Amit Shah 3D Plan: बिहार में विधानसभा चुनाव को अब गिने-चुने दिन ही बचे हैं. चुनाव हो और चुनावी मुद्दे सामने न आएं, ऐसा कहां संभव है. बिहार में इस बार के विधानसभा चुनाव से पहले एसआईआर का मुद्दा काफी जोरों से उठा. चुनाव आयोग ने इसे लागू भी कर दिया. अब देश के गृहमंत्री अमित शाह ने घुसपैठियों को लेकर अपना ‘3D प्लान’ बताया है. यहां जानें अमित शाह ने घुसपैठियों को लेकर क्या कहा और क्या है ‘3D प्लान’?
गृहमंत्री अमित शाह का एनडीटीवी न्यूज चैनल में इंटरव्यू चल रहा था. इसी दौरान उनसे घुसपैठियों को लेकर एक सवाल किया गया कि आपने यहां पर घुसपैठ का मुद्दा उठाया है, इससे पहले झारखंड पड़ोसी राज्य के चुनाव हुए थे. वहां पर भी घुसपैठ का मुद्दा प्रमुखता के साथ उठाया गया था. यह कितना वास्तविक मुद्दा है? क्योंकि बिहार में हमने देखा कि जब एसआईआर हुआ, उसके बाद जो आंकड़े आए हैं तो इस बात कि पुष्टि नहीं करते की बड़े पैमाने में घुसपैठ हुए हैं.
65 लाख मतदाता कम हुए: गृहमंत्री अमित शाह
इस पर जवाब देते हुए गृहमंत्री ने कहा कि 65 लाख मतदाता कम हुए हैं. उनमें से कुछ मृत्यु के कारण कम हुए, कुछ अन्य राज्यों में गए, इसलिए मगर 35 लाख ऐसे हैं जो यहीं रहते थे, उनका नाम मतदाता सूची से कटा है और उन्होंने कोई आपत्ति नहीं जताई है. अब हमारे लिए घुसपैठिया हटाओ, ये कोई चुनावी मुद्दा नहीं है. देश की सुरक्षा का मुद्दा है. मैं बिहार की जनता से पूछना चाहता हूं कि क्या बिहार की मतदाता सूची में घुसपैठियों का नाम वोटर के नाते रहना चाहिए या नहीं रहना चाहिए?
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विपक्ष को बताया ठगबंधन
उन्होंने आगे कहा कि इसमें 2 दलों की राय स्पष्ट है. हमारे विरोध में जो ठगबंधन बना है. वो कहता है कि मतदाता सूची में घुसपैठियों का नाम होना चाहिए, उनको मताधिकार होना चाहिए. हम स्पष्ट रूप से मानते हैं कि देशभर की मतदाता सूची से चुन-चुनकर घुसपैठियों को निकाल बाहर करना चाहिए, जो एसआईआर के माध्यम से चुनाव आयोग कर रहा है. हमारे विरोधी जो हैं चाहे कांग्रेस हो या लालू की पार्टी इसका विरोध इसलिए कर रहे हैं क्योंकि वो घुसपैठियों को अपना वोट वैंक मानते हैं.
घुसपैठियों को लेकर तैयार है ‘3D प्लान’
उन्होंने कहा कि ये चुनाव जीतने की दृष्टि से घुसपैठियों के साथ स्टैंड सही नहीं है, हम मानते हैं. हम पहले डिटेक्ट करेंगे, पहचानेंगे. डिलीट करेंगे, मतदाता सूची से निकालेंगे और फिर डिकोड करेंगे. ये प्रक्रिया इसलिए जरूरी है क्योंकि ये देश धर्मशाला नहीं है. यहां मत देने का अधिकार, शासन तय का अधिकार केवल और केवल उसको मिलेगा, जो इस देश में जन्मा है और जो इस देश का नागरिक है.
