Swati Maliwal: आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल इन दिनों चर्चाओं में हैं. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल के पीए बिभव कुमार पर स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट का आरोप है. लेकिन एक ऐसा भी समय था जब स्वाति का AAP के साथ करीबी रिश्ते थे. आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की समर्थक रहीं स्वाति का पार्टी और उसके नेता के साथ ‘दोस्त से लेकर दुश्मन’ तक का संबंध रहा है.
आज शनिवार को दिल्ली पुलिस ने स्वाति मालीवाल से मारपीट के मामले में बिभव कुमार को गिरफ्तार कर लिया है और स्वाति की मेडिकल रिपोर्ट में चोट के निशान पाए गए हैं. उनका दावा है कि ये चोट 13 मई को दिल्ली में मुख्यमंत्री आवास पर विवाद के दौरान लगी थी. जब उनके साथ बदसलूकी और मारपीट की गई थी.
ये भी पढ़ें- Lok Sabha Election: थमा प्रचार का शोर, 8 राज्यों से 695 प्रत्याशी मैदान में, जानिए पांचवें चरण की खास बातें
AAP ने की सुलझाने की कोशिश
हालांकि, शुरुआत में केजरीवाल की पार्टी ने इस मामले को सुलझाने की कोशिश की थी, लेकिन जैसे ही स्वाति ने विभव कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई तब से ये मामला खुलकर सबके सामने आ गया. अब यह मामला बड़े स्तर पर राजनीतिक विवाद में बदल गया और चुनावी मौसम में आम आदमी पार्टी के लिए एक समस्या बनता जा रहा है. तो चलिए जानते हैं स्वाति मालीवाल की आम आदमी पार्टी के साथ उस यात्रा की जो एक दोस्ती से दुश्मनी में कैसा बदल गया ?
हमेशा से केजरीवाल के कोर ग्रुप में शामिल
स्वाति मालीवाल करीब 2 दशकों से केजरीवाल के साथ हैं, वह 2006 में AAP के प्रमुख और दिल्ली के पूर्व मंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा संचालित ‘परिवर्तन’ नामक NGO में शामिल हुईं और उनके साथ मिलकर काम करने लगीं. NGO ने दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में राशन वितरण में नियमितता पर ध्यान केंद्रित किया. सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के नेतृत्व वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान भी स्वाति मालीवाल केजरीवाल के पक्ष में मजबूती से खड़ी थीं. इस दौरान आंदोलन की रणनीति तैयार करने से लेकर विरोध प्रदर्शन करने तक स्वाति हमेशा केजरीवाल के कोर ग्रुप का हिस्सा रहीं.
केजरीवाल के साथ राजनीतिक शुरुआत
जब केजरीवाल ने अन्ना हजारे से अपने रास्ते अलग कर लिए और मुख्यधारा की राजनीति में एंट्री करने का फैसला किया तो स्वाति मालीवाल ने भी केजरीवाल के साथ राजनीति में शामिल होने का रास्ता अपनाया. साल 2013 में अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के समर्थन से राष्ट्रीय राजधानी में 49 दिनों की सरकार बनाई थी. उस समय स्वाति मालीवाल ने न चुनाव लड़ा और न ही सरकार का हिस्सा बनीं.
दिल्ली महिला आयोग की मिली जिम्मेदारी
इसके बाद 2014 में अरविंद केजरीवाल ने सरकार से इस्तीफा दे दिया और वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया. पार्टी के तमाम नेताओं के साथ स्वाति मालीवाल भी वाराणसी में प्रचार में शामिल हुईं, लेकिन केजरीवाल ने 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत हासिल की और मुख्यमंत्री बने. यही वह समय था जब स्वाति को दिल्ली महिला आयोग का प्रमुख चुना गया. अचानक निरीक्षण करने, महिला सुरक्षा के विषय पर दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजने से लेकर कई अन्य मुद्दों पर स्वाति मालीवाल ने जिम्मेदारी संभाली.
केजरीवाल के लिए इंसुलिन की मांग
बता दें कि दिल्ली शराब घोटाले में जब केजरीवाल को गिरफ्तार किया गया था, तब मालीवाल भारत में नहीं थीं, लेकिन उन्होंने अरविंद केजरीवाल के लिए इंसुलिन की मांग की थी और जब वह अमेरिका में थीं, तब भी उन्होंने जेल में केजरीवाल के स्वास्थ्य पर चिंता व्यक्त की थी. कुछ दिन पहले उन्होंने दिल्ली शराब घोटाले में जमानत पर रिहा होने पर संजय सिंह की सराहना की थी.