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Caste Census: खुद के फैसले से क्यों पलटी BJP? अब करवाएगी जाति जनगणना, जानें क्या है इसके पीछे वजह

Caste Census

केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर कराएगी जातिगत जनगणना

Caste Census: बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक के बाद एक कुल 4 बैठकें हुईं. इसमें सबसे आखिरी में केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई. जिसमें यह फैसला लिया गया कि केंद्र की मोदी देश भर में जाति जनगणना करवाएगी. सरकार की कैबिनेट बैठक की ब्रीफिंग मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दी. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना कराएगी. यह मुद्दा विपक्षी दल और खासकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा उठाया था.

बता दें कि मोदी सरकार शुरू से देश में जाति जनगणना का विरोध कर रही थी. 20 जुलाई 2021 को संसद में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने कहा था कि सरकार ने नीति के तहत यह निर्णय लिया है कि जनगणना में एससी और एसटी के अलावा अन्य जातियों की जनगणना नहीं की जाएगी. मगर अब सरकार अपने ही फैसले से पलट गई है. सरकार ने ऐलान किया है कि वो अब देश में जाती जनगणना करवाई जाएगी.

अक्सर विपक्ष पर समाज बांटने का आरोप लगाने वाली भाजपा ने अपना फैसला पलट दिया है. भाजपा के फैसला पलटते ही अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं. मोदी सरकार अपनी बात से क्यों पलटी? बीजेपी अब ये जाती जनगणना कब करवाएगी? बिहार चुनाव में इसका क्या असर पड़ेगा? चलिए जानते हैं…

RSS ने दिया था हिंट

सरकार के इस फैसले को लेकर RSS ने पिछले साल सितंबर हिंट दिया था. आरएसएस की ओर से कहा गया था कि जाति जनगणना को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल न किया जाए. उन्होंने यह भी कहा था कि सरकार को सभी कल्याणकारी गतिविधियों के लिए आंकड़ों की आवश्यकता है, खासकर उन जातियों और समुदायों को ऊपर उठाने के लिए जो आज भी पिछड़े हुए हैं.

कांग्रेस का मुद्दा किया हाईजैक!

देश में जाति जनगणना की मांग विपक्ष शुरू से कर रही है. हाल के हुए चुनाव से पहले से ही कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जातिगत जनगणना करवाने की मांग उठाई थी. मगर अब मोदी कैबिनेट ने इस मुद्दे को हाईजैक कर लिया है.

जातिगत जनगणना का यह फैसला तब लिया गया है जब पहलगाम आतंकी हमले के बाद लोकप्रिय भावना और विपक्ष के समर्थन से सरकार अपनी सबसे मजबूत स्थिति में है. इसके साथ ही 5 महीने बाद बिहार चुनाव भी है. जहां जाती आधारित सर्वे पहले ही हो चुके हैं. बिहार में भी विपक्ष इस मुद्दे को उठती रही है.

कांग्रेस को लिया आड़े हाथ

कैबिनेट के फैसलों का ब्रीफिंग करते हुए केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसे कांग्रेस की नीति के उलट बताया. उन्होंने यूपीए सरकार पर सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना करने और इसे राजनीतिक उपकरण के रूप में इस्तेमाल करने का आरोप लगाया. जबकि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने लोकसभा में जाति जनगणना का आश्वासन दिया था. कांग्रेस ने आजादी के बाद से और सत्ता में रहने के दौरान कभी जाति जनगणना नहीं करवाई.

बिहार चुनाव का रोड मैप बनाने की तैयारी

बिहार चुनाव से पहले विपक्षी दलों की राजनीतिक मुद्दों को खत्म करने की यह बीजेपी की चल हो सकती है. बीजेपी सूत्रों की मानें तो यह विपक्ष से “तेज छीन” सकता है जो बिहार चुनाव में जाति जनगणना को एक अहम मुद्दा बनाने की योजना बना रहा है. बिहार में नीतीश कुमार पहले ही जातिगत सर्वेक्षण करा चुके हैं, लेकिन बीजेपी ने इसकी आलोचना की थी. बिहार चुनाव के प्रचार के लिए हो सकता है कि आरजेडी और कांग्रेस ने जाति जनगणना को अपना अहम मुद्दा बनाने की कोशिश कर सकता है. सरकार के इस फैसले के बाद बिहार में विपक्ष के पास ज्यादा कुछ नहीं बचा है.

बीजेपी सूत्र ने यह भी बताया कि आगे चलकर पार्टी प्रवक्ता ‘सर्वेक्षण और जनगणना’ के बीच अंतर को सामने रखेंगे. इस दौरान बीजेपी बताएगी कि कैसे भारतीय ब्लॉक में विपक्षी दल, जो अब जीत का दावा कर रहे हैं, जाति सर्वेक्षण को ‘राजनीतिक उपकरण’ के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं. इसके अलावा बीजेपी के एक अन्य सूत्र ने यह भी कहा कि तेलंगाना जैसे विपक्षी शासित राज्यों ने जाति सर्वेक्षण के जरिए लोगों के मन में संदेह पैदा कर दिया है. जनगणना के साथ-साथ उचित गणना, एक स्पष्ट तस्वीर पेश करेगी.

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लोकसभा चुनाव के झटके से सिख

पिछले साल हुए लोकसभा चुनाव के नतीजों में बीजेपी को करारा झटका लगा था. पार्टी को पूर्ण बहुमत से भी पीछे रहना पड़ा था. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने अपने अभियानों में जाति जनगणना पर जोर दिया. जिस कारण बीजेपी को उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में नुकसान उठाना पड़ा था.

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