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कांवड़ यात्रा से पहले मुजफ्फरनगर में पहचान पर बवाल, वैष्णो देवी ढाबा चलाने वाले सनव्वर और आदिल पर केस दर्ज

Uttar Pradesh

मुजफ्फरनगर में धार्मिक पहचान जांच को लेकर बढ़ा तनाव

Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में दिल्ली-देहरादून हाईवे पर स्थित ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ पर 28 जून को स्वामी यशवीर महाराज के नेतृत्व में एक हिंदू संगठन की टीम ने ‘पहचान अभियान’ चलाया. इस अभियान का उद्देश्य कांवड़ यात्रा मार्ग पर ढाबों और दुकानों के मालिकों और कर्मचारियों की धार्मिक पहचान की जांच करना था. आरोप है कि इस दौरान ढाबे के एक कर्मचारी की पैंट उतारकर उसकी धार्मिक पहचान जानने की कोशिश की गई, जिसके बाद वहां हंगामा मच गया.

ढाबे के मालिक और कर्मचारियों पर आरोप

पुलिस ने ढाबे के संचालक सनव्वर, उनके बेटे आदिल, जुबैर और दो अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है. यह केस ढाबे के पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र की शिकायत पर दर्ज किया गया. जिन्होंने दावा किया कि सनव्वर और उनके साथियों ने उन्हें इसलिए मारा क्योंकि उन्होंने खुलासा किया था कि हिंदू नाम वाले ढाबे को एक मुस्लिम व्यक्ति चला रहा है. धर्मेंद्र ने बताया कि सनव्वर को शक था कि उन्होंने ही स्वामी यशवीर की टीम को ढाबे की असलियत बताई थी.

स्वामी यशवीर का पहचान अभियान

स्वामी यशवीर महाराज, जो बघरा गांव में योग साधना यशवीर आश्रम चलाते हैं. उन्होंने कांवड़ यात्रा से पहले ढाबों और दुकानों पर नेमप्लेट लगाने और मालिकों की पहचान उजागर करने की मांग उठाई थी. उनकी टीम ने दावा किया कि ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ का मालिक मुस्लिम है और कर्मचारी भी मुस्लिम समुदाय से हैं, जो हिंदू नामों के तहत ढाबा चला रहे हैं. स्वामी यशवीर ने ढाबे के मालिक को 24 घंटे में नाम बदलने की चेतावनी दी थी, अन्यथा धरना देने की बात कही थी.

पुलिस की कार्रवाई

नई मंडी थाना प्रभारी दिनेश चंद बघेल ने बताया कि स्वामी यशवीर की टीम के छह सदस्यों को बिना अनुमति पहचान अभियान चलाने के लिए नोटिस जारी किया गया है. उन्हें तीन दिन के भीतर पूछताछ के लिए थाने में उपस्थित होने को कहा गया है. साथ ही, सनव्वर, आदिल, जुबैर और अन्य के खिलाफ मारपीट के आरोप में FIR दर्ज की गई है. पुलिस ने यह भी स्पष्ट किया कि ढाबे की मालकिन मेरठ की दीक्षा शर्मा हैं, जिन्होंने सनव्वर के साथ एग्रीमेंट के तहत ढाबा चलाने का कॉन्ट्रैक्ट किया था.

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस घटना ने धार्मिक और सियासी रंग ले लिया है. AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा पहले भी शांतिपूर्वक होती रही है, फिर अब अचानक पहचान के नाम पर बवाल क्यों? उन्होंने पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए और इसे धार्मिक उत्पीड़न का मामला बताया. वहीं, स्वामी यशवीर का कहना है कि उनका अभियान कांवड़ यात्रियों की सुरक्षा और धार्मिक भावनाओं की रक्षा के लिए है.

मुरादाबाद के पूर्व सपा सांसद एसटी हसन ने बुधवार को उत्तराखंड में कांवड़ मार्ग पर ढाबा मालिकों की कथित धार्मिक जांच की निंदा करते हुए इसे आतंकवाद का एक रूप बताया. उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे कुछ वीडियो में लोगों को उनकी धार्मिक पहचान साबित करने के लिए मजबूर करते हुए देखा गया है. हसन ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार इन कृत्यों को चुपचाप समर्थन दे रही है. सपा के सवालों पर जवाब देते हुए बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा- ‘जहां तक हसन के बयान की बात है, तो मैं पूछना चाहता हूं कि वे ऐसे लोगों के साथ क्यों खड़े होना चाहते हैं जो अपने नाम छिपाते हैं? वे अपना एंटी-मोदी चश्मा उतारें, तभी उन्हें देश की सही तस्वीर नजर आएगी.’

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पिछले साल योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर दुकानों पर असली नाम की नेमप्लेट लगाने और कर्मचारियों का पुलिस सत्यापन करने का निर्देश दिया था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए कहा कि किसी को अपनी धार्मिक पहचान बताने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता. यह मामला अभी कोर्ट में विचाराधीन है.

इधर, पुलिस ने दोनों पक्षों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है. ढाबे की मालकिन दीक्षा शर्मा ने ढाबा बंद करने की बात कही है, और सनव्वर सहित सभी कर्मचारियों को हटा दिया गया है.

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