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बिहार चुनाव की हार से सबक! अखिलेश यादव के PDA की नई परिभाषा, ‘अल्पसंख्यक’ शब्द गायब

Akhilesh Yadav

अखिलेश यादव

SP Minority Politics: समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने बुधवार (3 दिसंबर) को सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट किया. इस पोस्ट में नारी सशक्तिकरण की झलक देखने को मिली. इसके साथ ही एक तस्वीर भी पोस्ट की गई जिसमें मैनपुरी से सांसद डिंपल यादव, मछलीशहर से सांसद प्रिया सरोज, कैराना से सांसद इकरा हसन और बांदा से सांसद कृष्णा देवी शिवशंकर हंसते हुए दिखाई दे रही हैं. इन सबके बीच अखिलेश यादव के PDA की नई परिभाषा देखने को मिली.

सोशल मीडिया पोस्ट में क्या लिखा?

अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा कि संसद में पीडीए का परचम लहरातीं सपा की जिम्मेदार जन प्रतिनिधि. नारी शक्ति का विकास कहने से नहीं, उन्हें सच्चा प्रतिनिधित्व देने से होगा. पीडीए में ‘आधी आबादी’ के रूप में शामिल हर स्त्री का सम्मान और समृद्धि हमारा संकल्प है.

उन्होंने आगे लिखा कि PDA में शामिल ‘A’ मतलब ‘आधी आबादी’ मतलब हर बच्ची, युवती, नारी, महिला को सामाजिक-आर्थिक रूप से सम्मान देने और अपने पैरों पर खड़े होने के लिए हम ‘स्त्री सम्मान-समृद्धि योजना’ लाएंगे और ‘उप्र की उन्नति’ के अपने संकल्प को निभाएंगे.

PDA की नई परिभाषा से ‘अल्पसंख्यक’ गायब

समाजवादी पार्टी प्रमुख ने पोस्ट में A का मतलब आधी आबादी बताया है. इसके बाद ये कयास लगाए जा रहे हैं कि PDA में A का अर्थ बदल गया है. अब इसे अल्पसंख्यक की जगह आधी आबादी का नाम मिल गया है. अखिलेश यादव ने पीडीए फॉर्मूला की उत्तर प्रदेश की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. उन्होंने PDA का मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक बताया था. इसे औपचारिक रूप से साल 2023 में सामने लाया गया था. ये फॉर्मूला सपा को कोर वोट यादव (8 से 10 फीसदी) और मुस्लिम (19 फीसदी) को ओबीसी और दलितों से जोड़ने का काम करता है.

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बिहार चुनाव से सबक

उत्तर प्रदेश में साल 2027 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इससे पहले पंचायत चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों के लिए रणनीति तैयार की है. दरअसल, हाल ही में बिहार में हुए विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने रिकॉर्ड संख्या में मतदान किया. समाजवादी पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले में बदलाव किया. शायद यही कारण है कि 3 दिसंबर 2025 को एक्स पर पोस्ट में उन्होंने ‘A’ को ‘आधी आबादी’ बताया और अल्पसंख्यकों का नाम तक नहीं लिया.

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