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AAP ने खोला गारंटी का पिटारा, केजरीवाल बोले- 3 पुराने वादे रह गए अधूरे, लेकिन इस बार करेंगे पूरा!

AAP Manifesto

केजरीवाल की गारंटी!

AAP Manifesto: दिल्ली के सियासी रंगमंच पर एक बार फिर आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार एंट्री मारी है. दिल्ली विधानसभा चुनाव की आहट में अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को अपनी पार्टी के घोषणा पत्र में कुल 15 गारंटियों का ऐलान किया. इन गारंटियों में दिल्लीवासियों के लिए कुछ नए और कुछ पुराने वादे शामिल हैं. और जैसे ही केजरीवाल ने यह ऐलान किया, उनका एक और बयान चर्चा का विषय बन गया, “हम पिछले 5 साल में 3 वादे नहीं पूरे कर पाए, लेकिन इस बार उन्हें पूरा करने का भरोसा है!” आप सोच रहे होंगे, ऐसा क्या हुआ कि केजरीवाल को सार्वजनिक तौर पर अपने पुराने वादों को कबूल करना पड़ा? तो आइए, जानते हैं पूरी कहानी.

‘केजरीवाल की पक्की गारंटी’

दिल्ली विधानसभा चुनाव में AAP के नेता अरविंद केजरीवाल ने ‘केजरीवाल की पक्की गारंटी’ का नारा देते हुए 15 गारंटियों का ऐलान किया है, और दावा किया है कि यह सब सिर्फ वादा नहीं, बल्कि उनके इरादे हैं. इन गारंटियों में रोजगार से लेकर महिला सम्मान योजना, संजीवनी योजना और पानी के गलत बिलों के सुधार तक की बातें शामिल हैं. खासकर महिलाओं को 2100 रुपये महीने देने की योजना और बुजुर्गों के इलाज की गारंटी ने चुनावी मैदान में हलचल मचा दी है.

15 गारंटियों में क्या खास है?

केजरीवाल ने घोषणा की कि उनकी सरकार बनी तो दिल्लीवासियों को मिलेंगी 15 गारंटियां. इनमें कुछ ऐसे वादे भी हैं, जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली और पानी जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर आम जन का ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की गई है. एक और खास बात यह है कि केजरीवाल ने इन गारंटियों के साथ यह भी कहा कि उनकी सरकार, 6 ‘रेवड़ियां’ और बांटेगी, यानी और भी सुविधाएं! अब सवाल उठता है, ये रेवड़ियां क्या होंगी? क्या ये चुनावी वादे सिर्फ लुभाने के लिए हैं या सच में दिल्लीवासियों की जिंदगी में बदलाव लाएंगे? इसका जवाब तो आने वाले चुनावों में ही मिलेगा.

इससे पहले क्या-क्या घोषणाएं की हैं?

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हम नहीं कर पाए-केजरीवाल

केजरीवाल ने स्वीकार किया कि उनकी सरकार पिछले पांच सालों में कुछ पुराने वादों को पूरा नहीं कर पाई. इस बयान के साथ ही, दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने तीन बड़े वादों का जिक्र किया, जो अधूरे रह गए थे. हालांकि, उन्होंने इसके लिए जनता से माफी नहीं मांगी, बल्कि नए घोषणापत्र में उन वादों को फिर से प्रमुखता से शामिल किया और यह आश्वासन दिया कि इस बार वे इन्हें पूरा करेंगे.

खुद की नाकामियों को स्वीकार करना और उन पर फिर से विश्वास जताना, ये किसी भी सियासी रणनीति का हिस्सा हो सकता है, लेकिन जनता को यकीन दिलाना कि इस बार सब कुछ सही होगा, यह एक बड़ी चुनौती होगी.

आलस्य नहीं, नीयत की कमी थी-केजरीवाल

केजरीवाल ने कहा कि 3 वादे पूरे न कर पाने के पीछे कोई आलस्य नहीं था, बल्कि नीयत में कमी थी. अब सवाल यह है कि क्या दिल्लीवाले इस बार इन नए वादों और पुराने वादों के बीच संतुलन बना पाएंगे? क्या केजरीवाल और उनकी पार्टी इस बार उन वादों को निभा पाएगी जिनमें पिछले चुनावों के बाद कुछ हद तक चूक हुई थी?

इतिहास बताता है कि दिल्ली के चुनाव में AAP ने हमेशा कुछ नया पेश किया है, चाहे वो मुफ़्त बिजली हो या फिर दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार. लेकिन इस बार, यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये घोषणाएं सिर्फ चुनावी स्टंट साबित होंगी या इनसे दिल्लीवासियों की जिंदगी में सच में बदलाव आएगा?

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