Bihar 2020 Election: एक बार फिर से बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले सियासी शोर है. सभी राजनीतिक पार्टियों ने इस बार चुनाव आयोग से छठ के बाद चुनाव कराने की अपील की है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों की भागीदारी हो. हालांकि, अभी चुनाव की तारीखों का ऐलान नहीं हुआ है. साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव की वोटिंग 3 चरणों में हुई थी. कोविड-19 की चुनौतियों के बीच तीन चरणों में हुए इस चुनाव ने पूरे देश की नजरें बिहार पर टिका दी थीं. तब नीतीश कुमार ने सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली.
तीन चरणों में बिहार ने चुना अपना भविष्य
2020 का बिहार विधानसभा चुनाव कोई साधारण इवेंट नहीं था. कोविड-19 के साये में, मास्क और सैनिटाइजर के बीच, बिहार के मतदाताओं ने अपनी ताकत दिखाई. चुनाव तीन चरणों में कराए गए.
पहला चरण (28 अक्टूबर 2020): 71 सीटों पर मतदान हुआ. गांव-गांव में वोटिंग बूथों पर लंबी कतारें थीं, और लोग मास्क लगाए अपनी पसंद की सरकार चुनने निकले.
दूसरा चरण (3 नवंबर 2020): इस बार 94 सीटों पर वोट डाले गए. हर तरफ सियासी गर्मी थी और उम्मीदवारों की रैलियां कोविड प्रोटोकॉल के साथ जोर-शोर से चलीं.
तीसरा चरण (7 नवंबर 2020): आखिरी राउंड में 78 सीटों पर मतदान हुआ. इसके साथ ही बिहार ने अपने 243 विधायकों को चुनने का फैसला पूरा किया.
एनडीए ने मारी बाजी
10 नवंबर 2020 को मतगणना हुई और नतीजों ने सबको चौंका दिया. हर चैनल पर बस एक ही सवाल था कि बिहार में इस बार किसकी सरकार? जब नतीजे आए, तो एनडीए ने बाजी मारी. कुल 125 सीटें जीतकर एनडीए ने सरकार बनाने का रास्ता साफ किया. गठबंधन में बीजेपी ने 74 सीटें, जेडीयू ने 43, वीआईपी ने 4 और जीतन राम मांझी की हम पार्टी ने 4 सीटें हासिल कीं. दूसरी तरफ, महागठबंधन को 110 सीटें मिलीं, जिसमें तेजस्वी यादव की अगुवाई वाली आरजेडी ने शानदार प्रदर्शन किया. इसके अलावा, AIMIM ने 5 सीटें, बसपा ने 1, और लोजपा ने 1 सीट जीती. एक निर्दलीय उम्मीदवार, सुमित सिंह ने भी अपनी जगह बनाई.
16 नवंबर 2020 को पटना में शपथ ग्रहण समारोह हुआ. नीतीश कुमार ने सातवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली. इस बार उनके साथ दो उपमुख्यमंत्रियों ने भी शपथ ली, बीजेपी के तारकिशोर प्रसाद और रेणु देवी. दूसरी तरफ, तेजस्वी यादव विपक्ष के नेता बने और विजय कुमार सिन्हा को विधानसभा अध्यक्ष की जिम्मेदारी मिली.
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कोविड के बीच सियासत का जादू
2020 का चुनाव सिर्फ सियासत का खेल नहीं था, बल्कि यह एक ऐसा मौका था, जब बिहार ने कोविड की चुनौतियों को पार करते हुए लोकतंत्र की ताकत दिखाई. लोग मास्क पहनकर, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए वोट डालने आए. रैलियों में भीड़ थी, लेकिन सावधानी भी थी.
2025 की ओर नजर
अब जब 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान होने वाला है, सियासी हलचल फिर से तेज हो रही है. छठ पूजा के बाद चुनाव कराने की मांग हो रही है, ताकि बाहर रहने वाले बिहारवासी भी अपने वोट की ताकत दिखा सकें. क्या इस बार भी नीतीश कुमार बाजी मारेंगे या तेजस्वी यादव कोई नया इतिहास रचेंगे? यह तो वक्त बताएगा, लेकिन एक बात पक्की है कि बिहार की सियासत कभी बोरिंग नहीं होती.
