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जिस बीड़ी को लेकर बिहार में मचा है बवाल, क्या है उसका मार्केट साइज? समझिए पूरी ABCD

Bidi Industry

बिहार में बीड़ी को लेकर बवाल!

Bidi Industry: बीड़ी ने बिहार में बवाल काट दिया है. दरअसल, केरल कांग्रेस ने तंज कसते हुए ‘एक्स’ पर एक पोस्ट किया, जिसमें लिखा था, “बीड़ी और बिहार दोनों ‘B’ से शुरू होते हैं. अब इसे पाप नहीं माना जा सकता.” इस पोस्ट को हटाने के बाद एक और पोस्ट आई. इसमें लिखा था, “हमने देखा कि जीएसटी दरों के साथ मोदी के चुनावी हथकंडे पर हमारे कटाक्ष को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. अगर आपको ठेस पहुंची है तो हमें खेद है.” आइये इस राजनीतिक बयानबाजी और विवाद के बहाने आज बीड़ी उद्योग के हर पहलू को आसान भाषा में विस्तार से जानते हैं.

बीड़ी उद्योग का मार्केट साइज

बीड़ी भारत में तंबाकू उद्योग का एक बड़ा हिस्सा है, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में. हालांकि सटीक आंकड़े समय-समय पर बदलते रहते हैं, लेकिन कुछ अनुमानों के अनुसार, भारत में बीड़ी उद्योग का बाजार आकार लगभग 20,000-25,000 करोड़ रुपये का है. यह आंकड़ा तंबाकू उत्पादों की कुल खपत का एक हिस्सा है. बिहार में बीड़ी उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था को चलाने में अहम भूमिका निभाता है. बिहार के जमुई, मुंगेर और भागलपुर जैसे जिलों में बीड़ी निर्माण एक प्रमुख उद्योग है, जहां स्थानीय स्तर पर लाखों लोग इससे जुड़े हैं.

हालांकि, जीएसटी और कोरोना के कारण इसका बाजार आकार कुछ हद तक सिकुड़ा है. फिर भी, बीड़ी सिगरेट की तुलना में सस्ती होने के कारण ग्रामीण भारत में इसकी मांग बनी रहती है. अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर किन-किन राज्यों में बनती है बीड़ी? वैसे तो बीड़ी का उत्पादन भारत के कई राज्यों में होता है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां तंबाकू और तेंदू पत्ते की उपलब्धता अधिक है.

मध्य प्रदेश: सागर, जबलपुर और बुंदेलखंड क्षेत्र बीड़ी निर्माण के लिए प्रसिद्ध हैं. यहां बड़े पैमाने पर तेंदू पत्ते का उत्पादन होता है.

बिहार: जमुई, मुंगेर, और भागलपुर जैसे जिले बीड़ी उद्योग के केंद्र हैं. यहां का ग्रामीण क्षेत्र इस उद्योग पर निर्भर है. बिहार के जमुई जिले में अकेले 10 लाख से अधिक लोग बीड़ी उद्योग से जुड़े हैं. यह उद्योग ग्रामीण महिलाओं के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह घरेलू काम के रूप में किया जाता है.

उत्तर प्रदेश: जौनपुर और इलाहाबाद जैसे क्षेत्रों में बीड़ी उद्योग फलता-फूलता है.

पश्चिम बंगाल: मुर्शिदाबाद और मालदा जैसे जिले बीड़ी उत्पादन के लिए जाने जाते हैं.

झारखंड: बिहार से अलग होने के बाद भी झारखंड में बीड़ी उद्योग सक्रिय है, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में.

ओडिशा: तेंदू पत्ते की उपलब्धता के कारण यहां भी बीड़ी निर्माण होता है.

महाराष्ट्र: विदर्भ क्षेत्र में बीड़ी उद्योग काफी सक्रिय है. इन राज्यों में बीड़ी उद्योग मुख्य रूप से कुटीर उद्योग के रूप में चलता है, जहां परिवार और छोटे समूह मिलकर बीड़ी बनाते हैं.

बीड़ी कैसे बनती है?

बीड़ी बनाने की प्रक्रिया पूरी तरह से हस्तनिर्मित और श्रम-प्रधान है. यह एक पारंपरिक कला है, जिसे ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपने घरों में करते हैं. बीड़ी का बाहरी सतह तेंदू पत्ते से बनता है. तेंदू पत्ते को जंगलों से एकत्र किया जाता है और फिर इसे सुखाया जाता है. सूखे पत्तों को कैंची या स्टेंसिल की मदद से एकसमान आकार में काटा जाता है. बीड़ी में इस्तेमाल होने वाला तंबाकू विशेष प्रकार का होता है, जिसे छोटे-छोटे टुकड़ों में काटा जाता है.

तंबाकू को कभी-कभी मसाले या सुगंधित पदार्थ के साथ मिलाया जाता है. इसके बाद कटे हुए तेंदू पत्ते में तंबाकू भरा जाता है और इसे कुशलता से लपेटा जाता है. लपेटने के बाद बीड़ी को धागे से बांधा जाता है ताकि यह खुल न जाए. यह काम ज्यादातर हाथों से किया जाता है और एक कुशल मजदूर दिन में 500-1000 बीड़ियां बना सकता है. तैयार बीड़ियों को छोटे-छोटे बंडलों में पैक किया जाता है, जो आमतौर पर 20-25 बीड़ियों के होते हैं. इसके बाद इन्हें स्थानीय बाजारों या बड़े व्यापारियों के जरिए बेचा जाता है. हालांकि, इस उद्योग की एक समस्या यह रही है कि इसमें शामिल लोग अक्सर कम मजदूरी पर काम करते हैं.

बीड़ी उद्योग से कितने लोगों को रोजगार मिलता है?

भारत में बीड़ी उद्योग में लगभग 49 लाख मजदूरों को नौकरी देता है और जिसके करीब 7.2 करोड़ ग्राहक हैं. हालांकि, ये सेक्टर टैक्स के मामले में सिगरेट से बहुत पीछे है.

यह उद्योग सरकार से मिली छूट का फायदा उठाता है और टैक्स देने से बच जाता है. इससे बीड़ी बनाने वाली कंपनियां बहुत पैसा कमाती हैं. बीड़ी सिगरेट से सस्ती होती है, लेकिन उतनी ही खतरनाक भी. इसका सबसे ज़्यादा असर गरीब लोगों की सेहत पर पड़ता है.

एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कुल बीड़ी का 31% हिस्सा सालाना टैक्स से बच जाता है. इससे एक बहुत बड़ा काला बाज़ार खड़ा हो गया है. एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, भारत में हर साल 1.19 खरब बीड़ी बेची जाती हैं, जो आधिकारिक आंकड़ों से कहीं ज़्यादा है.

बीड़ी कंपनियों की कमाई

कई बड़ी बीड़ी कंपनियां सैकड़ों करोड़ रुपये का कारोबार करती हैं. श्याम बीड़ी का टर्नओवर 200-205 करोड़ रुपये है और यह करीब 10,000 लोगों को नौकरी देती है. वहीं, 502 पटाखा बीड़ी ने 2023 में 1,400 करोड़ रुपये का कारोबार किया. देसाई बीड़ी ने वित्तीय वर्ष 2024 में 1,667.3 करोड़ रुपये की कमाई की. इनके अलावा, हावड़ा बीड़ी, आनंद बीड़ी, किशन बीड़ी, तारा बीड़ी, बंदरछाप बीड़ी, गोविंद बीड़ी, लंगर बीड़ी, साधू बीड़ी, गणेश बीड़ी और नूर बीड़ी जैसे कई और मशहूर बीड़ी कंपनियां हैं.

बीड़ी उद्योग की रीढ़ है तेंदू पत्ता

तेंदू पत्ता और तंबाकू इस उद्योग की रीढ़ हैं और इसकी उपलब्धता बीड़ी उद्योग की सफलता पर निर्भर करती है. सरकार बीड़ी को स्वास्थ्य के लिए हानिकारक मानती है, जिसके कारण इसे सिगरेट की तरह उच्च करों की श्रेणी में रखा गया है, हालांकि, सरकार ने जीएसटी रिफॉर्म के जरिए इस उद्योग को थोड़ी राहत जरूर दी है. अब बीड़ी पर सिर्फ 18 फीसदी ही जीएसटी वसूला जाएगा.

हालांकि, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले केरल कांग्रेस के एक ट्वीट ने बीड़ी उद्योग को लेकर बड़ा बवाल खड़ा कर दिया. हालांकि, बीजेपी-जेडीयू इसे चुनावी मुद्दा बनाकर बिहार की जनता को साधने की कोशिश में जुट गई है.

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