आनंद अप्रैल में आम आदमी पार्टी और दिल्ली सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा देकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में शामिल हो गए थे. इसके बाद उन्हें नोटिस का जवाब देने के लिए 10 जून की तारीख दी गई थी. लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया. उसी नोटिस में उन्हें 11 जून को शारीरिक रूप से उपस्थित होने के लिए कहा गया था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए. उन्हें 14 जून को शारीरिक रूप से उपस्थित होने का एक और मौका दिया गया था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए. दिल्ली विधानसभा से अब उनकी सदस्यता समाप्त कर दी गई है.”
बसपा में शामिल हुए राज कुमार आनंद
लोकसभा चुनाव से पहले आनंद बहुजन समाज पार्टी में शामिल हुए थे और उन्होंने नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा की थी. अरविंद केजरीवाल मंत्रिमंडल में समाज कल्याण मंत्री रहे आनंद ने 10 अप्रैल को अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. 21 मार्च को दिल्ली के सीएम की गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार से यह पहला इस्तीफा था. आनंद ने इस्तीफा देने का कारण बताते हुए कहा, “AAP का जन्म भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए हुआ था, लेकिन आज पार्टी भ्रष्टाचार के दलदल में फंस गई है. मेरे लिए मंत्री पद पर काम करना मुश्किल हो गया है. मैंने मंत्री पद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया है, क्योंकि मैं अपना नाम इस भ्रष्टाचार से नहीं जोड़ सकता.
यह भी पढ़ें: ननद से हार के बावजूद Sunetra Pawar के राज्यसभा जाने पर NCP में खटपट, अजित गुट के भीतर बढ़ता असंतोष पार्टी के लिए कहीं
समाज कल्याण समेत कई मंत्रालय संभाल चुके आनंद ने आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी के शीर्ष नेताओं में कोई दलित नहीं है. उन्होंने अरविंद केजरीवाल पर भी कटाक्ष किया, जो आबकारी नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में हैं और दिल्ली हाई कोर्ट से कोई राहत पाने में विफल रहे हैं. जंतर-मंतर से अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि राजनीति बदलेगी तो देश बदलेगा. आनंद ने कहा, “राजनीति नहीं बदली है, लेकिन राजनेता बदल गए हैं.”
2022 में दिल्ली के कैबिनेट मंत्री बने थे राज कुमार
पटेल नगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक आनंद ने भारतीय जनता पार्टी के प्रवेश रत्न को 30,000 से अधिक मतों के अंतर से हराकर पटेल नगर सीट से 2020 का दिल्ली विधानसभा चुनाव जीता. नवंबर 2022 में वे दिल्ली के कैबिनेट मंत्री बने. उनके पास श्रम एवं रोजगार, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति, भूमि एवं भवन, सहकारिता और गुरुद्वारा चुनाव विभागों का अतिरिक्त प्रभार भी था.