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दो अलग-अलग देश, दो अलग-अलग दशक और दो भयानक हादसे…हर बार जिंदा बचे 11A सीट पर बैठने वाले यात्री!

11A Seat Miracle

11 A सीट पर बैठने वाले दोनों यात्रियों की तस्वीर

11A Seat Miracle: क्या आपने कभी सुना है कि एक सीट नंबर आपकी जिंदगी बचा सकता है? यह कोई फिल्मी कहानी नहीं, बल्कि हकीकत है, जो दो अलग-अलग देशों और दो अलग-अलग समय में घटी. अहमदाबाद में हुए एक भयानक विमान हादसे और 27 साल पहले थाईलैंड में हुए एक और हादसे में दो लोग जिंदा बचे. हैरानी की बात? दोनों ही उस समय सीट नंबर 11A पर बैठे थे.

अहमदाबाद हादसे में बचे विश्वकुमार

14 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के क्रैश ने पूरे देश को झकझोर दिया. यह विमान लंदन से अहमदाबाद आ रहा था, जिसमें 242 यात्री और 12 क्रू मेंबर सवार थे. टेकऑफ के दौरान विमान हादसे का शिकार हो गया, जिसकी आग की लपटों ने आसपास के इलाके को भी अपनी चपेट में ले लिया. इस त्रासदी में 274 लोगों की जान चली गई, जिनमें 229 यात्री, 12 क्रू मेंबर और 33 स्थानीय लोग, जिनमें मेडिकल कॉलेज के छात्र भी शामिल थे.

लेकिन इस भयावह मंजर के बीच एक चमत्कार हुआ. एक भारतीय मूल के ब्रिटिश नागरिक विश्वकुमार इस हादसे से जिंदा बच निकले. और वह भी तब, जब वह सीट नंबर 11A पर बैठे थे. आग की लपटों और मलबे के बीच से विश्वकुमार को जिंदा निकलते देख हर कोई हैरान था. लेकिन इस चमत्कार के पीछे एक और दुखद कहानी थी. विश्वकुमार के भाई अजयकुमार, जो सीट 11J पर बैठे थे, इस हादसे में नहीं बच सके.

विश्वकुमार और अजयकुमार पिछले 15 साल से लंदन में रह रहे थे, जहां वे एक गारमेंट बिजनेस चलाते थे. इसके अलावा, वे अपने पैतृक गांव दीव में मछली पकड़ने का कारोबार भी संभालते थे. दोनों भाई दीव के बुखारवाडा और वनकबारा गांवों से ताल्लुक रखते थे. इस हादसे ने विश्वकुमार को तो बचा लिया, लेकिन उनके भाई को हमेशा के लिए छीन लिया.

थाईलैंड की कहानी

विश्वकुमार की कहानी सामने आने के बाद एक और शख्स को अपनी आपबीती सुनाई है. यह हैं थाईलैंड के मशहूर गायक रुआंगसाक लॉयचुसाक, जिन्होंने 27 साल पहले एक ऐसे ही हादसे में अपनी जान बचाई थी. साल 1998 में थाई एयरवेज की फ्लाइट TG261 बैंकॉक से सूरत थानी जा रही थी. लैंडिंग के दौरान विमान दलदल में जा गिरा. इस हादसे में 132 यात्रियों और 14 क्रू मेंबर में से 101 लोगों की मौत हो गई, जबकि 45 लोग घायल हुए.

रुआंगसाक उस समय सिर्फ 20 साल के थे और सीट नंबर 11A पर बैठे थे. वह उन 45 लोगों में शामिल थे, जो इस हादसे से बच निकले. आज 47 साल की उम्र में रुआंगसाक उस खौफनाक दिन को याद करते हुए कहते हैं, “जब मैंने सुना कि अहमदाबाद हादसे का इकलौता बचा शख्स भी मेरी सीट 11A पर था, तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए. मैं उन सभी लोगों के लिए दुखी हूं, जिन्होंने इस हादसे में अपने प्रियजनों को खोया.”

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जिंदगी पर गहरा असर

रुआंगसाक ने बताया कि उस हादसे ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया. 10 साल तक मैं प्लेन में बैठने से डरता था. सांस लेने में तकलीफ होती थी, दिल बेचैन रहता था. मैं हमेशा खिड़की के पास बैठता और उसे खुला रखता, ताकि मुझे सुरक्षित महसूस हो. अगर बाहर बारिश या काले बादल दिखते, तो लगता जैसे मैं फिर से उसी नरक में हूं.

विश्वकुमार की कहानी भी कम मार्मिक नहीं है. अपने भाई को खोने का गम उनके लिए जिंदगी भर का दर्द बन गया. लेकिन सीट 11A ने उन्हें एक नया जीवन दिया, जिसे वे अब अपने परिवार और कारोबार के लिए जीना चाहते हैं.

11A सीट: संयोग या चमत्कार?

दो अलग-अलग देश, दो अलग-अलग दशक, और दो भयानक हादसे. लेकिन इन सबके बीच एक समानता—सीट नंबर 11A. क्या यह महज एक संयोग है, या फिर कोई रहस्यमयी शक्ति, जो इस सीट को इतना खास बनाती है? यह सवाल हर किसी के मन में उठ रहा है. विश्वकुमार और रुआंगसाक की कहानी न सिर्फ हैरान करती है, बल्कि जिंदगी की नाजुकता को भी बताती है. इन दोनों ने मौत को करीब से देखा, फिर भी हार नहीं मानी.

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