Amit Shah Retirement Plan: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने रिटायरमेंट के बाद की ज़िंदगी का एक बेहद दिलचस्प खुलासा किया है. उन्होंने बताया कि जब वो राजनीति की दुनिया से संन्यास ले लेंगे, तो अपना पूरा समय वेद, उपनिषद और प्राकृतिक खेती को समर्पित करेंगे.
यह ऐलान उन्होंने गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की महिला सहकारी सदस्यों के साथ ‘सहकार-संवाद’ कार्यक्रम के दौरान किया. शाह ने बताया कि आजकल रासायनिक खाद से उगाया गया अनाज कई बीमारियों की जड़ बन सकता है, जबकि प्राकृतिक खेती न सिर्फ हमारे शरीर को स्वस्थ रखती है, बल्कि खेत की पैदावार भी बढ़ाती है.
गृह मंत्रालय से भी बड़ा है सहकारिता मंत्रालय!
अमित शाह ने मंत्री के रूप में अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए एक चौंकाने वाली बात कही. उन्होंने बताया कि जब वह गृह मंत्री बने, तो सबने कहा कि उन्हें बहुत महत्वपूर्ण विभाग मिला है. लेकिन जिस दिन उन्हें सहकारिता मंत्री बनाया गया, उन्हें लगा कि उन्हें गृह मंत्रालय से भी बड़ा विभाग मिल गया है. उन्होंने कहा कि यह मंत्रालय सीधे-सीधे देश के किसानों, गरीबों, गांवों और पशुओं के लिए काम करता है, और इसी वजह से यह उनके लिए बेहद ख़ास है.
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त्रिभुवन काका को अमित शाह ने किया याद
इस मौके पर अमित शाह ने स्वर्गीय त्रिभुवनदास के. पटेल के नाम पर त्रिभुवन सहकारिता विश्वविद्यालय की आधारशिला भी रखी. उन्होंने त्रिभुवन काका को भारत के सहकारिता आंदोलन की सच्ची नींव रखने का श्रेय दिया. शाह ने बताया कि कैसे त्रिभुवन काका के दूरदर्शी विचारों के कारण ही आज छोटे-छोटे परिवारों की महिलाएं अपने बच्चों को शिक्षित कर पा रही हैं और उनकी ज़िंदगी में बड़ा बदलाव आ रहा है.
उन्होंने कहा, “आज, जहां भी सहकारी समितियां स्थापित हैं, वहां लोग 1 करोड़ रुपये तक कमा रहे हैं, यह सब त्रिभुवन काका के दूरदर्शी विचारों की वजह से ही मुमकिन हुआ है. फिर भी, उन्होंने कभी भी अपना नाम बनाने के लिए कुछ नहीं किया.” अमित शाह का यह नया प्लान बताता है कि वो सिर्फ राजनीति में ही नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और प्रकृति से जुड़कर देश को एक नई दिशा देना चाहते हैं.
