Arvind Kejriwal News: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की रिहाई और गिरफ्तारी के खिलाफ वाली याचिका पर अहम फैसला सुनाया. कोर्ट ने दिल्ली के सीएम को बड़ा झटका देते हुए उनकी याचिका खारिज कर दिया. दिल्ली शराब घोटाला मामले में कोर्ट ने कि प्रवर्तन निदेशालय(ED) की गिरफ्तारी को सही ठहराया है. बता दें कि केजरीवाल 9 दिनों से तिहाड़ जेल में बंद हैं.
सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में AAP नेता
अरविंद केजरीवाल की याचिका पर फैसला पढ़ते हुए कोर्ट ने कई अहम टिप्पणी भी की. कोर्ट ने कहा कि ED ने हमारे सामने पर्याप्त सबूत पेश किए हैं. जो बयानों को ED ने पेश किया है, वह बताते हैं कि गोवा के चुनाव के लिए पैसा भेजा गया था. HC ने केजरीवाल को रिमांड में भेजने के फैसले को भी बरकरार रखा है. AAP के अन्य नेता इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है.
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हाईकोर्ट के फैसले की अहम टिप्पणियां
- शराब नीति केस में केजरीवाल का रोल: कोर्ट ने कहा कि शराब नीति केस के गवाह राघव मुंगटा और शरथ रेड्डी के बयान PMLA के तहत रिकॉर्ड किए गए हैं. ED की ओर से जुटाई गई गई सामग्री से पता चलता है कि अरविंद केजरीवाल ने साजिश रची थी और अपराध की आय के इस्तेमाल और छिपाने में सक्रिय रूप से शामिल थे. ED के मामले से यह भी पता चलता है कि वह निजी तौर पर और आम आदमी पार्टी के बतौर संयोजक भी शामिल थे.
- गिरफ्तारी की टाइमिंग: कोर्ट ने कहा कि हम मानते हैं कि गिरफ्तारी और रिमांड की जांच कानून के हिसाब से होगी ना कि चुनाव के समय को देख कर. कोर्ट ने इस दौरान टिप्पणी कि केजरीवाल चुनाव की तारीखों से वाकिफ होंगे और उन्हें पता होगा कि इलेक्शन कब होने वाले हैं. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि गिरफ्तारी का वक्त ED ने तय किया है.
- ED के सबूत: कोर्ट ने कहा कि ED ने दस्तावेज और सबूत पेश किए गए हैं, जिससे साबित होता है कि ED ने कानूनों का पालन किया है. ट्रायल कोर्ट का ऑर्डर महज 2 लाइन का नहीं था. ED के पास हवाला कारोबारियों और गोवा चुनाव के आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों के भी बयान हैं. ED ने हमारे सामने पर्याप्त सबूत पेश किए हैं.
- सरकारी गवाहों के बयान: कोर्ट ने कहा कि अप्रूवर के बयान दर्ज करने के तरीके पर संदेह करना अदालत और जज पर आक्षेप लगाने के समान होगा. कोर्ट ने आगे कहा कि अप्रूवर का कानून एक साल से पुराना नहीं, बल्कि 100 साल से ज्यादा पुराना है. ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता कि इसे केजरीवाल को फंसाने के लिए बनाया गया था.
- चुनाव टिकट और इलेक्टोरल बॉन्ड: कोर्ट ने कहा कि शरत रेड्डी ने इलेक्टोरल बॉन्ड से BJP को पैसा दिया, इससे इस कोर्ट को मतलब नहीं है. यह हम नहीं देखेंगे कि किसने किसको चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया और किसने किसको इलेक्टोरल बॉन्ड दिया.
- वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ: कोर्ट ने कहा कि यह दावा कि केजरीवाल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ की जा सकती है, इसे खारिज किया जाता है. यह आरोपी तय नहीं करेगा कि जांच किस तरह की जाए. जांच आरोपी की सुविधा के मुताबिक नहीं की जा सकती.
- विशेष सुविधा देना: किसी को सिर्फ इस वजह से राहत नहीं मिल सकती, क्योंकि वह एक सरकारी व्यक्ति है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अगर जांच एजेंसी को लगता है कि जांच के लिए गिरफ्तारी जरूरी है तो वह गिरफ्तार कर सकती है.
- कोर्ट और राजनीति: जज कानून से बंधे हैं ना कि राजनीति से. कोर्ट राजनीति की दुनिया में दखल नहीं दे सकती.
- केस में केंद्र का जिक्र: हम संवैधानिक नैतिकता की चिंता है, ना कि राजनीतिक नैतिकता की. मौजूदा केस केंद्र और केजरीवाल के बीच नहीं है. यह केस केजरीवाल और ED के बीच है.