WAR 2 Review: यशराज फिल्मस स्पाई यूनिवर्स की एक था टाइगर, टाइगर जिंदा है, वॉर, पठान, टाइगर 3 के बाद WAR 2 रिलीज हो गई है. ये रितिक रोशन और टाइगर श्रॉफ के वॉर मूवी का सीक्वल भी है. नो डाउट ये बॉलीवुड के सबसे बड़े क्लैश में से एक था, लेकिन भाई ईमानदारी से यहां ऐसा कुछ भी होता नहीं दिखता. ये फिल्म आपकी उम्मीदों के टायर को पूरी तरह पंचर कर देती है, लेकिन ऐसा क्यों है, पहले ये जान लेते हैं.
क्या कहती है फिल्म की स्टोरी?
कबीर यानी ऋतिक रोशन अब देश का गद्दार है, पैसों के लिए किसी का भी खून करता है. उसे कली नाम का एक ऑर्गेनाइजेशन बुलाता है ,जो हिंदुस्तान को तबाह करना चाहता है. क्या वो ऐसा करेगा? फिर उसे विक्रम यानी जूनियर NTR मिलता है. वो कौन है, दोस्त या दुश्मन, फिर आपको पता है कि देश खतरे में है. क्या होगा, देश तो बचाना ही है है. क्योंकि 2 हीरो हैं. आगे क्या होगा ये देखने मत जाना क्योंकि फिल्म बहुत घटिया है.
ऋतिक रोशन के सामने फीके दिखे जूनियर एनटीआर
ऋतिक रोशन अच्छे लगे, उनका काम अच्छा है लेकिन कुछ नया नहीं है. जूनियर NTR ने पूरी तरह ओवरएक्टिंग की है. उन्हें देखकर लगता है वो कुछ और करना चाहते हैं, लेकिन कर नहीं पा रहे. ऋतिक के सामने वो पूरी तरह फेल हो जाते हैं. उनका पूरी तरह से मिसयूज किया गया है. क्या वो विलेन हैं या हीरो और NTR का रोल इसमें एक्सजेक्टली क्या है वो तो आपको मूवी देखने के बाद ही पता चलेगा. अगर देखने जायेंगे तो, कियारा आडवाणी अच्छी लगी हैं लेकिन उनका स्क्रीन स्पेस काफी कम है. आशुतोष राणा जैसे दिग्गज को कुछ ही सीन में निपटा दिया. अनिल कपूर एक कैमियो रोल में आते हैं और बढ़िया लगे हैं.
बेपटरी है डायरेक्शन और राइटिंग
ये विश्वास करना मुश्किल है कि ये कहानी आदित्य चोपड़ा ने लिखी है. अयान मुखर्जी को ऐसी फिल्में बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. वो प्रोड्यूसर और दर्शक दोनों के पैसों को बर्बाद कर रहे हैं. अयान मुखर्जी से जो एक्सपेक्टेशन था, डायरेक्शन के मामले में लेकिन फिल्म देख कर भाई वो मीम याद आ गया कि ‘भाई साहब कुछ ज्यादा नहीं हो गया ये मतलब कुछ भी’ स्टार्टिंग फ्रेम से हर बार कुछ ज्यादा ही करने की कोशिश की जा रही थी. जो साफ-साफ दिख रहा था. लेकिन जिसमें एक्शन सबसे सामने आएगा ट्रेन पर गाड़ी चढ़ाना हो ट्रेन पर कूदना हो प्लेन वाली लड़ाई हो एक जगह वो वाटर बोट है जो नॉर्मल तो बिल्कुल भी नहीं होनी चाहिए है.
ना तो वाटर बोट को एग्जस्ट लगा के उड़ा दिया भाई सामने 20 लोग ऑटोमेटिकमशीन गन से गोलियां चला रही है. इधर सामने हीरो हीरोइन के हाथ में 9एमएम पिस्टल है, भाई जिससे वो गोली चला भी रहे हैं और सामने वाला मर भी रहा है. इनको एक भी गोली नहीं लग रही. वीएफएक्स भी बहुत सी जगह पर लो ग्रेड लगता है. आई डोंट नो अयान मुखर्जी ने अपना वीएफएक्स पूरा ब्रह्मास्त्र में ही यूज कर लिया है कि क्या? इतना घटिया VFX, मतलब फोन पर इससे ज्यादा बढ़िया एडिटिंग हो जाती है.
म्यूजिक में क्वालिटी नहीं
गाने आपको इसके थोड़े बहुत अच्छे लग सकते हैं क्योंकि एक्टर्स ने काफी अच्छा डांस किया है. नो डाउट एकदम एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी डांस है लेकिन गानों को दूसरी बार सुनने का भी मन नहीं करता. कोई एक हुक सॉन्ग या हुक बीजीएम नहीं है जो थिएटर से बाहर निकलने के बाद आपको अच्छी तरह से याद रह जाए, तो कुल मिलाकर म्यूजिक भी खराब ही मान लो.
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ओवरऑल कैसी रही फिल्म?
ये फिल्म देखकर आपको गुस्सा आएगा कि ये फिल्म क्यों बनी. कहानी कहीं से कहीं पहुंच जाती है. हीरो पेरिस से पालिका बाजार पहुंच जाता है. एक सीन में जूनियर NTR को गोली लगती है और अगले सीन में वो बिल्कुल ठीक, प्लेन पर तो ऐसे-ऐसे फाइट सीन हैं कि आप रो देंगे कि भाई दर्शक को समझा क्या है. ज्यादा नहीं बोलना चाहूंगा स्टोरी के बारे में क्योंकि आप शायद देखना चाहते हो मूवी तो देखो भाई लेकिन पर्सनली मैं दुखी हूं. लास्ट में दो क्रेडिट सीन्स भी है वो भी एक के बाद एक ही आते हैं. नेक्स्ट मूवी अल्फा का भी एक हिंट दिया गया है लेकिन Im not intrested in that क्योंकि यहां दो इतने बड़े एक्टर्स को ढंग से यूज नहीं कर पा रहे हैं. मेकर्स तो आगे आने वाली फिल्में मैं क्या ही प्रेडिक्शन करूं.
मेरी तरफ से फिल्म को 5 में से 2 स्टार्स
