India-Pakistan Water Treaty: भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौते को लेकर एक रिपोर्ट ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है. सिडनी स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) द्वारा जारी इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारत नदियों के प्रवाह को तकनीकी रूप से नियंत्रित करता है या उनका रुख मोड़ने की कोशिश करता है, तो पाकिस्तान के लिए जल संकट गहरा सकता है. जिससे वहां की 80 प्रतिशत कृषि व्यवस्था प्रभावित होने की संभावना है.
रिपोर्ट के अनुसार, भारत के पास फिलहाल नदियों के प्रवाह को पूरी तरह से रोकने की क्षमता नहीं है, क्योंकि उसके ज्यादातर बांध रन-ऑफ-द-रिवर की श्रेणी में आते हैं, जिनमें पानी का सीमित भंडारण किया जा सकता है. इसके बावजूद, बांधों के संचालन समय में मामूली बदलाव भी पाकिस्तान की सिंचाई व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है. विशेषज्ञों की मानें तो पाकिस्तान की कृषि लगभग 80 प्रतिशत सिंधु नदी प्रणाली पर ही निर्भर है. ऐसे में कोई भी फैसला अगर भारत लेता है, तो उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.
30 दिनों से ज्यादा नहीं रोका जा सकता पानी
अगर भारत की ओर से पानी को रोकने का प्रयास किया गया या नदी के प्रवाह में अचानक कमी की गई, तो सर्दियों और सूखे मौसम में पंजाब और सिंध प्रांतों के खेतों में पानी की भारी कमी हो सकती है. हालांकि यह ज्यादा दिनों तक नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मौजूदा समय में जो बांध है उसमें सिंधु नदी के प्रवाह को केवल 30 दिनों तक ही रोका जा सकता है.
ये भी पढ़ेंः पैसे बांटने वाली नीतीश सरकार की इस योजना पर भड़की RJD, रोक लगाने के लिए EC के पास पहुंची
किसी कारणवश अगर पानी की आपूर्ति बाधित होती है, तो पाकिस्तान को गंभीर जल संकट और खाद्य सुरक्षा की समस्या झेलनी पड़ सकती है. यह नीति भारत-पाकिस्तान के बीच जल कूटनीति को और जटिल बना सकती है। वहीं, भारत की ओर से यह तर्क दिया जाता रहा है कि वह सिंधु जल समझौते के दायरे में रहकर ही परियोजनाओं का संचालन करता है और उसके कदम अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप हैं.
