Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है, लेकिन विपक्षी खेमे में सब कुछ ठीक नहीं है. महागठबंधन (RJD, कांग्रेस, CPI-ML, VIP) के सहयोगी दल ही कई सीटों पर आपस में भिड़ गए हैं. कम से कम 10 ऐसी सीटें सामने आई हैं, जहां आरजेडी, कांग्रेस, भाकपा-माले और वीआईपी ने एक-दूसरे के खिलाफ ही अपने-अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए हैं.
इसे देखकर सियासी गलियारों में यह चर्चा गर्म है कि यह ‘दोस्ताना मुकाबला’ (Friendly Fight) कहीं सीधे-सीधे एनडीए (NDA) को जीत की थाली न परोस दे. सीटों के बंटवारे को लेकर लंबे समय से चल रही खींचतान ने अब एक बड़ा रूप ले लिया है. आरजेडी ने अपनी 46 और कांग्रेस ने 48 उम्मीदवारों की लिस्ट पहले ही जारी कर दी थी. लेकिन, आपसी सहमति न बनने के कारण अब पहले चरण के मतदान वाली कई सीटों पर महागठबंधन के दो-दो नेता आमने-सामने आ गए हैं.
इन 10 सीटों पर है ‘अपनों’ से लड़ाई
महागठबंधन की यह ‘घर की लड़ाई’ वैशाली, लालगंज, राजापाकर, बछवारा, गौरा बौराम, रोसरा, बिहारशरीफ, कहलगांव, तारापुर और आलमनगर जैसी महत्वपूर्ण सीटों पर देखने को मिल रही है:
वैशाली और रोसरा: यहां आरजेडी और कांग्रेस के उम्मीदवार सीधे मुकाबले में हैं.
लालगंज: आरजेडी की शिवानी शुक्ला के सामने कांग्रेस ने आदित्य कुमार राजा को उतार दिया है.
राजापाकर और बछवारा: इन सीटों पर कांग्रेस का मुकाबला वाम दल (भाकपा-माले) के उम्मीदवारों से है.
गौरा बौराम और तारापुर: इन जगहों पर वीआईपी और आरजेडी के बीच खींचतान है.
बिहारशरीफ: यहां कांग्रेस और सीपीआई के उम्मीदवार आमने-सामने हैं.
आलमनगर: यहां तो कमाल ही हो गया! एक ही उम्मीदवार नवीन कुमार ने आरजेडी और वीआईपी, दोनों पार्टियों के सिंबल पर नामांकन दाखिल कर दिया है.
कहलगांव : भागलपुर जिले की कहलगांव सीट पर दूसरे चरण में मतदान है. यहां आरजेडी के रजनीश यादव और कांग्रेस के प्रवीण कुमार कुशवाहा भिड़े पड़े हैं. हालांकि, यहां दूसरे चरण के नामांकन की अंतिम तिथि 20 अक्टूबर की है, लेकिन विवाद पहले चरण के नामांकन के साथ ही उभर आया है.
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टेंशन में कार्यकर्ता, एनडीए खुश
जाहिर है, जब सहयोगी दल ही एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार करेंगे, तो वोट बंटेंगे और इसका सीधा फायदा एनडीए को मिलेगा. आरजेडी के प्रवक्ता ने दावा किया है कि यह भ्रम जल्द ही सुलझ जाएगा और आरजेडी के कुछ उम्मीदवार नाम वापस ले सकते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं में भारी असमंजस है. उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वह किसका प्रचार करें. दूसरी ओर, एनडीए (BJP 101, JDU 101, LJP (रामविलास) 29, हम-आरएलएम 6-6) पूरी तरह से एकजुट दिख रहा है और इस फूट को अपने लिए ‘वरदान’ मान रहा है.
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर 21 अक्टूबर (नाम वापस लेने की अंतिम तिथि) तक यह मामला शांत नहीं हुआ, तो यह ‘फ्रेंडली फाइट’ नहीं, बल्कि महागठबंधन के लिए बड़ा नुकसान साबित होगी. अब सबकी निगाहें 21 अक्टूबर पर टिकी हैं – क्या महागठबंधन अपनी एकता दिखा पाएगा, या यह आपसी टकराव एनडीए की राह आसान कर देगा?
