Autism: भारत में ऑटिज़्म एक गंभीर समस्या बनती जा रही है. आज के दौर में मां-बाप अपने बच्चों के भीतर इस बीमारी को लेकर काफ़ी आशंकित हैं. यह एक न्यूरो डेवलपमेंट डिसऑर्डर है. इसमें पीड़ित बच्चे को सोशल कम्युनिकेशन और बातचीत में दिक़्कत का सामना करना पड़ता है. इसके अलावा इससे पीड़ित बच्चों को सीखने-समझने और पढ़ने-लिखने में भी अलग-अलग परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आदेश या निर्देश देने पर ये सुनते नहीं हैं और अपनी धुन में पाए जाते हैं. लेकिन, ऐसा नहीं है कि अगर कोई बच्चा ऑटिज्म का शिकार है तो उसकी दुनिया ख़त्म है या फिर वह बिल्कुल भी मानवीय संवेदनाओं या समझ से परे है.
मिसाल के तौर पर नोएडा के युवान अवस्थी सबसे अच्छे उदाहरण हैं. युवान की उम्र 7 साल की है और यह ऑटिज़्म से पीड़ित हैं. लेकिन, 5 साल की उम्र से यह बच्चा लोगों में इस हेल्थ समस्या को लेकर लोगों को जागरूक करने का काम कर रहा है. युवान अभी दूसरी कक्षा के छात्र भी हैं और साथ ही एक ऐसे ग्रुप के साथ जुड़े हैं जो समाज सेवा के अलग-अलग क्षेत्रों में काम करता है. ये ग्रुप जिसे अब ‘युवान रिसर्च फ़ाउंडेशन’ के नाम से जाना जाता है, इसके सबसे कम उम्र के वॉलंटियर हैं. आज की तारीख़ में ये कई सारे टॉक शोज़ और इवेंट्स के ज़रिए लोगों में ऑटिज़्म के प्रति जागरुकता अभियान चला रहे हैं. लोगों तक पहुंच बनाने के लिए यूट्यूब और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म का भी इस्तेमाल कर रहे हैं.
दिव्यांग बच्चों का हौसला बढ़ाने के लिए युवान ने ग्राफिक और एनिमेटेड स्टोरीज भी तैयार कराईं. इस कोशिश के चलते कई सारे बच्चे जो न्यूरो से जुड़ी परेशानियों का सामना कर रहे हैं, उन्हें एक उम्मीद जरूर दिखी है.
2021 में प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक, भारत में 68 बच्चों में से लगभग एक के भीतर ऑटिज़्म के लक्षण पाए जा रहे हैं. विशेषज्ञ ऑटिज़्म के कारणों को लेकर किसी ख़ास नतीजे तक नहीं पहुंचे हैं. लेकिन, कई रिसर्च में दावा किया गया है कि यह जेनेटिक कारक और जन्म के समय किसी कठिनाई के चलते पेश आती है. स्पीच डेवलपमेंट न होना, हाथ या शरीर की असामान्य मूवमेंट, खेलना, आई कॉन्टैक्ट न बना पाना, नाम सुनकर रिएक्ट न करना, दूसरों के साथ कनेक्ट न कर पाना, खिलौनों से अजीब तरह से खेलना ये कुछ बड़े लक्षण हैं, जो ऑटिज्म के संकेत देते हैं.