BJP Brahmin legislators: उत्तर प्रदेश की राजनीति में मानसून शत्र के दौरान ठाकुर विधायकों और अब शीतकालीन सत्र के दौरान ब्राह्मण विधायकों की गोलबंदी ने सियासी तापमान को बढ़ा दिया है. मंगलवार को लखनऊ में सत्ता दल बीजेपी समेत सभी दलों के ब्राह्मण विधायक और विधान परिषद के सदस्य एकजुट हुए, जिसे सहभोज का नाम दिया गया. हालांकि इसको लेकर विधायकों का कहना है कि यह केवल सहभोज था, कोई बैठक नहीं. फिलहाल, इस सहभोज ने सियासत में हलचल पैदा कर दी है.
यह बैठक कुशीनगर से भाजपा विधायक पी.एन.पाठक (पंचानंद पाठक) के लखनऊ स्थित सरकारी आवास पर हुई. जिसके सहभोज में लिट्टी-चोखा और फलाहार परोसा गया. इस बैठक में जहां ज्यादातर भाजपा विधायक शामिल रहे, तो वहीं विपक्षी दल के भी ब्राह्मण विधायक पीछे नहीं रहे. सूत्रों के अनुसार इस बैठक का मुख्य उद्देश्य था कि कैसे ब्राह्मण समाज को राजनीति में आगे लाया जाए. इनमें से ज्यादातर लोगों की शिकायतें रही कि जाति आधारित राजनीति में ठाकुर, पिछड़ी और दलित जातियां काफी सशक्त हो गईं, लेकिन ब्राह्मण समाज काफी पीछे रह गया. बैठक में चर्चा चाहे जो भी रही हो लेकिन इस गोलबंदी ने भाजपा और योगी सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है.
ये विधायक हुए शामिल
मिर्जापुर नगर विधायक रत्नाकर मिश्रा ने बताया कि इस बैठक में कुछ खास नहीं था. जैसे सब बैठते हैं, वैसे ही हम लोग भी बैठकर एक साथ खाना खाए. सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में विधायकों ने चिंता जताई कि जाति आधारित राजनीति में ब्राह्मण समाज को धीरे-धीरे किनारे किया जा रहा है. जिसकी वजह से ब्राह्मण समाज पीछे रह गया. मीटिंग में प्रेम नारायण पांडे, रत्नाकर मिश्रा, श्रीप्रकाश द्विवेदी, विनय द्विवेदी, MLC साकेत मिश्रा, शलभ मणि त्रिपाठी, विवेकानंद पांडे, ऋषि त्रिपाठी, रमेश मिश्रा, अंकुर राज तिवारी, राकेश गोस्वामी और कैलाश नाथ शुक्ला समेत कई विधायक शामिल रहे.
ये भी पढ़ेंः ‘आरोपी बाहर आएगा तो हम कैसे सुरक्षित रहेंगे?’ उन्नाव रेप केस में कुलदीप सेंगर की जमानत का पीड़िता ने किया विरोध
पिछले मानसून सत्र के दौरान भी हुई थी बैठक
बता दें, इससे पहले पिछले मानसून सत्र के दौरान ठाकुर विधायकों की जुगलबंदी सामने आई थी. इसके बाद कुर्मी समाज की, ऐसे में ब्राह्मण समाज के विधायक काफी समय से बैठक करने को सोच रहे थे. इन दिनों बिधानसभा सत्र भी चल रहा है, जिसमें शामिल होने के लिए ज्यादातर विधायक लखनऊ में ही हैं. यानी बैठक के लिए यही सही समय रहा. फिलहाल, ब्राह्मण विधायकों के सहभोज ने सियासत में हलचल पैदा कर दी है.
