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क्या प्रशांत किशोर के प्लान पर फिर जाएगा पानी? दशकों बाद बिहार में सियासी एजेंडा सेट कर रही है कांग्रेस!

Bihar Politics

प्रशांत किशोर और राहुल गांधी

Bihar Politics: बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. सड़कों पर भीड़ है, गांवों में नारे लग रहे हैं और सोशल मीडिया पर बहस छिड़ी है. इस चुनावी माहौल में दो बड़ी शख्सियतें सुर्खियों में हैं, राहुल गांधी और प्रशांत किशोर. दोनों अपनी-अपनी यात्राओं से बिहार की जनता का दिल जीतना चाहते हैं, लेकिन क्या दोनों की राहें एक जैसी हैं? क्या दशकों बाद कांग्रेस बिहार में चुनावी एजेंडा सेट कर रही है? आइए जानते हैं…

बिहार का सियासी रंगमंच

बिहार में अक्टूबर-नवंबर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर हैं. बेरोजगारी और पलायन, हर दल का बड़ा मुद्दा है. नीतीश कुमार की शराबबंदी नीति पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि अवैध शराब का धंधा बदस्तूर जारी है. वहीं, मतदाता सूची संशोधन (Special Intensive Revision) में 65 लाख से ज्यादा नाम हटाए जाने का दावा है. विपक्ष इसे ‘वोट चोरी’ बता रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने आधार को वैध दस्तावेज माना, लेकिन गांवों में लोग दस्तावेज जुटाने में परेशान हैं.

इन मुद्दों के बीच दो बड़ी सियासी यात्राएं बिहार की सड़कों पर धूम मचा रही हैं, राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ और प्रशांत किशोर की ‘बिहार बदलाव यात्रा’. लेकिन, जब से राहुल गांधी ने ‘वोट चोर’ का मुद्दा उठाया है और बिहार का दौरा कर रहे हैं, तबसे बिहार की राजनीति में मुख्य रूप इंडिया गठबंधन और एनडीए की चर्चा ही अधिक हो रही है. इस स्थिति में प्रशांत किशोर की पार्टी मीडिया के मेन फ्रेम से थोड़ी बाहर होती दिख रही है, जिसकी वजह से जन सुराज को बिहार चुनावी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’

17 अगस्त 2025 को शुरू हुई राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने बिहार के सियासी माहौल को गर्म कर दिया. 1,300 किलोमीटर की इस यात्रा ने सासाराम, गया, भागलपुर, पूर्णिया, दरभंगा जैसे 20 से ज्यादा जिलों को कवर किया. 1 सितंबर को पटना में इसका समापन होना है, लेकिन अभी से यह चर्चा के केंद्र में है.

राहुल का कहना है कि मतदाता सूची से लाखों गरीब, दलित और प्रवासी मजदूरों के नाम हटाए जा रहे हैं. उनका नारा है, “गरीब का वोट उसका हथियार है, इसे छीनने नहीं देंगे.” इस मुद्दे ने ग्रामीण वोटरों, खासकर युवाओं और मुस्लिम-यादव समुदाय में जोश भरा है.

इस यात्रा में RJD के तेजस्वी यादव, लालू प्रसाद, कांग्रेस की प्रियंका गांधी, झारखंड के हेमंत सोरेन और तमिलनाडु के एमके स्टालिन जैसे दिग्गज शामिल हुए. यह दिखाता है कि INDIA गठबंधन एकजुट होकर NDA को टक्कर देने की तैयारी में है.

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दरभंगा में बवाल

हालांकि, पिछले दिनों जब यह यात्रा बिहार के दरभंगा पहुंची, तो विवाद बढ़ गया. दरअसल, जिस मंच पर राहुल गांधी और तेजस्वी यादव मौजूद थे, वहीं से पीएम मोदी और उनकी दिवंगत मां को गाली दी गई. बीजेपी ने राहुल गांधी से माफी की मांग की. कई जगहों पर कांग्रेस और राजद नेताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई. लेकिन असली खेला तो पटना में हुआ. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस दफ्तर पर धावा बोल दिया. दोनों दलों के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए. एक दूसरे पर जमकर लाठियां भांजी. हालांकि, पुलिस ने जैसे-तैसे मामले को शांत कराया.

क्या असर हो रहा है?

ग्राउंड पर यह यात्रा विपक्ष को एक नई ताकत दे रही है. SIR का मुद्दा अब हर गली-नुक्कड़ पर चर्चा में है. C-Voter जैसे सर्वे बता रहे हैं कि INDIA गठबंधन को 40-45% वोट शेयर मिल सकता है, जिसमें राहुल की यात्रा का योगदान साफ दिखता है. लेकिन कुछ लोग इसे सिर्फ शोर भी मानते हैं. प्रशांत किशोर ने तंज कसते हुए कहा, “राहुल को बिहार में कोई गंभीरता से नहीं लेता. वो RJD के पीछे-पीछे घूम रहे हैं.”

हालांकि, प्रशांत किशोर की परेशानी बढ़ सकती है जितना इंडिया गठबंधन और एनडीए के बीच आमने-सामने की लड़ाई होती जाएगी. यही वजह है कि प्रशांत किशोर ने इंडिया गठबंधन के मंच से पीएम मोदी को अभद्र भाषा कहे जाने पर टालने की कोशिश की है. उन्होंने कहा कि जो गाली दे रहे हैं, वे जानें और जिनको गाली दी जा रही है, वे जानें. राहुल गांधी आकर मोदी को गाली दे रहे हैं और मोदी आकर राहुल गांधी को गाली दे रहे हैं. हम यह जानना चाहते हैं कि बिहार के बच्चों को जो गाली दे रहे हैं, उनका इंसाफ कब होगा?

प्रशांत किशोर की ‘जन सुराज’

सियासी रणनीति का जादूगर प्रशांत किशोर अपनी ‘जन सुराज’ पार्टी के साथ बिहार में नया विकल्प बनने की कोशिश में हैं. अक्टूबर 2022 से उनकी ‘बिहार बदलाव यात्रा’ चल रही है, जिसमें वो 5,000 से ज्यादा गांव पैदल घूम चुके हैं. उनका वादा है, शिक्षा, रोजगार और सुशासन से बिहार को बदलना. PK सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. उनका फोकस है युवा और पलायन. वो कहते हैं, “बिहार को लालू-नीतीश के चंगुल से निकालना है.” उनकी सभाओं में शिक्षा और बेरोजगारी पर जोर है. मिसाल के तौर पर, उन्होंने ‘पढ़ाई-कमाई-दवाई’ का नारा दिया, जो कुछ युवाओं को पसंद आ रहा है. गांवों में PK की सभाओं में अच्छी-खासी भीड़ आ रही है, लेकिन उतना जोश नहीं जितना राहुल की यात्रा में दिखता है. इसे देखकर तो यही लग रहा है राहुल गांधी ने अपनी ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से पीके की हवा निकाल दी है.

PK कहते हैं, “जन सुराज या तो 10 से कम सीटें जीतेगी, या 200 से ज्यादा. लेकिन सर्वे उन्हें 5-10% वोट शेयर दे रहे हैं. उनकी मुहिम NDA और INDIA दोनों के वोट काट सकती है, खासकर शहरी और युवा वोटरों में. लेकिन जातिगत समीकरणों में उनकी पकड़ कमजोर है, जो बिहार की सियासत का आधार है.

क्या कांग्रेस बिहार में कमबैक कर रही है?

1980-90 के दशक में कांग्रेस बिहार की सियासत का बड़ा नाम थी, लेकिन लालू-नीतीश के दौर में वो हाशिए पर चली गई. 2020 में सिर्फ 19 सीटें जीतीं. लेकिन इस बार राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने कांग्रेस को नई जान दी है. राहुल SIR को ‘लोकतंत्र पर हमला’ बता रहे हैं और जातिगत जनगणना व आरक्षण की मांग को जोर-शोर से उठा रहे हैं. कन्हैया कुमार की ‘युवा हल्ला बोल’ यात्रा ने प्रवासन और बेरोजगारी को भी मुद्दा बनाया है.

इस बार कांग्रेस INDIA गठबंधन में RJD के साथ 40-50 सीटों पर लड़ेगी. राहुल की यात्रा ने उन्हें RJD से अलग पहचान दी है. ग्रामीण वोटरों में उनकी बात पहुंच रही है, खासकर उनमें जो SIR से परेशान हैं. लेकिन सच यह है कि बिहार में RJD का ‘MY-BAAP’ (मुस्लिम-यादव-बहुजन) फॉर्मूला अभी भी गेमचेंजर है. तेजस्वी यादव का चेहरा और ‘10 लाख नौकरियां’ का वादा भी युवाओं को ज्यादा आकर्षित कर रहा है.

क्या चुनावी एजेंडा सेट कर रही है कांग्रेस?

हां, दशकों बाद कांग्रेस बिहार में एजेंडा सेट करने की कोशिश में है. SIR और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों ने उन्हें चर्चा में ला दिया. लेकिन बिना RJD के समर्थन के उनका असर सीमित रहेगा. PK ने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस बिहार में शून्य है, लालू की भिक्षा पर जी रही है.” फिर भी, राहुल की सक्रियता ने कांग्रेस को नई उम्मीद दी है.

C-Voter जैसे सर्वे बता रहे हैं कि NDA और INDIA के बीच कांटे की टक्कर है. दोनों को 45-50% वोट शेयर मिल सकता है. प्रशांत किशोर की जन सुराज 5-10% वोट काट सकती है, जो किसी भी गठबंधन की जीत को प्रभावित कर सकती है. बिहार की सियासत में जातिगत समीकरण EBC, OBC, मुस्लिम, दलित और युवा वोटर निर्णायक होंगे. राहुल की यात्रा ने SIR को बड़ा मुद्दा बनाया, और विपक्षी एकता को मजबूती दी. लेकिन RJD की छाया से बाहर निकलना उनके लिए चुनौती है. जन सुराज नया विकल्प है, लेकिन बिहार की जातिगत सियासत में उनकी पकड़ कमजोर है.

बिहार का सियासी ड्रामा

बिहार का यह चुनाव एक सुपरहिट फिल्म की तरह है, जहां ड्रामा, ट्विस्ट और इमोशन सबकुछ है. राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ ने सियासी पिच पर चौके-छक्के लगाए हैं, लेकिन प्रशांत किशोर का ‘जन सुराज’ भी चुपके से गेम बदलने की फिराक में है. NDA और INDIA गठबंधन अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं. लेकिन आखिरी गेंद पर जीत किसकी होगी, यह बिहार की जनता तय करेगी.

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