‘ठग लाइफ’ पर सुप्रीम कोर्ट का ‘सुप्रीम’ फैसला! कर्नाटक सरकार को लगाई फटकार, कमल हासन की फिल्म अब होगी रिलीज?

ठग लाइफ का पोस्टर
Thug Life Movie: क्या आप भी मणिरत्नम की नई फिल्म ‘ठग लाइफ’ का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं? अगर हां, तो आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है. साउथ के सुपरस्टार कमल हासन और डायरेक्टर मणिरत्नम की इस मल्टी-स्टारर फिल्म पर कर्नाटक में जो अड़ंगा लगा था, उसे अब खुद देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट ने हटा दिया है. और हां, इस पूरे ड्रामे में कर्नाटक सरकार को भी सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई है.
क्या है मामला?
दरअसल, कमल हासन के एक बयान ने कर्नाटक में बवाल खड़ा कर दिया था. उन्होंने कुछ समय पहले कहा था कि कन्नड़ भाषा तमिल भाषा से जन्मी है. बस, इसी बात पर कुछ लोगों को इतनी मिर्ची लगी कि उन्होंने उनकी नई फिल्म ‘ठग लाइफ’ को कर्नाटक में रिलीज होने से ही रोक दिया. फिल्म मेकर्स पहले कर्नाटक हाई कोर्ट गए, लेकिन वहां भी बात नहीं बनी. आखिर में उन्हें देश के सर्वोच्च अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा.
सुप्रीम कोर्ट ने दिखाई सख्ती!
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कर्नाटक सरकार को नोटिस भेजा था, लेकिन सरकार ने कोई जवाब ही नहीं दिया. जब सुनवाई हुई, तो सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने कर्नाटक सरकार को जमकर लताड़ा. उन्होंने सीधे-सीधे कहा, “ये सीधे-सीधे कानून के राज का मामला है. जब किसी फिल्म को सेंसर बोर्ड से सर्टिफिकेट मिल जाता है, तो उसे रिलीज होने से कोई नहीं रोक सकता.”
जजों ने तो यहां तक कह दिया कि अगर किसी को कमल हासन के बयान से दिक्कत है, तो वो अपना जवाब दे सकता है, बहस कर सकता है, या फिल्म देखने न जाए, लेकिन फिल्म का प्रदर्शन नहीं रुकना चाहिए. उनका सीधा सवाल था, “क्या राज्य सरकार भीड़ के हिंसक विरोध का बहाना बनाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ सकती है?”
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माफी मांगने की सलाह पर भी लगाई फटकार!
कर्नाटक हाई कोर्ट ने फिल्म से जुड़े लोगों को कर्नाटक के निवासियों से माफी मांगने की सलाह दी थी. इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी आपत्ति जताई और कहा कि ऐसा करना हाई कोर्ट का काम नहीं है. यानी सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया कि किसी को माफी मांगने के लिए कहना उनका क्षेत्राधिकार नहीं है.
अभिव्यक्ति की आजादी पर जोर
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ के मौलिक अधिकार पर बहुत जोर दिया. उन्होंने पहले के कई फैसलों का जिक्र किया, जैसे कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी पर गुजरात में दर्ज एफआईआर को रद्द करना और ‘मी नाथूराम गोडसे बोलतोय’ नाटक पर लगे प्रतिबंध को बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा हटाना. जजों ने कहा कि भले ही किसी के विचार आपको अनुचित लगें, लेकिन आप उसे अपनी बात कहने से नहीं रोक सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म निर्माता की याचिका को कर्नाटक हाई कोर्ट से अपने पास ट्रांसफर कर लिया है और अब गुरुवार, 19 जून 2025 को इस पर सुनवाई होगी. कर्नाटक सरकार को बुधवार तक अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया गया है.