Ek Deewane Ki Deewaniyat Movie Review: हर्षवर्धन राणे की फिल्म ‘सनम तेरी कसम’ इस साल जब री -रिलीज हुई तो थियेटर में लाइन लग गई. जो फिल्म अपनी रिलीज के वक्त नहीं चली थी वो फिर से जब आई तो कमाल कर गई, तो इसी उम्मीद से हम हर्षवर्धन की नई फिल्म ‘एक दीवाने की दीवानियत’ देखने थिएटर पहुंचा. कम शोज होने के बाद भी यंगस्टर्स ये फिल्म देखने आए थे, और वो निराश नहीं हुए. उन्हें फिर से ऐसा हर्षवर्धन देखने को मिला जो उन्हें चाहिए था और साथ में सोने पे सुहागा सोनम बाजवा ने भी कमाल कर दिया है.
जबरदस्त है फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी एक बेहद पॉवरफुल और दबंग पॉलिटिशियन के बेटे विक्रमादित्य भोसले (हर्षवर्धन राणे) की है. शहर में उसका ऐसा खौफ है कि CM भी उसे अपनी सीट ऑफर कर देता है. माय लाइफ माय रूल्स वाली कहावत आपने सुनी होगी ये एग्जेक्टली उसी टाइप का कॅरेक्टर है, उसे बचपन से ऐसे माहौल में पाला गया कि उसकी हर ख्वाहिश पूरी होती गई, तो पॉलिटिक्स और पावर के नशे में चूर विक्रम की नजर जब बॉलीवुड की चमकती स्टार अदा (सोनम बाजवा) पर पड़ती है, तो वह उसे पाने की ठान लेता है. अदा उसे बिलकुल भाव नहीं देती उसके लिए विक्रम एक घमंडी मर्द है और उसके लिए प्यार का मतलब सिर्फ इज्जत और बराबरी है. उसके प्यार में पागल विक्रम उसे एक महीने में शादी करने का अल्टीमेटम देता है और साम-दाम-दंड-भेद हर तरीका लगाता है, तो अदा की आत्मा तक झकझोर जाती है.
फिर अदा खुलेआम उसके खिलाफ खड़ी हो जाती है और उसकी जिद का जवाब उसी तेवर में देती है. कहानी तब खतरनाक मोड़ लेती है जब अदा, गुस्से में ऐलान कर देती है, ‘जो दशहरे तक विक्रम को जान से मारेगा, मैं उसके साथ एक रात गुजारूंगी.’ अब इसके बाद क्या होगा, क्या विक्रम को अदा मिल पायेगी या इसका कुछ और ही अंजाम होगा. ये जानने के लिए फिल्म देखना पड़ेगा.
हर्षवर्धन राणे की बेमिसाल एक्टिंग
हर्षवर्धन राणे का काम जबरदस्त है. उनका एक अलग स्वैग दिखता है और इसी अंदाज के लोग दीवाने हैं. उनकी आंखों में कमाल की इंटेंसिटी दिखती है. उनकी डायलॉग डिलीवरी जबरदस्त है. एक नेता की बॉडी लैंग्वेज को भी उन्होंने अच्छे से पकड़ा है. सोनम बाजवा ने कमाल का काम किया है. वो लगती तो खूबसूरत हैं ही उनकी एक्टिंग भी बढ़िया है. वो कोई बेचारी नहीं लगती जो एक सिरफिरे आशिक से परेशान है. वो भी अलग तरह से दिवानियत दिखाती हैं और बस आप देखते रह जाते हैं. शाद रंधावा ने अच्छा और अहम किरदार निभाया है. अनंत महादेवन का रोल अच्छा है. हर्षवर्धन के पिता के रोल में सचिन खेडकर बढ़िया हैं.
रेट्रो थीम म्यूजिक ने किया कमाल
डायरेक्टर मिलाप जावेरी ने बढ़िया काम किया है. मुंबई का कलरफुल बैकड्रॉप, रेट्रो थीम का म्यूजिक, खूबसूरत कोरियोग्राफी और कॉस्ट्यूम से सजे गाने, बैकग्राउंड स्कोर और 90 के दशक का नॉस्टाल्जिक प्यार-मोहब्बत वाला फील फिल्म में डाला है, जो काम करेगा. हां, मूवी की एडिटिंग और धारदार हो सकती थी. वहीं म्यूजिक की बात करें तो म्यूजिक ही इस फिल्म की असली जान है ‘तेरे दिल पर हक मेरा है, नंबर वन चल ही रहा है, इसके अलावा ‘बोल कफारा क्या होगा, ‘दिल दिल दिल’ और ‘मेरा हुआ’ जैसे गाने फिल्म को एक अलग ही फील देते हैं.
ओवरऑल कैसी है फिल्म?
वो कहते हैं ना कि सबको जिंदगी में कोई न कोई नाकाम मोहब्बत जरूर होती है. ये फिल्म उसी इमोशन को हिट करती है और कायदे से करती है. हर्षवर्धन फिल्म में अदा यानी सोनम के घर जाकर उनके पापा से कहते हैं कि मैं आपकी बेटी का हाथ मांगने नहीं आया. अपनी होने वाली बीवी के बाप को ये बताने आया था कि कन्यादान की तैयारी शुरू कर दें क्योंकि बेटी तो विदा करनी पड़ेगी. सोनम कहती हैं बादशाहों ने औरतों के लिए मकबरे बनवाए. तू पहला बादशाह है जिसका मकबरा एक औरत की नफरत में बनेगा.
इसी तरह के डायलॉग सुनकर खूब सीटी ताली बजती है. फर्स्ट हाफ में कहानी का बिल्ड अप अच्छा है और सेकेंड हाफ में तो मजा आ जाता है. यहां सिनेमैटिक लिबर्टी ली गई है लेकिन दीवानियत से उसे जस्टिफाई भी किया गया है. कुल मिलाकर ये फिल्म इश्क करने वालों को तो बहुत जबरदस्त लगेगी. हर्षवर्धन के फैंस तो खूब पसंद करेंगे. अगर इस फिल्म को और बड़े बजट पर बनाया जाता तो ये और ग्रैंड बनती लेकिन अब भी ये एक बहुत अच्छी फिल्म बनी है. इसलिए जाइये और टिकट ले ही लीजिये. मेरी तरफ से फिल्म को 5 में से 4 स्टार्स.
