Lata Mangeshkar: अपनी आवाज़ से पूरी दुनिया में पहचान बनाने वाली लता मंगेशकर की आज दूसरी पुण्यतिथि है. लता मंगेशकर ने 92 साल की उम्र में कोविड के कारण हम सबको अलविदा कह दिया था. उन्होंने अपनी सुरीली आवाज 50 हजार से ज्यादा गीतों में दी. साथ ही लता मंगेशकर के नाम 30 भाषाओं में गाने का रिकॉर्ड भी दर्ज है. एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने अपनी पुरानी पारिवारिक स्थिति को याद करते हुए कहा था कि अगर कभी उन्हें दुबारा लता बनने का मौका मिला तो वे कभी नही बनेंगी, पर आज लता मंगेशकर हमारे बीच ना हो कर भी अमर हैं.
हेमा से लता बदला गया नाम
लता मंगेशकर का जन्म वर्ष 1929 में इंदौर में हुआ था. उस वक्त उनके पिता ने उनका नाम हेमा भोसले रखा था. लता के पिता दीनानाथ एक ड्रामा कम्पनी चलाते थे. एक दिन इसी ड्रामा कम्पनी में भाव बंधन नाम का ड्रामा प्ले किया गया, इस प्ले में एक किरदार का नाम लतिका था. वो नाम लता के पिता को इतना पसंद आया कि उन्होंने अपनी बड़ी बेटी का नाम हेमा से लता रख दिया.
9 साल की उम्र में शुरू की अपनी संगीत की यात्रा
लता मंगेशकर बचपन से ही संगीत में काफी दिलचस्पी रखती थीं, जिसके लिए वे अपनी दादी और पिता से ट्रेनिंग भी लिया करती थीं. उन्होंने अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस 9 साल की उम्र में दिया था. पर 13 साल की उम्र में उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर का हार्ट अटैक से निधन हो जाने के बाद उनका म्यूजिक करियर थम सा गया और उनके परिवार को कई-कई दिनों तक भूखा सोना पड़ा था.
मराठी फिल्म में लता को मिला दूसरा मौका
मराठी फिल्मों के निर्देशक विनायक दामोदर कर्नाटकी (मास्टर विनायक) ने 1942 में आई फिल्म पहिली मंगलागौर में लता को एक्टिंग के लिए अप्रोच किया. उस समय लता मंगेशकर की पारिवारिक स्थिति सही ना होने के कारण 300 रूपए लेकर मराठी फिल्म में एक्टिंग करके के लिए उन्होंने हां कर दिया, इस फिल्म में लता मंगेशकर ने एक छोटा सा रोल प्ले किया था और फिल्म के लिए गाना गाया था.
अपने गाने को ही अपनी पहचान बना दी
1977 में गुलज़ार की कविता को अपनी आवाज़ में पिरोती लता मंगेशकर ने “मेरी आवाज़ ही मेरी पहचान हैं” गीत को गया था, इस गाने को गाते वक्त लता ने ये महसूस किया था कि ये गाना उनकी ज़िन्दगी को बड़ी खूबसूरती से दरसा रहा है और आज उनके जाने के बाद उनका ये गाना उनकी आवाज़ के साथ ही अमर हो गई.
लता मंगेशकर को कई अवार्ड मिले
बता दें कि लता मंगेशकर एक महान गायिका थीं. उन्होंने अपने जीवन में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार, पद्म भूषण, पद्म विभूषण और भारत रत्न जैसे सम्मान हासिल किये. साथ ही उन्होंने 3 नेशनल अवॉर्ड और 4 फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किए थे. वे अपनी ज़िन्दगी को काफी प्राइवेट रखना पसंद करती थीं, जिसके चलते आज तक लता की ज़िंदगी पर कोई डाक्यूमेंट्री नहीं बनाई गई, उनका मानना था कि उनकी आवाज़ ही उनकी पहचान है जिसके साथ वे जीना चाहती हैं.