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ऐसे ही नहीं संगठन चुनाव में फूंक-फूंककर कदम रख रही है BJP, अग्निपरीक्षा से गुजरेंगे नए अध्यक्ष!

BJP President Election

बीजेपी का नया कप्तान कौन?

BJP President Election: बीजेपी जिस तरह से अपने संगठन चुनावों में फूंक-फूंककर कदम रख रही है, वह दिखाता है कि पार्टी किसी भी तरह की जल्दबाजी या चूक से बचना चाहती है. लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों ने साफ कर दिया है कि आगे की राह आसान नहीं होगी. यही वजह है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि पार्टी की भविष्य की रणनीति का एक अहम हिस्सा बन गया है. नए अध्यक्ष को न सिर्फ संगठन को फिर से खड़ा करना होगा, बल्कि पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में सहयोगी दलों के साथ बेहतर तालमेल बिठाना, और आने वाले विधानसभा चुनावों में पार्टी को विजय दिलाना भी होगा.

हालांकि, बीजेपी के भीतर इस समय संगठनात्मक स्तर पर जबरदस्त हलचल मची हुई है. लोकसभा चुनाव 2024 के बाद से ही पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर कयासों का बाजार गर्म है, और अब यह इंतजार अंतिम चरण में पहुंचता दिख रहा है. मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पिछले साल ही पूरा हो गया था, लेकिन आम चुनाव के मद्देनजर इसे आगे बढ़ाया गया था. अब जबकि पार्टी का संगठन चुनाव पूरे होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है. माना जा रहा है कि अगले महीने नए अध्यक्ष के नाम पर मुहर लग जाएगी.  

कौन संभालेगा कमान?

बीजेपी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए कम से कम 50% राज्य इकाइयों में संगठन चुनाव पूरे होने अनिवार्य हैं. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, यह प्रक्रिया तेजी से चल रही है. त्रिपुरा, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया अपने अंतिम चरणों में है. आंध्र प्रदेश में तो 1 जुलाई, 2025 को ही नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की संभावना है, जिसके लिए पार्टी ने कमर कस ली है.  

इन सब गतिविधियों के बीच, सबसे बड़ा सवाल यही है कि बीजेपी की कमान कौन संभालेगा. राजनीतिक गलियारों में इस बात की जोरदार चर्चा है कि मानसून सत्र से पहले बीजेपी को अपना नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है. मानसून सत्र आमतौर पर जुलाई के अंतिम सप्ताह या अगस्त की शुरुआत में शुरू होता है.

कौन-कौन हैं दावेदार?

राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की दौड़ में कई दिग्गज नेताओं के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं. इस लिस्ट में कुछ अनुभवी चेहरे हैं जिनकी संगठन पर मजबूत पकड़ है, तो कुछ ऐसे भी नाम हैं जो पार्टी के युवा और गतिशील नेतृत्व का प्रतिनिधित्व करते हैं:

शिवराज सिंह चौहान: मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और अब केंद्रीय कृषि मंत्री, शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे चल रहा है. उनकी जननेता वाली छवि और संगठन के साथ गहरे जुड़ाव के कारण उन्हें एक मजबूत दावेदार माना जा रहा है. लोकसभा चुनाव में उनकी भूमिका और लोकप्रियता को देखते हुए पार्टी उन पर भरोसा कर सकती है.

धर्मेंद्र प्रधान: केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी इस दौड़ में हैं. उनकी संगठनात्मक क्षमता और विभिन्न राज्यों में पार्टी को मजबूत करने में उनकी भूमिका सराहनीय रही है.

भूपेंद्र यादव: केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है. उनकी पहचान एक कुशल रणनीतिकार और संगठनकर्ता के रूप में है.

दक्षिण से भी नाम: दक्षिण भारत से भी कुछ नाम चर्चा में हैं, जो पार्टी की ‘दक्षिण विजय’ रणनीति का हिस्सा हो सकते हैं. इनमें तमिलनाडु से वानति श्रीनिवासन (वर्तमान में महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष), पूर्व राज्यपाल तमिलिसाई सौंदर्यराजन और आंध्र प्रदेश की दिग्गज नेता व पूर्व सीएम एनटीआर की बेटी डी. पुरंदेश्वरी का नाम शामिल हैं. हालांकि, बीजेपी अपने फैसलों से अक्सर चौंकाती रही है, इसलिए अंतिम नाम इनमें से कोई और भी हो सकता है, जो शायद अभी चर्चा में न हो.

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आरएसएस की निर्णायक भूमिका

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का बीजेपी के हर बड़े निर्णय में हमेशा से अहम रोल रहा है. इस बार भी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में संघ की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होगी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटों में कुछ कमी आने के बाद, ऐसी अटकलें हैं कि आरएसएस पार्टी के सांगठनिक ढांचे में और अधिक सक्रिय भूमिका निभा सकता है.

संघ ऐसे नेतृत्व को प्राथमिकता देगा जो न केवल संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत कर सके, बल्कि कार्यकर्ताओं को एकजुट रख सके और पार्टी की मूल विचारधारा के प्रति प्रतिबद्ध हो. आरएसएस ऐसे चेहरे को तरजीह देगा जो भविष्य की चुनौतियों के लिए पार्टी को तैयार कर सके और लोकसभा चुनाव 2029 के लिए अभी से आधार तैयार कर सके. 4 जुलाई से लेकर 6 जुलाई तक दिल्ली में आरएसएस के प्रांतीय प्रचारकों की बैठक होने वाली है. इस बैठक में मोहन भागवत भी शामिल होंगे. इस दौरान भी मंथन की संभावना है.

अग्निपरीक्षा से गुजरेंगे नए अध्यक्ष!

जो भी नया राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेगा, उसके सामने चुनौतियों का एक बड़ा पहाड़ होगा. आगामी समय में कई राज्यों में महत्वपूर्ण विधानसभा चुनाव होने हैं, जो नए अध्यक्ष की पहली बड़ी अग्निपरीक्षा साबित होंगे.

बिहार: अक्टूबर-नवंबर 2025 में चुनाव संभावित हैं.

असम: मई 2026 में कार्यकाल समाप्त हो रहा है.

केरल: मई 2026 में कार्यकाल समाप्त हो रहा है.

तमिलनाडु: मई 2026 में कार्यकाल समाप्त हो रहा है.

पश्चिम बंगाल: मई 2026 में कार्यकाल समाप्त हो रहा है.

पुडुचेरी: जून 2026 में कार्यकाल समाप्त हो रहा है.

इन चुनावों में पार्टी का बेहतर प्रदर्शन सुनिश्चित करना नए अध्यक्ष की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होगी. इसके अलावा, नए अध्यक्ष को इन अहम मोर्चों पर भी काम करना होगा. लोकसभा चुनाव के बाद, कुछ राज्यों में संगठन में आई ढिलाई को दूर करना और बूथ स्तर तक पार्टी को फिर से मजबूत करना.

इसके इतर बीजेपी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के कंधों पर इस बार बड़ी और बहुमुखी जिम्मेदारी होगी. पीएम मोदी के तीसरे कार्यकाल में बीजेपी को पूर्ण बहुमत नहीं मिल पाया है, जिसके कारण सरकार को एनडीए के सहयोगी दलों पर अधिक निर्भर रहना पड़ रहा है. ऐसे में नए अध्यक्ष के लिए सबसे बड़ी चुनौती सहयोगी दलों के साथ बेहतर समन्वय (Coordination) स्थापित करना होगी. उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि गठबंधन में शामिल सभी दलों की अपेक्षाओं और हितों का ध्यान रखा जाए, ताकि सरकार सुचारू रूप से चल सके और भविष्य में कोई बड़ा मतभेद सामने न आए. इसके साथ ही, अगले दो सालों में कई महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं.

संगठन और सरकार के बीच सेतु बनने की जिम्मेदारी

नए अध्यक्ष को इन राज्यों के स्थानीय समीकरणों को साधना होगा, प्रभावी चुनावी रणनीतियां बनानी होंगी, और पार्टी को जीत की राह पर ले जाना होगा. यह काम सिर्फ चुनावी सभाओं तक सीमित नहीं होगा, बल्कि उन्हें ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को एकजुट करना, गुटबाजी को खत्म करना और अलग-अलग समुदायों व वर्गों के बीच पार्टी की स्वीकार्यता बढ़ाना भी शामिल होगा. कुल मिलाकर, नए अध्यक्ष को संगठन और सरकार के बीच एक मजबूत सेतु का काम करते हुए, आने वाले समय की राजनीतिक और चुनावी चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना करना होगा.

इतना ही नहीं, विपक्षी दलों की बढ़ती एकजुटता और उनके आक्रामक रुख का प्रभावी ढंग से जवाब देना और पार्टी के एजेंडे को मजबूती से पेश करना. पार्टी में नए और युवा नेताओं को अवसर देना, ताकि भविष्य के लिए मजबूत नेतृत्व तैयार हो सके. ये भी नए कप्तान की बड़ी जिम्मेदारी होगी.

बीजेपी एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ी है. नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा, यह अगले कुछ हफ्तों में स्पष्ट हो जाएगा, लेकिन यह निश्चित है कि यह चुनाव केवल एक पद का बदलाव नहीं, बल्कि पार्टी की भविष्य की दिशा, रणनीति और 2029 के लिए उसकी तैयारियों का एक महत्वपूर्ण संकेत होगा. पूरे देश की निगाहें बीजेपी के इस बड़े ऐलान पर टिकी हुई हैं.

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