NDA CM Candidate: बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है, वैसे-वैसे सियासी गर्मी बढ़ती जा रही है. हर बार की तरह इस बार भी सबसे बड़ा सवाल है कि बिहार का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? विपक्षी महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को अपना CM चेहरा पहले ही घोषित कर दिया है. दूसरी तरफ, NDA की ओर से नीतीश कुमार को बार-बार नेता बताया जा रहा था, लेकिन CM उम्मीदवार के तौर पर कोई साफ घोषणा नहीं हुई थी. इस असमंजस ने महागठबंधन को मौका दिया कि वह NDA पर सवाल उठाए. तेजस्वी यादव और उनकी टीम हर सभा में पूछ रही थी, “NDA का CM चेहरा कौन?” इस दबाव ने आखिरकार NDA को अपनी रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया.
BJP ने नीतीश को क्यों चुना?
हाल ही में बिहार BJP के बड़े नेता और उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने साफ कर दिया कि अगर NDA बहुमत हासिल करती है, तो नीतीश कुमार ही बिहार के अगले CM होंगे. यह बयान उस वक्त आया जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जीत के बाद NDA के विधायक मिलकर CM का फैसला करेंगे. शाह के इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी थी.
कई लोगों को लगा कि BJP शायद नीतीश को पूरी तरह से समर्थन नहीं दे रही. लेकिन सम्राट चौधरी के ताजा बयान ने सारी अटकलों पर विराम लगा दिया. सम्राट चौधरी ने मुंगेर के तारापुर से चुनाव लड़ते हुए एक इंटरव्यू में कहा, “हमारे लिए कोई सवाल ही नहीं है. नीतीश जी अभी CM हैं और आगे भी रहेंगे.” उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2005 में BJP ने ही नीतीश को पहली बार CM उम्मीदवार बनाया था. चौधरी ने साफ किया कि नीतीश की विचारधारा भले ही अलग हो, लेकिन NDA के सभी दलों के लिए वह स्वीकार्य हैं.
महागठबंधन का दबाव या NDA की रणनीति?
महागठबंधन ने इस बार अपनी रणनीति को काफी आक्रामक बनाया है. तेजस्वी यादव हर मंच से NDA पर निशाना साध रहे हैं. उनका कहना है कि BJP नीतीश को पूरी तरह से समर्थन नहीं दे रही और शायद कोई और चेहरा सामने लाना चाहती है. इस सवाल ने NDA को बैकफुट पर ला दिया. विपक्ष की इस रणनीति का जवाब देने के लिए BJP को साफ करना पड़ा कि नीतीश ही उनके CM उम्मीदवार हैं. JDU के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा, “NDA में नीतीश कुमार को लेकर कोई विवाद नहीं है. JDU, BJP और अन्य सहयोगी दलों में पूरा तालमेल है.” संजय झा ने यह भी कहा कि नीतीश के नेतृत्व में बिहार ने विकास की नई ऊंचाइयां छुई हैं और यही कारण है कि वह NDA के लिए पहली पसंद हैं.
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बिहार में 20 लाख करोड़ का निवेश
NDA ने सिर्फ CM चेहरा ही साफ नहीं किया, बल्कि अपने भविष्य के प्लान भी जनता के सामने रखे हैं. सम्राट चौधरी ने बताया कि BJP जल्द ही एक घोषणापत्र जारी करेगी, जिसमें बिहार के विकास का रोडमैप होगा. उन्होंने वादा किया कि अगले पांच साल में बिहार में 20 लाख करोड़ रुपये का निवेश लाया जाएगा. इसके लिए 50,000 एकड़ का लैंड बैंक बनाने की योजना है. अभी तक 7,282 एकड़ जमीन रिजर्व है और 14,000 एकड़ जमीन खरीदी जा चुकी है. चौधरी ने कहा, “हम बिहार को औद्योगिक हब बनाएंगे. हमारे पुराने वादों को पूरा करने के साथ-साथ नई योजनाएं भी लाएंगे.”
नीतीश और BJP का पुराना रिश्ता
सम्राट चौधरी ने यह भी बताया कि नीतीश और BJP का रिश्ता 29 साल पुराना है. कुछ समय के लिए नीतीश ने अलग राह चुनी थी, लेकिन ज्यादातर वक्त उन्होंने BJP के साथ मिलकर बिहार की सियासत को दिशा दी. चौधरी ने 1990 की एक घटना का जिक्र किया, जब जनता दल की सरकार को BJP ने समर्थन दिया था. उस वक्त लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा के दौरान उनकी गिरफ्तारी के बाद BJP ने समर्थन वापस ले लिया था, लेकिन नीतीश ने BJP के साथ अपनी दोस्ती बनाए रखी. चौधरी ने यह भी कहा कि लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार को CM बनाने में BJP का बड़ा योगदान रहा है. हालांकि, लालू जल्दी ही अपनी राह बदल गए, लेकिन नीतीश ने NDA के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत रखा.
क्या NDA की एकजुटता टिक पाएगी?
NDA की इस नई रणनीति ने महागठबंधन को जवाब तो दे दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह एकजुटता चुनाव तक बनी रहेगी? बिहार की सियासत में गठबंधन की राजनीति हमेशा से जटिल रही है. नीतीश कुमार की JDU और BJP के बीच कई बार तनाव की खबरें भी सामने आई हैं. लेकिन सम्राट चौधरी और संजय झा के बयानों से लगता है कि NDA इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहता. वहीं, महागठबंधन इस मुद्दे को और भुनाने की कोशिश कर सकता है. तेजस्वी यादव युवा चेहरा हैं और उनकी सभाओं में भीड़ भी खूब जुट रही है. ऐसे में NDA के लिए नीतीश को सामने रखकर जनता का भरोसा जीतना आसान नहीं होगा.
बिहार के लिए क्या है मायने?
NDA ने नीतीश कुमार को CM उम्मीदवार घोषित कर महागठबंधन के सवालों का जवाब तो दे दिया है, लेकिन असली जंग अब मतदाताओं के बीच होगी. विकास के वादे, निवेश की योजनाएं और नीतीश की साख NDA के लिए तुरुप का पत्ता हो सकती है. लेकिन तेजस्वी की आक्रामकता और युवा अपील को कम करके नहीं आंका जा सकता. बिहार का यह सियासी रण अब और रोमांचक हो गया है.
