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AAP और राहुल की लड़ाई, BJP कहां से आई…”, अचानक क्यों मजे लेने लगे केजरीवाल? बोले- सबकी ‘चालें’ सामने आएंगी

अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी और अमित मालवीय

अरविंद केजरीवाल, राहुल गांधी और अमित मालवीय

Delhi Election 2025: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर सियासी पारा चढ़ चुका है, और इस बार का मुकाबला केवल बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच नहीं, बल्कि कांग्रेस भी मैदान में उतर चुकी है. राहुल गांधी ने इस बार दिल्ली में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. राहुल के बयान से यह साफ है कि कांग्रेस इस चुनाव में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल करने के लिए गंभीर है. राहुल गांधी ने न केवल पीएम मोदी, बल्कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी हमला बोला है.

राहुल ने साधा केजरीवाल और मोदी पर निशाना

दिल्ली के सीलमपुर इलाके में एक जनसभा के दौरान राहुल गांधी ने खुलकर अपनी बात रखी. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के साथ-साथ अरविंद केजरीवाल पर भी जमकर निशाना साधा. राहुल ने कहा कि मोदी जी की तरह ही केजरीवाल भी प्रचार और झूठे वादों के जरिए जनता को बहलाते हैं. राहुल गांधी ने कहा, “जैसे मोदी जी ने लोगों से पेरिस जैसा भारत बनाने का वादा किया था और उसे पूरा नहीं कर पाए, वैसे ही केजरीवाल भी दिल्ली को पेरिस बनाने के वादे में नाकाम रहे हैं.” राहुल ने आरोप लगाया कि केजरीवाल ने दिल्ली में भ्रष्टाचार खत्म करने का वादा किया था, लेकिन वह इसमें भी विफल रहे हैं. उन्होंने कहा कि दोनों नेता, मोदी और केजरीवाल, दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और अल्पसंख्यकों के हक की बात करने से कतराते हैं.

जाति जनगणना और आरक्षण पर सवाल

राहुल गांधी ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दे पर सवाल उठाया, और वह था जाति जनगणना और आरक्षण का. उन्होंने कहा कि जब भी वह जाति जनगणना की बात करते हैं, तब मोदी और केजरीवाल दोनों चुप रहते हैं. राहुल ने आरोप लगाते हुए कहा कि दोनों नेता चाहते हैं कि पिछड़े वर्ग, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यकों को उनकी उचित हिस्सेदारी ना मिले. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि केजरीवाल को सार्वजनिक रूप से यह कहना चाहिए कि वह आरक्षण की सीमा बढ़ाना चाहते हैं और जाति जनगणना करवाना चाहते हैं.

केजरीवाल का पलटवार

राहुल गांधी के हमले के बाद, अरविंद केजरीवाल ने भी पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी अपनी पार्टी को बचाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि वह देश को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. केजरीवाल ने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता उन्हें गालियां दे रहे हैं, लेकिन वह उनके बयानों पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. इसके अलावा, केजरीवाल ने बीजेपी पर भी हमला बोला. उन्होंने कहा कि जब उन्होंने राहुल गांधी पर एक लाइन बोली, तो जवाब बीजेपी से आ रहा है.

अमित मालवीय ने क्या कहा?

दरअसल, बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के IT प्रमुख अमित मालवीय ने कटाक्ष करते हुए टिप्पणी की, “देश की चिंता बाद में करना, पहले नई दिल्ली सीट बचाएं.” केजरीवाल विधानसभा में नई दिल्ली विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं.

इसके बाद केजरीवाल ने जवाब दिया, “बहुत बढ़िया. मैंने राहुल गांधी के बारे में एक लाइन लिखी और बीजेपी की ओर से प्रतिक्रिया आई. देखिए, बीजेपी कितनी परेशान है. यह दिल्ली चुनाव शायद कांग्रेस और भाजपा के बीच सालों पुरानी साझेदारी को उजागर करेगा.

राष्ट्रीय राजधानी में 5 फरवरी को होने वाले चुनाव में सत्तारूढ़ AAP, विपक्षी BJP और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है. AAP और कांग्रेस, जिन्होंने महीनों पहले सहयोगी के रूप में आम चुनाव लड़ा था, अब राजधानी में एक दूसरे खिलाफ हैं और जमकर टीका टिप्पणी कर रहे हैं.

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दिल्ली में फिर से जमीन तैयार करने के लिए तैयार कांग्रेस

दिल्ली विधानसभा चुनाव में अब कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, और बीजेपी के बीच मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है. राहुल गांधी ने जो संकेत दिए हैं, उनसे यह स्पष्ट है कि कांग्रेस इस बार दिल्ली की राजनीति में सक्रियता से भाग लेने को तैयार है. उन्होंने दिल्ली में कांग्रेस के लिए फिर से अपनी जमीन तैयार करने की योजना बनाई है. वहीं, अरविंद केजरीवाल की पार्टी AAP भी किसी भी तरह से अपना दबदबा बनाए रखने के लिए जोरदार तरीके से चुनाव प्रचार कर रही है.

यह मुकाबला केवल राजनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह दिल्ली की जनता के भविष्य और उनके अधिकारों को लेकर एक सशक्त बहस का हिस्सा बन चुका है. दोनों प्रमुख पार्टियां अपनी-अपनी रणनीतियां लागू कर रही हैं, और दिल्ली की राजनीति अब पहले से कहीं ज्यादा तीव्र और दिलचस्प हो चुकी है.

नतीजा क्या होगा?

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या कांग्रेस दिल्ली में अपनी खोई हुई ताकत को फिर से पा सकेगी, या फिर केजरीवाल की नेतृत्व वाली AAP और बीजेपी की संयुक्त ताकत इस चुनाव में कांग्रेस को पछाड़ देगी. जाति जनगणना, आरक्षण और भ्रष्टाचार के मुद्दे इस चुनावी संघर्ष का अहम हिस्सा बनने वाले हैं, और यह तय करेगा कि दिल्ली की जनता आखिर किसे अपनी कुर्सी सौंपेगी.

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