Anmol Bishnoi: अमेरिका से प्रत्यर्पित होकर भारत पहुंचे कुख्यात गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बुधवार को पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने NIA की 15 दिन की रिमांड की मांग पर 11 दिनों की कस्टडी इंटरोगेशन मंजूर कर ली. NIA की पूछताछ में अब अनमोल से बाबा सिद्दीकी हत्याकांड, सिद्धू मूसे वाले की हत्या, सलमान खान के घर पर फायरिंग समेत कई सनसनीखेज मामलों की गुत्थियां सुलझाने की कोशिश होगी. साल 2022 से फरार चल रहे अनमोल को जनवरी 2025 में कोर्ट ने घोस्टल ऑफेंडर घोषित कर चुका था. अब उसकी गिरफ्तारी से पंजाब-हरियाणा-राजस्थान-दिल्ली तक फैले अपराध सिंडिकेट की परतें खुलने की उम्मीद है.
बिश्नोई गैंग का कैसे बना दबदबा?
अनमोल, लॉरेंस बिश्नोई के छोटे भाई के रूप में अपराध की दुनिया में कदम रखते ही सुर्खियां बटोर चुका है. उसके सिंडिकेट में जग्गू भगवानपुरिया, गोल्डी ब्रार, सचिन थापन और विक्रम ब्रार जैसे नाम शामिल हैं. 2015 तक यह छोटे-मोटे झगड़ों और क्षेत्रीय विवादों से शामिल था, लेकिन जल्द ही यह संगठन पंजाब पर कब्जा जमाने लगा. फगवाड़ा में सुक्खा कहलान की दिनदहाड़े हत्या इसका पहला बड़ा उदाहरण बनी, जहां अपराधियों ने शव के इर्द-गिर्द नाचते हुए वीडियो बनाकर डर फैलाया.
इसके बाद सिद्धू मूसे वाले, राजू ठेठ और प्रदीप कुमार जैसे हाई-प्रोफाइल टारगेट किलिंग्स ने 1990 के दशक के मुंबई अंडरवर्ल्ड की याद दिला दी. पंजाब के मालवा में विक्की गौंडर, माज्हा में जग्गू भगवानपुरिया और दोआबा में सुक्खा कहलवान जैसे गुटों के साथ गठजोड़ से सिंडिकेट ने पंजाब को जबरन कंट्रोल किया. बेरोजगार युवाओं को पैसे या विदेश यात्रा का लालच देकर हिटमैन बनाना इसकी खासियत रही.
NIA की रिमांड कॉपी और बड़ा खुलासा
NIA की रिमांड कॉपी ने अब एक और चौंकाने वाला राज खोला है. पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के साथ भारतीय गैंगस्टरों का सांठ-गांठ इसका अहम हिस्सा है. अनमोल का सिंडिकेट आतंकी फंडिंग, युवा भर्ती, प्रमुख हस्तियों पर हमलों की साजिश और सोशल मीडिया पर दहशत फैलाने में लिप्त पाया गया. हरविंदर रिंडा, लाखबीर सिंह लांडा और अर्श डल्ला जैसे गैंगस्टरों को ISI ने कनाडा-पाकिस्तान से संचालित कर पंजाब में अशांति भड़काने का काम सौंपा. खालिस्तान आंदोलन को पुनर्जीवित करने और हमलों की साजिशें पाक-आधारित खालिस्तानी समर्थकों के इशारे पर चलीं.
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बब्बर खालसा इंटरनेशनल (BKI) जैसे संगठनों से जुड़ाव के सबूत मिले हैं, जिनका मकसद देश को अस्थिर करना है. गौरतलब है कि हाल के सालों में पंजाब-पाक सीमा के 553 किलोमीटर लंबे इलाके में हथियारों की तस्करी बढ़ी है. हैंड ग्रेनेड, टिफिन बम, आईईडी, आरडीएक्स, आरपीजी और पिस्तौलें जम्मू-कश्मीर से सटे 456 गांवों के रास्ते भारत में दाखिल हो रही हैं.
NIA की जांच अब इस क्रॉस-बॉर्डर नेटवर्क को उजागर करने पर केंद्रित है. अनमोल की पूछताछ से फंडिंग के स्रोत, हथियार सप्लाई चेन और सोशल मीडिया प्रोपेगैंडा की पूरी तस्वीर सामने आ सकती है. पंजाब में शांति के लिए यह कदम अहम है, जहां अपराध और आतंक का मिश्रण आम जनता को डराने का हथियार बन चुका है.
