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‘क्या दीप चंद्र को भीड़ के हवाले कर दिया…?’, तसलीमा नसरीन ने बांग्लादेशी पुलिस पर लगाए आरोप

Taslima Nasreen has raised questions on the role of the police in the case of mob lynching of a Hindu youth in Bangladesh.

बांग्लादेश में हिंदू युवक की मॉब लिंचिंग के मामले में तसलीमा नसरीन ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं.

Taslima Nasrin on Hindu Mob Lynching: बांग्लादेश के मयमनसिंह (Mymensingh) जिले में 25 साल के हिंदू मजदूर दीपू चंद्र दास (Dipu Chandra Das) को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. हिंदू युवक पर ईश निंदा का आरोप लगाकर उसकी हत्या की गई. इसके बाद शव को आग के हवाले कर दिया गया. वहीं बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन ने हिंदू युवक की मॉब लिंचिंग को लेकर बांग्लादेशी पुलिस पर गंभीर सवाल उठाए हैं.

‘क्या पुलिस ने कट्टरवादी भावना के कारण भीड़ के हवाले किया’

निर्वासित लेखिका तस्लीमा नसरीन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक वीडियो साझा करते हुए कहा कि दीपू पूरी तरह से निर्दोष था और उस पर लगाए गए आरोप झूठे थे. उन्होंने यह भी दावा किया कि यह घटना पुलिस संरक्षण के दौरान हुई, जिससे पुलिस की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं. नसरीन ने यह पूछने की जरूरत जताई कि क्या पुलिस ने कट्टरवादी भावना के चलते दीपू को फिर से भीड़ के हवाले कर दिया या उग्रवादियों ने पुलिस को धक्का देकर उसको कब्जे से ले लिया. उन्होंने कहा कि भीड़ ने दीपू को जिहादी उत्सव (jihadist festival) की तरह पीटा, फांसी दी और जलाया.

बांग्लादेश की सामाजिक व्यवस्था पर सवाल उठाए

तस्लीमा नसरीन ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने दीपू के मुस्लिम सहकर्मी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने यह सवाल भी उठाया कि क्या पुलिस के कुछ लोग कट्टर सोच के समर्थक हैं, जिन्होंने दीपू को बचाने के बजाय भीड़ के हाथों सौंप दिया. इस तरह के आरोपों ने बांग्लादेश की पुलिस व्यवस्था और सामाजिक सहिष्णुता (social tolerance) पर चिंताएं और बढ़ा दी हैं.

मामले में अब तक 7 लोग गिरफ्तार

हिंदू युवक की मॉब लिंचिंग के बाद दबाव के बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. अधिकारियों का यह कदम घटना के बाद बढ़ते दबाव के बीच उठाया गया है. सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या आरोपियों के गिरफ्तारी के बाद हत्या के मामले में न्याय मिलेगा या फिर ये सिर्फि खानापूर्ति की जा रही है.

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