Bollywood Actor Manoj Bajpayee: मनोज बाजपेयी, जो अब भारतीय सिनेमा के एक मशहूर अभिनेता हैं. हालांकि, फिल्मों में आने से पहले उनका भी जीवन काफी संघर्षों से भरा रहा हैं. अपने करियर की शुरुआत में उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी और अपने अभिनय के दम पर इंडस्ट्री में अपनी एक अलग पहचान बनाई. मनोज बाजपेयी ने अपने पहले नेशनल अवार्ड का अनुभव साझा करते हुए एक दिलचस्प किस्सा सुनाया.
उन्होंने कहा कि जब उनकी फिल्म ‘गुलमोहर’ के लिए उन्हें स्पेशल मेंशन अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. अक्टूबर में वह इसे लेने के लिए पुरस्कार समारोह में शामिल होंगे. इस खास दिन के लिए मनोज जो भी पहनकर जाएंगे, उसके लिए उनकी पत्नी शबाना रजा की सहमति बेहद जरूरी है.
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“कपड़ों की नहीं खास जानकारी”
मनोज ने बताया की उनकी समझ कपड़ो के मामलें में थोड़ी कम है. उन्होनें अपनी पत्नी का जिक्र करते हुए कहा कि इन सब में शबाना कि समझ बहुत सही हैं. क्योंकि वो एक माडॅल भी रह चुकी हैं. मनोज ने ये भी बताया कि उनके कुछ मित्र हैं, जो कि दिल्ली के बड़े डिजाइनर हैं. जिनका फोन उसी दिन आ गया था, जिस दिन राष्ट्रीय पुरस्कार की घोषणा हुई थी. उन्होंने मनोज से कहा की तुम केवल मेरे द्वारा डिजाइन किए हुए कपड़े ही पहनोगे.
सुख-सुविधाओं पर क्या बोले मनोज वाजपेयी?
काम और जीवन को देखने का नजरिया क्या है, इस पर बहुत सी चीजें निर्भर करती हैं. आज जो मेरे पास सुख-सुविधाएं हैं, वह केवल मेरे काम की वजह से मिल रही हैं. मेरी बड़ी गाड़ी की वजह से मुझे काम नहीं मिलता है. मेरे काम की वजह से मेरे पास बड़ी गाड़ी और घर है. अगर इस नजरिए के साथ आप रहेंगे, तो फिर ऑटो-रिक्शा में भी आसानी से बैठ सकते हैं. जब मेरे ड्राइवर समय पर नहीं आते हैं और मुझे मीटिंग या नरेशन के लिए जाना होता है. तो मैं रिक्शा लेकर निकल जाता हूं. मेरे ड्राइवर के पास देरी से आने के ढेरों कारण हो सकते हैं. मेरे पास देर करने का एक भी कारण नहीं है. मेरे गुरु बैरी जॉन सर ने मुझे कहा था कि नेवर वेट फॉर द कार यानी कार के लिए कभी प्रतीक्षा मत करना. इसका एक मतलब यह भी है कि मटेरियलिस्टिक सुख-सुविधाओं पर निर्भर मत रहना.
किस तरह का जीवन
इतने बड़े स्टार बनने के बाद भी मनोज का जीवन बहुत साधारण है. उन्होंने यह भी बताया कि आज भी, इतने सालों बाद, उनकी पत्नी नेहा उनसे घर का सामान और सब्जियां मंगवाती हैं. इससे यह साफ होता है कि मनोज अपने परिवार के साथ एक सामान्य व्यक्ति की तरह रहते हैं, जहां स्टारडम की बजाय पारिवारिक जिम्मेदारियों और साधारण जीवन को महत्व दिया जाता है.
मनोज बाजपेयी की इस कहानी ने उनके प्रशंसकों के दिलों को छू लिया है और यह दिखाया है कि असली सफलता वह है, जब इंसान किसी भी मुकाम पर पहुंचकर अपनी विनम्रता और सादगी को न खोए. उनका यह सफर न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि यह बताता है कि असली स्टारडम केवल शोहरत से नहीं, बल्कि अपने जीवन के मूल्यों से आता है.