Delhi Politics: दिल्ली की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आया जब अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया. यह निर्णय, मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि एक गहरी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. केजरीवाल का यह कदम आने वाले चुनावों और राजनीतिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, जिससे वह न सिर्फ विपक्ष को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं, बल्कि अपनी पार्टी के भीतर भी एक सशक्त नेतृत्व को उभारने की योजना बना रहे हैं.
सोच-समझकर उठाया कदम
आतिशी को मुख्यमंत्री बनाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, लेकिन एक बड़ा कारण यह भी है कि वह एक महिला हैं. आमतौर पर, महिला नेताओं पर राजनीतिक विरोधियों के हमले अपेक्षाकृत कम होते हैं. अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया की तुलना में आतिशी को टारगेट करना विपक्ष के लिए थोड़ा मुश्किल हो सकता है. यही कारण है कि इस बार बीजेपी और कांग्रेस को सोच-समझकर अपनी रणनीति बनानी होगी.
इसके साथ ही, महिला सशक्तिकरण का यह संदेश भी केजरीवाल की छवि को और निखारने में मदद करेगा. आम आदमी पार्टी ने महिलाओं की भागीदारी को हमेशा बढ़ावा दिया है, और आतिशी को मुख्यमंत्री बनाना इसी दिशा में एक और मजबूत कदम माना जा सकता है.
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आतिशी का प्रशासनिक अनुभव
आतिशी के पास प्रशासनिक अनुभव है, जो इस नई भूमिका में उनकी सफलता का आधार बन सकता है. 2020 में विधायक बनने के बाद से उन्होंने कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां निभाई हैं. जब मनीष सिसोदिया जेल गए, तब उन्हें मंत्री पद भी सौंपा गया. अब, मुख्यमंत्री के रूप में वह कैबिनेट की बैठकों की अध्यक्षता करेंगी और फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी. लेकिन यह ध्यान में रखना होगा कि फैसले लेने के पहले उन्हें अरविंद केजरीवाल की सहमति लेनी होगी. हालांकि, इस बात की पूरी संभावना है कि आतिशी, केजरीवाल के निर्देशों का पालन करते हुए ही अपने कार्यों को अंजाम देंगी.
स्वाति मालीवाल का हमला
जहां आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया, वहीं स्वाति मालीवाल ने उनके खिलाफ आवाज उठाई है. स्वाति मालीवाल ने हाल ही में मुख्यमंत्री आवास पर कथित हमले के बाद से अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला है. इसके जवाब में आम आदमी पार्टी ने स्वाति मालीवाल के इस्तीफे की मांग की है. ऐसे में आतिशी के सामने पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगह चुनौतियां हैं.
राजनीतिक विरोधियों की रणनीति
दिल्ली की राजनीति में बीजेपी और कांग्रेस पहले से ही आतिशी के खिलाफ नैरेटिव गढ़ने की कोशिश में जुटे हैं. बीजेपी ने पहले ही बांसुरी स्वराज को दिल्ली में राजनीतिक मोर्चे पर उतारा है. बांसुरी स्वराज, सुषमा स्वराज की बेटी हैं, और उनके राजनीति में आने से दिल्ली की राजनीति में एक नया मोड़ आया है. हालांकि, आतिशी को टारगेट करना विपक्ष के लिए उतना आसान नहीं होगा, क्योंकि वह एक मजबूत महिला नेता के रूप में उभर रही हैं.
अरविंद केजरीवाल ने आतिशी को मुख्यमंत्री बनाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की है. यह कदम आने वाले चुनावों में आम आदमी पार्टी को नए आयाम दे सकता है. महिला सशक्तिकरण, प्रशासनिक अनुभव और राजनीतिक चुनौती का सामना करने वाली आतिशी, दिल्ली की राजनीति में एक नई पहचान बना रही हैं. हालांकि, यह देखना बाकी है कि वह अरविंद केजरीवाल की रणनीति को कितनी अच्छी तरह से लागू कर पाती हैं और विपक्ष के हमलों का सामना कैसे करती हैं.