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‘अमित शाह ने दिया था योगी कैबिनेट में मंत्री पद का ऑफर…’, शिवपाल यादव का बड़ा दावा, बोले- उनके कहने पर ही लड़ा था चुनाव

Amit Shah and Shivpal Yadav

अमित शाह को लेकर शिवपाल यादव का बड़ा दावा

Shivpal Yadav on Amit Shah: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है. समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता और महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने रविवार को एक सनसनीखेज खुलासा किया. उन्होंने दावा किया कि बीजेपी के दिग्गज नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें बीजेपी में शामिल होने और योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट में मंत्री बनने का प्रस्ताव दिया था. इस खुलासे ने यूपी की राजनीति में नया रंग घोल दिया है, खासकर तब जब सपा और बीजेपी के बीच 2027 के विधानसभा चुनाव को लेकर जोर-शोर से तैयारियां चल रही हैं.

शिवपाल यादव का बड़ा खुलासा

समाजवादी पार्टी के महासचिव शिवपाल सिंह यादव ने भारत समाचार के एक पॉडकास्ट में खुलासा किया कि 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के रणनीतिकार और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उन्हें बीजेपी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था. शिवपाल के मुताबिक, शाह ने उन्हें दिल्ली बुलाया और योगी आदित्यनाथ की सरकार में मंत्री पद का ऑफर दिया था. हालांकि, शिवपाल ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, क्योंकि वे पहले ही कई बार मंत्री रह चुके थे और उन्हें इस ऑफर में कोई रुचि नहीं थी. उन्होंने कहा- ‘मैं पहले से ही कई बार मंत्री रह चुका था. ऐसे में इस ऑफर का कोई मतलब नहीं था.’

बीजेपी के साथ लंबे समय तक संपर्क

शिवपाल ने यह भी बताया कि वे कई सालों तक बीजेपी के संपर्क में रहे और इस दौरान उन्होंने बीजेपी की कार्यशैली को करीब से देखा. उनके मुताबिक, बीजेपी की नीयत में खोट थी और उनका मकसद यादव परिवार में फूट डालकर सियासी फायदा उठाना था. शिवपाल ने दावा किया कि अमित शाह ने उन्हें फिरोजाबाद से चुनाव लड़ने के लिए भी प्रेरित किया था, लेकिन बाद में उन्हें बीजेपी की मंशा समझ में आई. उन्होंने कहा- ‘वह हमेशा यही चाहते थे कि हमारे परिवार में फूट बनी रहे और परिवार एक न हो सके.’

मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा

शिवपाल ने 2012 के विधानसभा चुनाव के बाद सैफई में हुई एक अहम बैठक का भी जिक्र किया. इस बैठक में मुलायम सिंह यादव, रामगोपाल यादव, अखिलेश यादव और वे खुद मौजूद थे. उस समय मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चा हुई थी. शिवपाल ने सुझाव दिया था कि मुलायम सिंह यादव एक साल तक मुख्यमंत्री रहें और फिर अखिलेश को यह जिम्मेदारी सौंपी जाए. हालांकि, रामगोपाल और अखिलेश की जिद के आगे उनकी बात नहीं मानी गई और अखिलेश को यूपी का मुख्यमंत्री बनाया गया. शिवपाल ने कहा कि यही वह समय था जब उनके और अखिलेश के बीच दूरी शुरू हुई.

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) की स्थापना

शिवपाल ने बताया कि अखिलेश से मतभेद के बाद उन्होंने मुलायम सिंह यादव की सलाह पर 2018 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाई थी. हालांकि, 2022 में उन्होंने अपनी पार्टी का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया. शिवपाल ने कहा कि वे हमेशा समाजवादी विचारधारा के साथ रहे और बीजेपी के ऑफर को स्वीकार करने का उनका कोई इरादा नहीं था.राजनीतिक हलचल शिवपाल के इस खुलासे ने उत्तर प्रदेश की राजनीति में हलचल मचा दी है. सपा और बीजेपी दोनों खेमों में इस बयान को लेकर चर्चा तेज है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव इस समय योगी सरकार पर हमलावर हैं, खासकर टोंटी चोरी के मुद्दे को लेकर. ऐसे में शिवपाल का यह बयान बीजेपी को असहज कर सकता है.

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बता दें कि शिवपाल और अखिलेश के बीच लंबे समय तक तनाव की खबरें रही हैं. हालांकि, 2022 में प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के विलय के बाद दोनों नेताओं के बीच सुलह की बात सामने आई थी. शिवपाल ने कहा कि वे हमेशा अखिलेश के चाचा थे, हैं और रहेंगे. उन्होंने यह भी जोर दिया कि वे समाजवादी पार्टी और पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) की विचारधारा के साथ पूरी तरह से जुड़े हुए हैं.

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