अनंत सिंह-
5 साल पहले अक्षय कुमार, दिलजीत दोसांझ, करीना कपूर और कियारा आडवाणी की फिल्म ‘गुड न्यूज’ ने हमारा खूब मनोरंजन किया था और वैसे भी मैं मानती हूं कि कॉमेडी फिल्म देखने के इनविटेशन को मना करना घोर पाप है. आज की बिजी और स्ट्रेस से भरी जिंदगी में हंसना बेहद जरूरी है और ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? फिल्म देखकर हंसी नहीं आएगी. इसलिए कॉमेडी फिल्मों को देखने में कोई रिस्क नहीं होता और मुझे वैसे भी विक्की कौशल पर पूरा भरोसा भी था. इसलिए ‘बैड न्यूज’ तुरंत देख डाली. ये फिल्म एक लाइन में खत्म हो जाए, इतनी प्रेडिक्टेबल (घिसी पिटी) है, लेकिन विक्की कौशल इस फिल्म को मजेदार बनाते हैं. उनकी एक्टिंग, कॉमेडी टाइमिंग के आगे तो भाभी 2 तृप्ति डिमरी की बोल्डनेस भी फीकी पड़ जाती है. अब मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं, ये विस्तार से जान लेते हैं.
स्टोरी लाइन:
फिल्म की शुरुआत अनन्य पांडे के कैमियो रोल से होती है, जो एक्टर बनी है और सलोनी बग्गा यानी तृप्ति डिमरी से मिलने आती है, ताकि दुनिया के सबसे बड़े शेफ पुरस्कारों में से एक मेरिका अवार्ड को जीतने की उसकी सफलता की कहानी जान सकें क्योंकि अनन्या को सलोनी की बायोपिक में काम करना है.
तो वह तृप्ति की तारीफ भी करती है कि आप तो नेशनल क्रश बन चुकी है भाभी 2 बन चुकी हैं तो अपनी कहानी बताइए इसके साथ ही वह यह भी जानना चाहती है की सलोनी यानी तृप्ति डिमरी दो बापों के जुड़वा बच्चों की मां कैसे बनी तो सलोनी अपनी कहानी बताना शुरू करती है कि दिल्ली की एक पंजाबी पार्टी मैं वह अखिल यानी विकी कौशल से कैसे मिलीऔर, इसके पहले की आडियंस कुछ खास समझ पाएं दोनों शादी करके पंजाबी स्टाइल में ही हनीमून पर भी निकल जाते हैं. अखिल का अपना एक पास्ट है. इसके चलते वह अपनी मां की कोई फोन कॉल मिस नहीं कर सकता.अब सलोनी इससे परेशान होती है. सलोनी इससे और ज्यादा परेशान रहती है कि अखिल उसके साथ कुछ ज्यादा ही ‘पीडीए’ करता रहता है. अब एजेंसी का जमाना है तो पीडीए का मतलब तो आप जानते ही होंगे तो ‘शौक’ और ‘सपने’ का फर्क समझाने निकली कहानी में दूसरा हीरो गुरबीर यानि एमी विर्क है, जिसके होटल में सलोनी दूसरी नौकरी करने जाती है. अखिल से चिढ़ी बैठी सलोनी गुरबीर के साथ हमबिस्तृर हो जाती है और उसी रात अपनी एनिवर्सरी मनाने पहुंचे अखिल को भी मना नहीं कर पाती और उसके साथ हमबिस्तर हो जाती है. और उसका रिजल्ट यह निकलता है कि सलोनी प्रेग्नेंट हो जाती है और उसे यह पता चलता है उसके पेट में जो बच्चा है.
एम्मी विर्क और विकी कौशल तो नहीं उसके बाप है यह एक बायोलॉजिकल कंडीशन की वजह से हुआ है. जिसे हेटेरोपैटरनल सुपरफेकंडेशन कहते हैं टॉप सलोनी को लगता है कि कहीं उनका बच्चा बड़ा होकर यह ना बोलने वालों की इसलिए वह दोनों से पैटरनल टेस्ट करने के लिए कहती है ताकि वह चूज कर सके कि इन दोनों में से कौन बेटर बाप बन सकता है. अब इसके बाद फिल्म से फेमिनिज्म और साइंस का लॉजिक निकाल दिया जाए तो फिल्म एक अच्छी कॉमेडी फिल्म बन गई है. जो आप देखोगे तो आपको मजा आएगा.
इस फिल्म में मैं चुटकुलों का प्रयोग बहुत अच्छा किया गया है‘ हरकतें तेरी श्रीशांत वाली हो लेकिन इज्जत तुम्हें पूरी धोनी वाली मिलेगी’, ‘तुम्हारा पति तो तुम्हारे लिए दूसरों को पीटता है लेकिन बगलवाला कबीर देखो प्यार प्रीती से करता है और मारता भी उसी को है’ जैसे कुछ चुनिंदा डायलॉग और करण जौहर, विक्की-कटरीना का रेफरेन्स देकर लिखे गए कुछ पर्सनल डायलॉग अच्छे जमे हैं लेकिन बाकी पूरी फिल्म में कुछ ऐसे खास डायलॉग नहीं है जो हमेशा के लिए याद रहें, इससे अच्छा तो ढाई मिनट का स्त्री 2 का ट्रेलर था जो मैंने फिल्म से पहले देखा था, उस ट्रेलर में इससे कई बढ़िया डायलॉग शामिल किए गए थे. कई-कई जगह ऐसे भी लग रहा है कि फिल्म बिना वजह ज्यादा खींची गई है.
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एक्टिंग:
एक्टिंग की अगर बात करें तो ये फिल्म विक्की कौशल के नाम है. डायरेक्टर आनंद तिवारी के साथ उनकी ट्यूनिंग पुरानी है और फिल्म का पूरा तमाशा है भी, उन्हीं के नाम है फिल्म की राइटिंग हालांकि कमजोर है लेकिन विक्की कौशल नेक्स्ट स्टार की तरफ अपनी एक्टिंग से उसको कवर कर दिया. मंदिर में मां के साथ बैठे विक्की कौशल का खुद को ‘सबसे अच्छा बेटा’ न होने की बात कहना या फिर तृप्ति के साथ वाले दृश्य में फोन को लेकर अपने अतीत के बारे में बताने वाले दृश्य विक्की कौशल ने कमाल किए हैं. कॉमेडी में एमी विर्क के साथ वह बेजोड़ लगे हैं और रोमांटिक सीन्स में तृप्ति डिमरी के साथ इक्वली हॉट भी दिखते है. और ‘तौबा तौबा’ गाने में उन्होंने जो जादू किया है, वो तो कमाल है.
तृप्ति डिमरी में ‘एनिमल’ की रिलीज के बाद से जो निखार आया है, उन्हें उसका फायदा मिलने वाला है यहां भाभी नंबर 2 का जिक्र यहां इस फिल्म में भी आया है और तृप्ति की जो personality है, या उनके चेहरे पर जो एक अनोखी मासूमियत है, उसमें उनका छोटे कपड़े पहन कर एक्सपोज करना भी खराब नहीं लगता है. अनन्या पांडे के साथ वाले हर दृश्य में वह स्टार किड अनन्या से कई गुना बेहतर नजर आती है. और अब उनकी शोहरत को नए लेवल तक ले जाने में ये कॉमेडी फिल्म ही उनकी बड़ी मदद करने वाली है.
वहीं भुज द प्राइड ऑफ इंडिया’ और ‘83’ जैसी फिल्मों के साइड हीरो रहे एमी विर्क पहली बार किसी हिंदी फिल्म की मेन लीड में हैं और उनकी मौजूदगी परदे पर अपने अलग रंग जमाने में कामयाब रहती है. विक्की कौशल और तृप्ति डिमरी के सामने हालांकि प्रेम त्रिकोण में उनका जोड़ जमता नहीं है लेकिन इस कहानी का यही रंग उन्हें इसमें फिट भी करता है. मां कोरोना के किरदार में नेहा धूपिया अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल हैं. शीबा चड्ढा फिल्म दर फिल्म अपनी इस नई पारी में भी निखरती जा रही हैं. फर्टिलिटी सेंटर चलाने वाले डॉक्टर के किरदार में फैसल राशिद भी अपना असर छोड़ने में कामयाब रहे. फिल्म के करीब 80 फीसदी संवाद और गाने पंजाबी में हैं, ये इस फिल्म की बड़ी कमजोरी है. अगर आपको काम चलाऊ पंजाबी आती है तो ही ये फिल्म आप ‘एंजॉय’ कर सकते हैं.
तो आखरी में यही कहूंगा कि कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जिन्हें देखने के लिए दिमाग नहीं लगाना पड़ता बल्कि मैं तो कहूंगा दिमाग को फ्रिज में रखकर आना पड़ता है और वैसे भी दिमाग हम हमेशा लगाते हैं, अब फिल्म देखते टाइम भी लगाएं, फिल्म एंटरटेन होने के लिए देखी जाती है और ये फिल्म आपको सिर्फ और सिर्फ एंटरटेन करती है, ये एक मस्त टाइम पास फिल्म है जिसे बिना लॉजिक के देखेंगे तो मजा आएगा. और हां एक और बात यह जो तौबा तौबा गाना है वह फिल्म के लास्ट में आएगा तो उसे देखने के लिए रुक जाना क्योंकि हमारे यहां तो पूरा थिएटर एंड में विक्की के गाने तौबा तौबा को देखने के लिए रुकता है, क्योंकि विक्की की एनर्जी यहां कमाल है.