सलवाद की कमर तोड़ने के लिए सबसे बड़ा हथियार क्या है, जानते हैं. नक्सलियों के खात्मे के लिए सीधी लड़ाई से भी ज्यादा खतरनाक है बस्तर का विकास. बस्तर के विकास के लिए डबल इंजन की सरकार लगातार मेहनत कर रही है. बिजली, पानी और सड़क के साथ लोगों को अच्छी योजनाओं का लाभ मिल रहा है. प्रधानमंत्री आवास योजना, महतारी वंदन, नियद नेल्लानार और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं से बस्तर का विकास हो रहा है. जिसके चलते माओवादी विचारधारा का अस्तित्व खत्म हो रहा है.