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Aniruddhacharya: बिहार में अनिरुद्धाचार्य का ‘लव जिहाद’ पर बड़ा बयान, बिहारियों का रोग भी खोज निकाला

Aniruddhacharya

अनिरुद्धाचार्य

Aniruddhacharya: देश के जाने माने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य इन दिनों बिहार आए हुए हैं. अपनी टिप्पणी को लेकर अनिरुद्धाचार्य अक्सर सुर्ख़ियों में रहते हैं. बिहार पहुंचे अनिरुद्धाचार्य फिर से सुर्ख़ियों में छा गए हैं.

हाल ही में बिहार के मुजफ्फरपुर में आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम के दौरान, प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने ‘लव जिहाद’ को लेकर एक विवादास्पद बयान दे दिया है. जिसने काफी सुर्खियां बटोरीं है. अनिरुद्धाचार्य ने दावा किया कि फिल्मों के माध्यम से ‘लव जिहाद’ को बढ़ावा दिया जा रहा है. जिसके तहत हिंदू लड़कियों को प्यार के झूठे जाल में फंसाकर विदेशों में बेचा जा रहा है. उनके इस बयान का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है.

‘लव जिहाद’ पर क्या बोले अनिरुद्धाचार्य

अनिरुद्धाचार्य ने यह बयान मुजफ्फरपुर, बिहार में एक धार्मिक सभा के दौरान दिया. अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि कुछ फिल्में और मीडिया सामग्री जानबूझकर ऐसी कहानियां पेश करती हैं, जो युवाओं को गलत दिशा में ले जाती हैं. उनके मुताबिक, कुछ लोग साजिश के तहत हिंदू लड़कियों को प्रेम के जाल में फंसाते हैं और फिर उनका शोषण करते हैं, जिसमें विदेशों में मानव तस्करी तक शामिल है.

उन्होंने फिल्मों पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि बच्चे मूवी देखने जाते हैं और उन्हें लगता है कि पिक्चर कितनी बढ़िया है, लेकिन पिक्चर के पीछे का षड्यंत्र कोई नहीं जानता. पीके मूवी में कुछ ऐसा दिखाया गया कि लोगों को लगा कि मंदिर नहीं जाना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मूवी ने हजारों करोड़ रुपए की कमाई की, लेकिन गरीबों के लिए कुछ नहीं किया गया.

बिहार का सबसे बड़ा रोग क्या?

इसके अलावा अनिरुद्धाचार्य ने बिहार के युवाओं को लेकर भी बड़ी बात की. उन्होंने बिहार के युवाओं का सबसे बड़ा रोग बताते हुए कहा कि यहां क्रिकेट देखकर टाइम बर्बाद करने से बचने की सलाह दी. उन्होंने कहा- ‘अमेरिका और चीन के पास कोई क्रिकेट टीम नहीं है, क्योंकि वे अपने लड़कों को काम पर लगाते हैं. अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि बिहार में एक बहुत बड़ा रोग है, मां-बाप कहते हैं- नौकरी करो. बिहार में हर मां-बाप अपने बच्चों को कहते हैं कि बेटा पढ़ो, नौकरी करना है, ये सबसे बड़ा रोग है.

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उन्होंने आगे कहा- ‘आप अपने बेटे को ये मत कहा करो कि पढ़ लिखकर नौकरी कर, बल्कि बेटे को ये कहो कि तुम पढ़ कर नौकरी लेने वाला नहीं, बल्कि नौकरी देने वाला बनो. अनिरुद्धाचार्य ने कहा कि बिहार को सुधारने के लिए सबसे पहले अपनी विचारधारा और मानसिकता बदलने की जरूरत है. नौकरी मिल रही है तो ठीक है, नहीं तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि गुजरात के लोग नौकरी देते हैं, तो बिहार के लोग नौकरी देना कब सीखेंगे?

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