Akhlaq Lynching Case: अखलाक मॉब लिंचिंग केस में उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका लगा है. कोर्ट ने कहा कि सभी आरोपियों के खिलाफ मुकदमा चलता रहेगा. मुकदमा वापस लेने के लिए राज्य सरकार ने नोयडा स्थित सूरजपुर कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे आज कोर्ट ने खारिज करने का आदेश जारी कर दिया. कोर्ट ने इसे आधारहीन और महत्वहीन माना. इस मामले में कुल 18 लोगों को आरोपी बनाया था, जिसमें से 14 आरोपी जमानत पर बाहर हैं.
दरअसल, यह मामला उत्तर प्रदेश के नोयडा स्थिति दादरी के बिसाहड़ा गांव की है, जहां साल 2015 में एक भीड़ ने मोहम्मद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इसमें राज्य सरकार से लेकर कुल 18 लोगों को आरोपी बनाया गया था. साल 2015 में हुए इस हत्याकांड के बाद पूरे प्रदेश में तनावपूर्ण स्थिति बन गई थी. मो. अखलाक पर भीड़ ने आरोप लगाया कि उसके परिवार ने गाय के बछड़े को काटकर खाया. जिसको लेकर भीड़ ने हंगामा शुरू कर दिया. देखते ही देखते भीड़ काफी बढ़ गई और उग्र हो गई, जिसके बाद अखलाक की पीट-पीटकर हत्या कर दी.
कोर्ट ने किया खारिज
मामले को खारिज करने के लिए यूपी सरकार ने याचिका दायर की थी. अभियोजन पक्ष ने सुनवाई के दौरान केस वापस लेने का पक्ष रखा. जिस पर आज कोर्ट ने सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया. कोर्ट ने इसे संतोषजनक नहीं माना और कहा कि केस वापसी के लिए लगाई गई अर्जी में कोई ठोस कानूनी आधार नहीं है. इसके साथ ही कहा कि यह केस चलता रहेगा. लंबे समय तक चली कानूनी प्रक्रिया के बीच सरकार की अपील को कोर्ट ने अस्वीकार्य कर दिया.
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अक्टूबर 2025 में सरकार ने दायर की याचिका
इस हत्या में 19 लोगों को आरोपी बनाया गया. जिसमें पुलिस ने हत्या समेत दंगा और धमकी देने के आरोपों में सभी आरोपियों को नामजद किया था. सरकार ने अक्टूबर 2025 में सभी आरोपियों के खिलाफ लगे मुकदमों को वापस करने के लिए ट्रायल कोर्ट में अपील दायर की थी. जिसके लिए सुनवाई की डेट 18 दिसंबर रखी गई. लेकिन जब कोर्ट ने सुनवाई की तो राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा.
