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मायावती ने अखिलेश को क्यों दिलाई 2008 की घटना की याद? महारैली से पहले सपा पर हुईं हमलावर

Akhilesh Yadav And Mayawati

अखिलेश यादव और मायावती

UP News: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बसपा प्रमुख मायावती 9 अक्टूबर को महारैली करने वाली हैं. दूसरी ओर समाजवादी पार्टी भी दलित वोटों को साधने के लिए अपना पूरा जोर लगा रही है. इसी कड़ी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने बसपा के संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर संगोष्ठी की घोषणा कर दी है. अब इसको लेकर बसपा प्रमुख मायावती का बयान भी आ गया है, जिसमें उन्होंने अखिलेश यादव पर निशाना साधते हुए 2008 की घटना याद दिलाई है.

आपको बता दें कि 9 अक्टूबर को बसपा लखनऊ में महारैली करने वाली है, जिससे पहले पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है. मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट कर सपा के साथ-साथ कांग्रेस को भी आड़े हाथों लिया है.

‘मुहं में राम बगल में छुरी’

मायावती ने लिखा, “बसपा के संस्थापक कांशीराम जी के प्रति विरोधी पार्टियों में भी ख़ासकर समाजवादी पार्टी व कांग्रेस आदि इन पार्टियों का रवैया हमेशा से घोर जातिवादी एवं द्वेषपूर्ण रहा है, जो कि सर्वविदित है, इसीलिये आगामी 9 अक्टूबर को उनके परिनिर्वाण दिवस पर संगोष्ठी आदि करने का सपा प्रमुख की घोषणा घोर छलावा व लोगों को स्पष्टतः इनके मुहं में राम बग़ल में छुरी की कहावत को चरितार्थ करने वाला ज्यादा लगता है.”

2008 की घटना की दिलाई याद

यही नहीं बसपा सुप्रीमो ने आगे 2008 की एक घटना का जिक्र किया है. उन्होंने लिखा “सपा ने ना केवल कांशीराम जी के जीते-जी उनके पार्टी के साथ दग़ा करके उनके मूवमेन्ट को UP में कमज़ोर करने की लगातार कोशिशें कीं हैं. बसपा द्वारा 2008 को अलीगढ़ मण्डल के अन्तर्गत कासगंज को ज़िला मुख्यालय का दर्जा देकर कांशीराम नगर के नाम से बनाये गये नये ज़िला के नाम को भी जातिवादी सोच व राजनीतिक द्वेष के कारण बदल दिया.”‘

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सपा-कांग्रेस को लिया आड़े हाथ

कांशीराम के निधन को लेकर भी बसपा सुप्रीमो ने सपा के साथ-साथ कांग्रेस को भी जमकर घेरा. आगे कहा कि जब कांशीराम जी का निधन हुआ था तब पूरा देश शोकाकुल था लेकिन उस वक्त की सपा सरकार ने उत्तर प्रदेश में एक दिन का भी राजरीय शोक घोषित नहीं किया. इसी प्रकार उस वक्त केंद्र में कांग्रेस की सरकार ने भी एक दिन की भी राष्ट्रीय शोक की घोषणा नहीं की.

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