Aurangzeb Controversy: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद रेलवे स्टेशन पर उस वक्त हड़कंप मच गया, जब मुगल बादशाह औरंगजेब की पेंटिंग समझकर बहादुर शाह जफर की तस्वीर पर कुछ लोगों ने कालिख पोत दी. बात शुरू हुई हिंदू रक्षा दल नाम के एक संगठन के विरोध प्रदर्शन से. प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों की नजर स्टेशन की दीवार पर लगी बहादुर शाह जफर की पेंटिंग पर पड़ी. बस, फिर क्या? औरंगजेब की पेंटिंग समझ गुस्से में आकर संगठन के कार्यकर्ताओं ने तुरंत कालिख पोत दी. उनका साफ कहना था, “मुस्लिम आक्रांता की तस्वीर सरकारी इमारत पर? ये बर्दाश्त नहीं.” इसके बाद स्टेशन पर जमकर हंगामा हुआ.
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो
इस घटना के वीडियो अब सोशल मीडिया पर तूफान की तरह फैल रहे हैं. लोग इसे शेयर कर रहे हैं, और बहस छिड़ गई है कि आखिर औरंगजेब की तस्वीर लगानी चाहिए या नहीं. ये कोई पहला मामला नहीं है. गाजियाबाद से पहले नागपुर जैसे शहरों में भी औरंगजेब को लेकर ऐसा ही बवाल हो चुका है, जहां हिंसा तक की नौबत आ गई थी.
विवाद की जड़ में है ‘छावा’ फिल्म
अब आप सोच रहे होंगे कि अचानक औरंगजेब पर इतना गुस्सा क्यों? तो जनाब, इस कहानी का ट्विस्ट है बॉलीवुड! विक्की कौशल की फिल्म छावा फरवरी 2025 में रिलीज हुई. इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर धमाल तो मचाया ही, साथ में एक बड़ा विवाद भी खड़ा कर दिया. फिल्म में दिखाया गया है कि औरंगजेब ने छत्रपति संभाजी महाराज को कैसे साजिश के तहत प्रताड़ित किया और उनकी हत्या करवाई. इस कहानी ने कई हिंदू संगठनों का खून खौला दिया. नतीजा? नागपुर में औरंगजेब के मकबरे को हटाने की मांग शुरू हो गई, और दिल्ली में बीजेपी नेताओं ने औरंगजेब रोड का नाम बदलने की बात उठा दी. कुछ नेताओं ने तो अपने घर पर औरंगजेब रोड का नाम लिखने से ही इनकार कर दिया.
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हिंदू रक्षा दल ने क्या कहा?
हिंदू रक्षा दल का कहना है कि औरंगजेब जैसे शासक की तस्वीरें सार्वजनिक जगहों पर नहीं होनी चाहिए. वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग इसे इतिहास से छेड़छाड़ बताकर विरोध कर रहे हैं. इस घटना ने एक बार फिर औरंगजेब को लेकर पुरानी बहस को हवा दे दी है.
