Rose Day 2024: गुलाब के फूल की भी अजब कहानी है
जो प्यार की सबसे प्यारी निशानी है
लाख काटों के बीच हंसता रहता है
बस इसी अंदाज से दुनिया उसकी दीवानी है…..
जी हां…गुलाब है तो बस एक फूल…जिसका इस्तेमाल अक्सर दिलों को जीतने के लिए किया जाता है. वैलेंटाइन डे की शुरुआत भी रोज डे से होती है. जहां रोड डे पर कपल्स एक-दूसरे को गुलाब देते हैं,और अपने प्यार का इजहार करते हैं. लेकिन कभी आपने सोचा है कि प्यार के लिए लाल गुलाब ही क्यों दिया जाता है. आइए आपको बताते हैं क्या है गुलाब और रोज डे का इतिहास.
गुस्से और खतरे का संकेत लाल रंग
कहते हैं कि रोम में मध्य युग के दौरान गिरजा घरों के पादरी श्रद्धांजलि देने के मकसद से लाल रंग का पहनावा पहनते थे. इसके अलावा लाल रंग जंग और गुस्से का प्रतीक भी माना जाता है. आज भी लाल रंग गुस्से से जोड़ा जाता है. किसी भी प्रकार का खतरे का रूप में भी लाल रंग का ही इस्तेमाल किया जाता है.
खतरे का संकेत लाल रंग कैसे बना प्रेम का प्रतीक?
माना जाता है कि लाल रंग को प्यार का प्रतीक ग्रीक समुदाय ने बनाया. एक रोमन जर्नल के अनुसार उस जमाने में ‘’रोमन डी ला रोज’’ नाम की एक कविता फेमस हुई थी. कविता में एक व्यक्ति गुलाब की तलाश में निकला था. उस खोज में उसे अपनी जीवन संगिनी मिल गई. इसी कविता को आधार मानते हुए लाल गुलाब को प्यार से जोड़ा गया. ऐसे में रोम में लोगों ने अपने प्यार को लाल गुलाब देना शुरू किया. इसके बाद धीरे-धीरे ये पूरी दुनिया में फेमस हो गया और आज हर प्रेमी जोड़ा अपने प्यार का इजहार करने के लिए लाल गुलाब का इस्तेमाल करता है.
रोज डे का इतिहास
वैसे तो रोज डे को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन रोज डे से जुड़ी एक कहानी ब्रिटेन महारानी विक्टोरिया के दौर की है. जब लोग अपनी फीलिंग्स शेयर करने के लिए एक-दूसरे को गुलाब का फूल देते थे. इसी परंपरा को जारी रखने के लिए वैलेंटाइन वीक का पहला दिन रोज डे के रूप में मनाया जाता है.
कौन सा गुलाब किसे दें?
- लाल गुलाब: प्यार और प्रशंसा
- पीला गुलाब: दोस्ती
- PINK गुलाब -खुशी और प्रसन्नता का प्रतीक
- लैवेंडर गुलाब- दुर्लभ फूल जिसकी प्रशंसा करते हैं.
गुलाब का भारतीय इतिहास
गुलाब का फूल सैकड़ों वर्षों से दुनिया के अलग-अलग देशों और संस्कृतियों में अपनी महत्वपूर्ण पहचान रखता चला आ रहा है. भारत में मुगलों के ज़माने से लेकर अंग्रेजों के शासनकाल तक गुलाब के फूल से जुड़ी सैकड़ों कहानियां हैं. वैसे तो भारत में गुलाब के आने की कहानी सदियों पुरानी है, मगर इससे जुड़ी दिलचस्प कहानियां भी अक्सर पढ़ने में आ जाती हैं कहते हैं कि एक गुलाब लेकर अंग्रेजों ने मुगलों से हिस्ताना की सल्तनत जीत ली थी. इसके बाद ही गुलाब हिंदुस्तान में प्रेम का प्रतीक बन गया. गुलाब के फूलों का जादू ऐसा था कि मुगल राजकुमारियां बिना गुलाब के पानी के हमाम में नहाने के लिए नहीं जाती थीं.
बाबर ईरान से ऊंटों पर लादकर गुलाब लाया था
एक इंग्लिश वेबसाइट के मुताबिक मुगल साम्राज्य की नींव रखने वाले चंगेज खान और तैमूर के वंशज जहीरूद्दीन मोहम्मद बाबर को गुलाब के फूल बेहद पसंद थे. बाबर को ये इतने पसंद थे कि उसने हिंदुस्तान में ईरान से ऊंटों पर लदवाकर गुलाब के फूल मंगवाए थे. यहां तक कि उसने तुर्की में लिखी अपनी आत्मकथा ‘तुजुके बाबरी’ में इनका बखूबी जिक्र किया है. बाबर को गुलाब इतने पसंद थे उसने अपनी 4 बेटियों के नाम गुलाब से जोड़कर ही रखे थे.
नूरजहां ने की थी गुलाब के इत्र की खोज
जहांगीर की बेगम नूरजहां को भारत में फैशन और इत्र के नए-नए प्रयोगों की शुरुआत करने वाला माना जाता है. नूरजहां ने गुलाब से इत्र बनाने की खोज की, जिसे ईरान में अतर कहा जाता था, जो हिंदुस्तान में आकर इत्र कहलाया .कहा जाता है कि नूरजहां गुलाब के पानी में ही नहाती थी. एक अनुमान के मुताबिक, 20 हजार गुलाब के फूलों से शराब की एक छोटी बोतल बनाई जाती थी, जो मुगलों को बेहद पसंद थी.
मुगलों ने भारत में बनाए खूबसूरत मुगल गार्डन
मुगल गुलाब के फूलों के दीवाने थे. इसका जिक्र स्कूल ऑफ ओरिएंटल एंड अफ्रीकन स्टडीज के एक स्कॉलर मेहरीन एम चिड़ा-रिजवी ने लिखी किताब द पर्सेप्शन ऑफ रिसेप्शन-द इंपोर्टेंस ऑफ सर टॉमस रो एट द मुगल कोर्ट ऑफ जहांगीर में किया गया है. जिसमें मुगलों के ठाट-बाट का जिक्र किया है. जहां ये बताया गया है कि मुगल खुद तो गुलाब के पानी से नहाते थे. वहीं भारत में मुगल शासनकाल के दौर में बनाए गए कुछ बेहतरीन गार्डन मौजूद हैं. जिन्हें राजाओं ने बहुत शौक से बनाया था.
-शालीमार बाग श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर सबसे बड़ा मुगल गार्डन है.
-दिल्ली के राष्ट्रपति भवन के बगीचे को सर एडविन लुटियंस के लेडी हार्लिंग के लिए बनवाया था. हालांकि मुगल गार्डन मुगलों के दौर में बना था फिर इसे और सजाया और संवारा गया. नई दिल्ली में हूमायू का मकबरा, पहला मुगल गार्डन मकबरा था.
यादवेंद्र गार्डन, पिंजौर हरियाणा का गार्डन, प्रयागराज का खुसरो बाग
क्यों मनाते हैं वैलेंटाइन डे
प्यार का दिन वैलेंटाइन डे क्यों मनाया जाता है इसके पीछे कई कहानियां हैं. यह दिन संत वैलेंटाइन की याद में मनाया जाता है. एक कहानी के मुताबिक संत वैलेंटाइन को 14 फरवरी 269 इसवी के दिन ही पादरी का पद हासिल हुआ था. उनके सम्मान में ही लोगों ने इस दिन को वैलेंटाइन डे के रूप में मनाना शुरू कर दिया.
गुलाब प्रेम के साथ सौंदर्य का खजाना
गुलाब के फूलों से ठंडक मिलती है. शरीर के रंग-रुप में निखार आता है. गुलाब ठंडक प्रदान करता है. गुलाब दिल, दिमाग और आमाशय को मजबूत बनाता है. आयुर्वेद में गुलाब के गुणों की चर्चा आती है. इसे वात-पित्तनाशक दाह, जलन, अधिक प्यास तथा कब्ज नाशक कहा गया है. यह गर्मी से होने वाले उन्माद में लाभकारी होता है. यह मन को प्रसन्न करता है. गुलाब में विटामिन सी काफ़ी मात्रा में पाया जाता है. पाचन शक्ति (भोजन पचाने की क्रिया) को बढ़ाती है. गुलाब में हल किया हुआ सुरमा आंखों के लिए लाभकारी होता है. गुलाब का प्रयोग पाट-पूरी, संरक्षित पदार्थ, रोज़ वाइनगार, मदिरा, जेम और जेली इत्यादि में किया जाता है.