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बैसरन घाटी पहुंचे NIA के महानिदेशक सदानंद दाते, 3डी मैपिंग से आतंकियों तक पहुंचने की कोशिश

Pahalgam Attack

NIA के महानिदेशक सदानंद दाते पहुंचे बैसरन

Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए दिल दहलाने वाले आतंकी हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने तेज कर दी है. इस सिलसिले में एनआईए के महानिदेशक सदानंद दाते ने गुरुवार को बैसरन घाटी में घटनास्थल का दौरा किया. जांच को और प्रभावी बनाने के लिए एनआईए हाईटेक उपकरणों और 3डी मैपिंग तकनीक का सहारा ले रही है, ताकि आतंकियों के प्रवेश और निकास के रास्तों का सटीक पता लगाया जा सके.

जांच में अब तक क्या-क्या हुआ?

पहलगाम के बैसरन घाटी में हुए इस आतंकी हमले के बाद एनआईए ने तुरंत जांच शुरू की थी. बुधवार को NIA की एक विशेष टीम ने घटनास्थल पर करीब सात घंटे तक गहन जांच की. इस दौरान सबूत इकट्ठा करने और तथ्यों को खंगालने का काम किया गया. सूत्रों के मुताबिक, चश्मदीदों के बयानों के आधार पर अब तक की जानकारी को और पुख्ता करने के लिए एनआईए ने 3डी मैपिंग शुरू करने का फैसला किया है.

3डी मैपिंग से क्या होगा?

3डी मैपिंग तकनीक के जरिए एनआईए बैसरन घाटी में आतंकियों के आने-जाने के सटीक रास्तों का पता लगाएगी. यह तकनीक न केवल आतंकियों के एंट्री पॉइंट के बारे में जानकारी देगी, बल्कि उनके भागने के रास्तों की भी सटीक जानकारी देगी. इस मैपिंग से जांच में महत्वपूर्ण सुराग मिलने की उम्मीद है.

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NIA की रणनीति और अगले कदम

एनआईए की टीम ने जांच को और गति देने के लिए हाईटेक उपकरणों का इस्तेमाल शुरू किया है. बैसरन घाटी में हुए हमले के बाद से ही एनआईए ने कई चश्मदीदों के बयान दर्ज किए हैं, जिनके आधार पर आतंकियों की गतिविधियों का एक प्रारंभिक खाका तैयार किया गया है. जांच एजेंसी का मानना है कि इस हमले में शामिल आतंकी स्थानीय स्तर पर समर्थन प्राप्त कर सकते हैं, जिसके लिए आसपास के इलाकों में भी छानबीन की जा रही है.

22 अप्रैल 2025 को पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों के एक समूह पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी की थी, जिसमें 26 लोग मारे गए थे. यह हमला पर्यटन सीजन के चरम पर हुआ, जिसने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी. हमले की जिम्मेदारी अभी तक किसी आतंकी संगठन ने नहीं ली है, लेकिन एनआईए को शक है कि इसके पीछे किसी बड़े आतंकी नेटवर्क का हाथ हो सकता है.

बैसरन घाटी का इलाका जटिल भौगोलिक संरचना वाला है. घने जंगल, पहाड़ी रास्ते और छिपने की संभावित जगहें आतंकियों के लिए अनुकूल हैं. फिर भी, एनआईए की हाईटेक जांच और 3डी मैपिंग से उम्मीद है कि जल्द ही महत्वपूर्ण सुराग मिलेंगे. जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य सुरक्षा एजेंसियां भी इस जांच में पूरा सहयोग कर रही हैं.

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